इटली में विकराल सूखा, प्यासे हैं खेत और घरों के नल
१९ जुलाई २०२२रोम के दक्षिण में जमीन के विशाल टुकड़े पर हजारों साल तक दलदल और कीचड़ का बोलबाला था. 1930 में एक असाधारण कार्यक्रम के तहत इस जगह से पानी बाहर निकाला गया. इसके नतीजे में मलेरिया से पीड़ित यह जगह खेती की बेहतरीन जमीन में बदल गई. बीते 90 साल बड़ी तेजी से बीते लेकिन जहां कभी भरपूर पानी था वह जगह सूखती जा रही है. लोगों ने अपने जीवन में कभी ऐसे हालात नहीं देखे जब कई हफ्तों से लगातार तेज गर्मी के कारण स्थानीय झरनों का पानी सूखने लगा है. यही झरने कभी इस जमीन की प्यास बुझाते थे.
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पचारों साल पुरानी पाइपें
पुराना बुनियादी ढंचा और टूटी फूटी पाइपें पहले से ही गंभीर समस्या को और ज्यादा मुश्किल बना रही हैं. हालात यह है कि अब बहुत अनमोल हो चुका पानी नल तक पहुंचने से पहले ही पाइप की छेदों से निकल कर बेकार हो जाता है. इकोलॉजिकल ट्रांजिशन विभाग के मंत्री रॉबर्टो सिंगोलानी का कहना है, "इटली में पानी के बुनियादी ढांचे का प्रबंधन बेहत खराब है. हमारी पाइपें ढोए जाने वाले कुल पानी का औसतन 42 फीसदी गंवा देती हैं. इस्राएल में यह आंकड़ा 3 फीसदी के करीब है. हमारे नुकसान को उचित नहीं कहा जा सकता."
रोम के तट से 60 किलोमीटर लातिना प्रांत में 70 फीसदी ज जाता हैअकसर पीने का पानी रास्ते में ही गुम हो जाता है. यह देश में दूसरा सबसे खराब औसत है. लाटिना की स्थानीय पानी कंपनी एक्वालाटिना का तो यह भी कहना है कि गायब हुआ कुछ पानी या तो अवैध तरीके से जमा कर लिया जाता है या फिर कुछ ऐसे लोग उनका इस्तेमाल करते हैं जो अपने पानी का मीटर चेक कराने से इनकार करते हैं. हालांकि तब भी 50-60 फीसदी पानी इन टूटी फूटी पाइपों के कारण बर्बाद हो जाता है.
कंपनी के सीईओ मार्को लॉम्बार्डी का कहना है, "रिसाव लापरवाही के कारण नहीं है बल्कि नेटवर्क के बहुत पुराना होने के कारण है. आधे से ज्यादा तो ऐसे हैं जिन्हें 50 साल पहले डाला गया था." 2002 में बनी ये कंपनी हर साल करीब 3500 किलोमीटर के नेटवर्क में 10 हजार से ज्यादा मरम्मत करती है. इसमें छेद को बंद करने से लेकर पानी का दबाव बढ़ाने तक के मरम्मती के काम शामिल हैं जिससे कि घर और कारोबार के लिए पानी मिल सके. हालांकि ऐसा करने के दौरान भी अकसर किसी और लाइन में समस्या उभर आती है और यह काम लगातार चलता रहता है.
पानी का कोटा
राष्ट्रीय स्तर पर संकट का सामना करने के लिए सरकार ने यूरोपीय संघ की आपदा राहत फंड से 4.4 अरब यूरो का फंड लिया है. इसका इस्तेमाल अगले चार सालों में पानी का प्रबंधन सुधारने के लिए किया जाएगा. इसमें से करीब 90 करोड़ यूरो पानी के रिसाव को बंद करने और 88 करोड़ यूरो की रकम खेती के लिए सिंचाई तंत्र को बेहतर बनाने पर खर्च होंगे. हालांकि इतने पर भी यह पैसा स्टेफानो बोशेटो जैसे किसानों के लिए तुरंत कोई राहत देगा इसकी उम्मीद नहीं है.
