आखिर मैर्केल ने दिखाई नेतृत्व क्षमता
२९ अक्टूबर २०१८करीब आधे साल से सीडीयू-सीएसयू और एसपीडी का महागठबंधन सत्ता में है. और आधे साल से जर्मनी का नेतृत्व नहीं हो रहा है बल्कि ऐसी सरकार द्वारा पंगु है जो मुख्य रूप में खुद में उलझी है. अंदरूनी झगड़े रोजमर्रा पर हावी हैं, मजबूत होता दक्षिणपंथी राष्ट्रवाद नहीं, जो सिर्फ जर्मनी में ही नहीं बल्कि यूरोप और सारे विश्व में कामयाब हो रहा है. आप्रवासन की चुनौती का जवाब नहीं खोजा जा रहा, और न ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों और मौकों पर सोच विचार हो रहा है. जलवायु परिवर्तन की तो बात ही छोड़िए.
जर्मनी की जनता इस खुदगर्जी और खुद को घाव करने में लगी सरकार से तंग आ चुकी है. आर्थिक तौर पर मजबूत प्रांत हेस्से में रविवार को हुए चुनावों ने यही दिखाया है. देश परिवर्तन चाहता है, बहुमत को अब अंगेला मैर्केल पर भरोसा नहीं रहा कि 13 साल के शासन के बाद वे नवीकरण की प्रक्रिया को नेतृत्व दे सकती हैं.
मैर्केल के लिए आखिरी मौका
अंगेला मैर्केल को भी ये पता है. पिछले दिनों में उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से खुलकर इसकी चर्चा की है कि इतने सालों तक सत्ता में रहने के बाद उत्तराधिकारी का फैसला कितना मुश्किल है. और उन्होंने आज इसमें सक्रिय भूमिका निभाने का आखिरी मौका हथियाया है. परंपरागत रूप से सीडीयू पार्टी का चांसलर पार्टी की अध्यक्षता भी संभालता है. ये बात किसी पार्टी संविधान में नहीं बल्कि सत्ता के गणित में लिखी है. सरकार चलाना इससे आसान हो जाता है.
मैर्केल ने हमेशा साफ किया है कि वे इस परंपरा से पीछे नहीं हटेंगी. अब उनकी ये घोषणा कि वे दिसंबर में पार्टी अध्यक्ष के लिए दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगी, दिखाती है कि स्थिति कितनी गंभीर है. यह दिखाता है कि मैर्केल अपनी कतारों में भी समर्थन खो रही हैं. और साबित करता है कि हार की हालत में भी मैर्केल की राजनीतिक जिजीविषा खत्म नहीं हुई है. चुनाव में हार का सामना करने के बदले वे खुद पद छोड़ रही हैं. फिर से उन्होंने व्यावहारिकता दिखाई है जो जरूरत पड़ने पर टॉप फॉर्म में दिखाई देता है.
इच्छित उत्तराधिकारी
इससे उन्हें थोड़ा सांस लेने का मौका मिला है. वे अपनी इच्छा की उम्मीदवार और पार्टी की महासचिव आनेग्रेट क्रांप-कारेनबावर को मजबूत करने में समय लगा सकती हैं. और वे कुछ समय तक चांसलर के पद पर भी रह सकती हैं. उन्होंने 2021 तक पद पर बने रहने की बात कही है.
आखिरकार वे इस फैसले से न सिर्फ खुद की मदद करेंगी बल्कि अपनी पार्टी की भी. अब गेंद फिर से एसपीडी के पाले में है जो सरकार में चांसलर मैर्केल की साझेदार है. मैर्केल के फैसले के साथ यह संभावना बढ़ गई है कि एसपीडी सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़ दे और तब सरकार के विफल होने की जिम्मेदारी भी एसपीडी के कंधों पर होगी. मैर्केल खुद के प्रति ईमानदार हैं, शासनकाल के अंत तक और अंत निकट आ रहा है.