आईएस की संदिग्ध सदस्य जर्मनी में पहुंचते ही गिरफ्तार
४ दिसम्बर २०१९तुर्की ने इस महिला को वापस जर्मनी भेजा है. यह महिला सीरिया जाने से पहले जर्मनी के लोअर सेक्सोनी राज्य में रह रही थी. उसकी गिरफ्तारी का वॉरंट भी लोअर सेक्सोनी से ही जारी किया गया है. यह महिला टर्किश एयरलाइंस की फ्लाइट से मंगलवार रात जर्मनी पहुंची, तभी उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
महिला के बच्चों को समाज सेवा अधिकारियों ने अपनी निगरानी में ले लिया है और उससे पूछताछ जारी है. साथ ही डिरैडिकलाइज़ेशन अधिकारी भी महिला से जल्द पूछताछ करेंगे. उसके पास जर्मन और सीरियाई दोनों नागरिकताएं हैं.
बताया जाता है कि यह महिला आंतकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़ने के लिए सीरिया गई थी.
तुर्की ने जर्मनी को दी चेतावनी
तुर्की के गृह मंत्रालय ने अनादोलू समाचार एजेंसी को बताया कि पांच जर्मन "विदेशी आतंकी लड़ाकों" को जर्मनी डिपोर्ट किया गया है. तुर्की ने साफ कर दिया है कि वो संदिग्ध आंतकियों को उनके देश भेजता रहेगा, चाहे इन देशों ने उनकी नागरिकता क्यों ना खत्म कर दी हो. तुर्की ने कहा है कि वह इस चरमपंथी के सदस्यों के लिए कोई "होटल" नहीं है.
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इससे पहले तुर्की ने नवंबर में सात सदस्यों वाले एक जर्मन-इराकी परिवार को भेजा था. इस परिवार के कट्टरपंथी सलाफियों के साथ संबंध बताए जाते हैं. आईएस की दो और संदिग्ध महिला सदस्यों को भी तुर्की ने वापस जर्मनी भेजा था. इनमें से एक को जर्मनी पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया.
जर्मनी में बहस
जर्मनी में कभी आईएस के प्रभाव में रहे लड़ाकों और उनके परिवारों के वापस लौटने पर उनके साथ होने वाले रवैये को लेकर बहस चल रही है. कुछ लोग उनके आने से होने वाले खतरों का हवाला दे रहे हैं तो दूसरे अपने नागरिकों के लिए जर्मनी की जिम्मेदारी की ओर ध्यान दिला रहे हैं. बर्लिन में एक संस्था वॉयलेंस प्रिवेंशन नेटवर्क इन लोगों को समाज में फिर से शामिल कराए जाने की कोशिश कर रही है. तीस साल से ये संस्था चरमपंथियों को डिरैडिकलाइज करने के काम में लगी है.
इनमें उग्र दक्षिणपंथी और जिहादी शामिल हैं. संस्था के संस्थापक थॉमस मुके का कहना है, "अगर ये काम नहीं किया गया तो ये लोग समाज के लिए खो जाएंगे." ये काम खतरे से खाली नहीं है. आईएस को छोड़ने वाले लोगों को आईएस के समर्थकों से खतरा होता है तो संस्था के कार्यकर्ताओं के लिए चरमपंथ विरोधियों से भी.
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भारत में आईएस
सुरक्षा एजेंसियो के मुताबिक 2014 से 2018 के बीच भारत से कम से कम 180 लोगों ने आईएस से जुड़ने की कोशिश की या फिर इसके लिए सीरिया गए. इकोनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान आईएस के सदस्य रहे 13 भारतीयों को जल्द प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत को सौंप सकता है. ये 13 भारतीय आईएस के उन 600 लड़ाकों में शामिल हैं जिन्होंने अफगान नेशनल आर्मी के सामने आत्मसमर्पण किया था. नंवबर के आखिरी हफ्ते में कोच्चि की एनआईए कोर्ट ने छह लोगों को आईएस से संबंधों के कारण 14 साल तक की सजा सुनाई है.
सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के खत्म होने के बाद इस गुट के जिन सदस्यों को पकड़ा गया है, उन्हें उनके मूल देश को सौंपना एक बड़ी चुनौती है. इन लोगों को उनके देश भी स्वीकार नहीं करना चाहते. ऐसे बहुत से लोगों को अभी तुर्की में रखा गया है, लेकिन अब तुर्की ने साफ कर दिया है कि जो भी आईएस से जुड़े लोगों को उनके मूल देश में वापस भेजा जाएगा.
एसबी/एके (डीपीए)
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