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इंसानों में ही नहीं जानवरों में भी नर से लंबा जीती है मादा

यूलिया फैर्गिन
३० अप्रैल २०२०

औसत देखें तो पाएंगे कि महिलाएं पुरुषों से अधिक लंबा जीवन जीती हैं. एक नई स्टडी दिखाती है कि ऐसा केवल इंसानों में ही नहीं, बल्कि जानवरों में भी होता है. क्या सभी किस्म के जीवों में नर को बेवकूफी भरे आइडिया ज्यादा आते हैं?

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Symbolbild Theorie des mänlichen Idioten
तस्वीर: olly - Fotolia

यह मालूम था कि अगर ठीक से रहने दिया जाए तो महिलाएं पुरुषों से औसतन छह से आठ साल ज्यादा जीती हैं. अब पता चला है कि यह बात कई जंगली जानवरों के लिए भी सही है. यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के जीवविज्ञानियों समेत अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की एक टीम ने जानवरों की 101 किस्मों के जीवनकाल पर शोध कर इसका पता लगाया है. यह स्टडी 'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस' में प्रकाशित हुई है.

Drei junge Löwen, Afrika Kenia
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Nilsen

हैरान करने वाले नतीजों पर नजर डालिए. जानवरों की दुनिया में नर और मादा के लाइफ स्पैन में अंतर इंसानों से काफी बड़ा है. स्टडी में शामिल किस्मों में से करीब 60 फीसदी में मादाओं की उम्र नरों से औसतन 18 प्रतिशत लंबी रही. इंसानों में महिला और पुरुषों में यह अंतर करीब 8 फीसदी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इसकी वजह यह है कि सेहत के मामले में महिलाएं जैविक रूप से पुरुषों से बेहतर होती हैं और इसीलिए वे औसतन लंबा जीवन जीती हैं.

कैसी है इंसानी मशीन की डिजाइन?

महिलाओं में दो X (एक्स) क्रोमोजोम होते हैं, जबकि पुरुषों में केवल एक X और दूसरा Y (वाई) क्रोमोजोम होता है. होता यह है कि X क्रोमोजोम पर कुछ इम्युनिटी से जुड़े जीन पाए जाते हैं. इन जींस में कुछ ऐसे होते हैं जो बीमारी पैदा करने वाले कुछ रोगाणुओं को पहचान कर उसके लिए जरूरी प्रतिरोधी प्रतिक्रिया की तैयारी पहले से कर के रखते हैं. इसके अलावा महिलाओं में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन भी पुरुषों से ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में कई सुरक्षात्मक भूमिकाओं से जुड़ा होता है. वैज्ञानिकों को लगता है कि कुछ इसी तरह की सुरक्षात्मक भूमिका जानवरों की दुनिया में भी होती है.   

मजे मजे में जोखिम उठाने वाले नर

बायोलॉजी में ऐसे अंतर कुदरत का अन्याय जैसे लग सकते हैं. लेकिन असल में इसकी बहुत ठोस वजह है. प्राकृतिक आधार के अलावा महिलाओं के लंबा जीने की एक दूसरी वजह भी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि महिलाओं में जोखिम लेने की प्रवृत्ति कम पाई जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो जीवन को जोखिम में डालने वाले आइडिया पुरुषों को ज्यादा आते हैं. उदाहरण के तौर पर सिगरेट पीना, शराब पीना और दूसरे बेवकूफी भरे आइडिया पर पुरुष महिलाओं के मुकाबले थोड़ा ज्यादा अमल करते पाए गए हैं.

ख्याल रखने वाली मादाएं

सिगरेट, शराब वाली वजह तो जानवरों की दुनिया पर लागू नहीं होती लेकिन तीसरा कारण वैध है. सेक्स-विशेष के जोखिम वाले आइडिया पर अमल करने का बर्ताव जानवरों के लिए भी सही साबित होता है. रिसर्चरों को पक्की तौर पर दिखा कि शेर के मुकाबले शेरनी दुगना लंबा जीवन जीती है. स्टडी के लेखकों में से एक यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के जीवविज्ञानी थॉमस जेकेली कहते हैं, "शेरनियां अपने झुंड में अपनी बहनों, मां और बेटियों के साथ रहती हैं. साथ में शिकार करती हैं और एक दूसरे का ख्याल रखती हैं. दूसरी ओर, वयस्क शेर अकसर अकेले या अपने भाइयों के साथ रहते हैं और उनका सपोर्ट नेटवर्क वैसा नहीं होता.”

जीवनकाल में साफ अंतर की वजहें साबित करने के लिए अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत है. रिसर्चरों का अगला कदम होगा कि वे पिंजरों, चिड़ियाघरों या दूसरी सुरक्षित जगहों पर रखे जाने वाले जानवरों में भी इसका परीक्षण करें. फिर वे इसकी तुलना जंगली जानवरों के लाइफ स्पैन से करना चाहते हैं. यह भी हो सकता है कि जू में बाहरी खतरों से कुछ ज्यादा ही सुरक्षित रखे गए जंगली जानवर बोरियत और बंधन के कारण इतने अवसाद से भर जाते हों कि यह सब उनकी जल्दी मौत की वजह बन जाता हो.

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