इतिहास में आज: 11 दिसंबर
१२ दिसम्बर २०१३जर्मनी के युद्ध एलान के पहले तक अमेरिका यूरोप में चल रहे संघर्ष में तटस्थ राष्ट्र की भूमिका निभा रहा था. लेकिन अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हुई जापानी बमबारी ने जर्मनी को भी आश्चर्यचकित किया. जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने धुरी सहयोगी जापान के साथ मौखिक रूप से समझौता किया था कि वह अमेरिका के खिलाफ जंग में शामिल होगा. हिटलर अनिश्चित था कि वह किस तरह से अमेरिका को युद्ध में उलझाएगा. जापान का पर्ल हार्बर पर हमला इस सवाल का जवाब था.
8 दिसंबर को जापान के राजदूत ओशिमा जर्मनी के विदेश मंत्री फॉन रिबनट्रोप के पास गए. ओशिमा का मकसद जर्मनी को अमेरिका के खिलाफ युद्ध के लिए राजी करना था. हालांकि ओशिमा को पता था त्रिपक्षीय समझौते के तहत जर्मनी के ऊपर इसका कोई दबाव नहीं है. त्रिपक्षीय समझौते के मुताबिक अगर जापान पर हमला होगा तो जर्मनी उसकी मदद करेगा लेकिन अगर जापान किसी देश पर आक्रमण करेगा तो ऐसा नहीं होगा. लेकिन हिटलर ने कुछ और ही सोचा. हिटलर को डर था कि देर सबेर अमेरिका उस पर हमला करेगा. हिटलर ने जापान की ताकत का गलत मूल्यांकन किया. हिटलर को लगा कि जापान इतना शक्तिशाली है कि वो अमेरिका को हरा देगा. अगर ऐसा हुआ तो जर्मनी को रूस को हराने में मदद मिलेगी. बर्लिन समय के मुताबिक 11 दिसंबर को दोपहर साढ़े तीन बजे जर्मनी के उपराजदूत ने अमेरिका के विदेश मंत्री को युद्ध की घोषणा की प्रति दी. उसी दिन हिटलर ने जर्मनी की संसद को संबोधित करते हुए अपने फैसले को सही ठहराया. यह फैसला हिटलर के लिए ताबूत की आखिरी कील साबित हुए. अमेरिका के युद्ध में उतरते ही हिटलर के पांव उखड़ने शुरू हो गए.