बोशेटो लाटिना के ऊर्वर जमीनों पर एक पारिवारिक फार्म चलाते हैं. उन्होंने ग्रीनहाउस बनवाने पर लाखों यूरो खर्च किए हैं. इन्हीं ग्रीनहाउसों में वो किवी, सलाद, खीरा और तरबूज उगाते हैं. हालांकि उनकी फसलें सूखा और उसके कारण शुरू हुई पानी के कोटे की वजह से नुकसान झेल रही हैं. बोशेटो को सप्ताह में दो दिन सिंचाई रोकनी पड़ती है. बोशेटो का कहना है, "यह बात अनोखी लग सकती है कि हम इस तरह के इलाके में पानी की कमी की बात कर रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि चीजें बदलती हैं और बहुत तेजी से बदलती हैं."
मुख्य समस्या है इलाके के झरनों से आने वाले पानी में कमी. इसके साथ ही खराब पाइपलाइनों की वजह से भी नुकसान हो रहा है. बोशेटो का कहना है कि इसके अलावा यह क्षेत्र बारिश के पानी को जमा कर पाने में भी नाकाम हो रहा है. आमतौर पर यहां वसंत और पतझड़ के मौसम में खूब बारिश होती है और इसका इस्तेमाल गर्मियों के महीने में होता था. सरकार का आकलन है कि अगर इटली में होने वाली बारिश का एक चौथाई भी जमा कर लिया जाए तो देश के किसानों की जरूरतें पूरी हो जाएंगी. सरकार यूरोपीय संघ से मिलने वाले पैसे का एक हिस्सा पानी के बड़े भंडार बनाने में भी करने की योजना बना रही है जिनमें बारिश का पानी जमा किया जाएगा.
कम शुल्क ज्यादा इस्तेमाल
इटली के जल प्रबंधन में सबसे ज्यादा निवेश यूटिलिटी कंपनियों के राजस्व से होता है. हालांकि यहां यूरोप में पानी की दर सबसे कम है जिसके कारण निवेश सीमित हो जाता है. इटली के लोग मुश्किल से 2 यूरो प्रति क्यूबिक मीटर पानी के लिए भुगतान करते हैं. पानी की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के यूरोपीय फेडरेशन के आंकड़े बताते हैं कि पड़ोसी देश फ्रांस के लोग इसका दोगुना और डेनमार्क के लोग इतने ही पानी के लिए 9.32 यूरो की रकम चुकाते हैं.
हैरानी नहीं है कि इटली के घरों में पानी का इस्तेमाल भी यूरोप में सबसे ज्यादा है. हर दिन हर आदमी यहां औसत 250 लीटर पानी इस्तेमाल करता है. फ्रांस में यह आंकड़ा 150 लीटर जबकि डेनमार्क में यह महज 105 लीटर का है.
लाटिना में एप्रिलिया के मेयर अंटोनियो टेरा ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वो पानी का इस्तेमाल कम करें क्योंकि सूखे की समस्या बड़ी है. उन्होंने कार धोने, बाग सींचने और स्विमिंग पूल में ताजा पानी भरने वालों पर जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी है. हालांकि शहर में पानी की पुरानी पाइपें ही लोगों का जीवन मुश्किल बना रही हैं. मेयर का कहना है, "हम इस सिस्टम में और पानी डाल सकते हैं लेकिन हम उसे सही दबाव पर नहीं ला सकते क्योंकि हमें पाइपलाइनों को फटने से भी बचाना है."
बोशेटो जैसे किसान इस तरह के सिरदर्द से बच सकते थे अगर अधिकारी कुछ साल पहले हरकत में आ गए होते. बोशेटो का कहना है, "एक देश के रूप में हम हमेशा चीजों के बिखरने का इंतजार करते हैं और सिर्फ ऐसा हो जाने पर ही संगठित होते हैं लेकिन अगर यही काम पहले कर लिए जाएं और नजरिया साफ हो तो आपको यह महसूस करने की नौबत नहीं आएगी कि हम धरती को नुकसान पहुंचा रहे हैं."
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)