1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अर्थव्यवस्था क्या फ्रांस में माक्रों को दूसरा मौका दिलाएगी

२ अप्रैल २०२२

कोविड महामारी से फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था के उबरने के दम पर राष्ट्रपति माक्रों सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि उनका रिकॉर्ड बेदाग नहीं है और बढ़ती महंगाई उनकी राह मुश्किल करेगी.

https://p.dw.com/p/49NQT
फ्रांस की अर्थव्यवस्था महमारी के असर से उम्मीद से ज्यादा तेजी से उबरी है
फ्रांस की अर्थव्यवस्था महमारी के असर से उम्मीद से ज्यादा तेजी से उबरी हैतस्वीर: Sonia Phalnikar/DW

फ्रांस में चुनाव के लिए पहले दौर का मतदान 10 अप्रैल को है. चुनावी दौड़ में सबसे आगे चल रहे राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के पास मतदाताओं को यह समझाने के लिए मजबूत तर्क हैं कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाए रखने के लिए जो सुधार किए, उनका असर अब साफ दिख रहा है.

फ्रांस की अर्थव्यवस्था में पिछले साल बढ़ोत्तरी हुई  और कोविड संकट के बावजूद अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से ज्यादा तेज गति से वापसी की है. फिलहाल यह सात फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 52 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. इसके अलावा, बेरोजगारी भी 10 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है, उपभोक्ता क्रय शक्ति में तेजी आई है और विदेशी निवेश भी आ रहा है.

पहले इनवेंस्टमेंट बैंकर और वित्त मंत्री रह चुके माक्रों ने साल 2017 में सत्ता में आने के बाद से कई सुधारों को आगे बढ़ाया है. मसलन- श्रम कानूनों को शिथिल करना ताकि श्रमिकों की भर्ती और उन्हें निकालने की प्रक्रिया आसान हो सके, बेरोजगारी लाभों को कम करना और पूंजी पर लगने वाले करों में कटौती करना जो कि व्यक्तिगत और कंपनियों दोनों की आय पर लागू है.

माक्रों ने फ्रांस को स्टार्टअप नेशन बनाने का वादा किया था उसमें बड़ी कामयाबी मिली है
माक्रों ने फ्रांस को स्टार्टअप नेशन बनाने का वादा किया था उसमें बड़ी कामयाबी मिली हैतस्वीर: Ludovic Marin/AFP/Getty Images

पेरिस के फ्रेंच इकोनॉमिक ऑब्जर्वेटरी से जुड़े मैथ्यू प्लेन डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "माक्रों की नीतियां व्यवसाय को लाभ पहुंचाने वाली रही हैं. हालांकि इनमें से कई नीतियों को उन्हें येलो वेस्ट प्रोटेस्ट और कोविड जैसे संकटों के बीच अपनाना पड़ा. लेकिन कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस के आर्थिक आकर्षण में निश्चित रूप से सुधार हुआ है.”

फ्रांस के स्टार्टअप आसमान छू रहे हैं

इन नीतियों की सफलता का एक संकेत फ्रांस में स्टार्टअप का उभरता हुआ परिदृश्य है. इस साल की शुरुआत में, स्टीव जॉब्स-स्टाइल में बंद गले का कोट पहने हुए माक्रों ने देश के 25 वें यूनिकॉर्न का जश्न मनाया. एक अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य का यह स्टार्टअप साल 2025 में तय किए गए उनके अपने लक्ष्य से भी पहले शुरू हो गया.

डीडब्ल्यू से बातचीत में पेरिस स्थित नेटिक्सीस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री पैट्रिक आर्टस कहते हैं, "यदि आप उनकी बैलेंस शीट, लाभ, और नए प्रयोगों को देखें, तो माक्रों के कार्यकाल का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू फ्रांसीसी कॉरपोरेट की गतिशीलता है. कॉर्पोरेट क्षेत्र में बड़ी मात्रा में धन प्रवाहित हो रहा है.”

2021 एक रिकॉर्ड-तोड़ वर्ष था, जिसमें फ्रांसीसी टेक कंपनियों ने 11.6 अरब यूरो का फंड जुटाया. 2020 की तुलना में यह 115 फीसदी की वृद्धि थी.

यह भी पढ़ेंः फ्रांस में धुर दक्षिणपंथियों का सूपड़ा साफ

'जो कुछ भी खर्च होता है' की रणनीति

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड महामारी के दौरान माक्रों की "जो कुछ भी खर्च होता है" रणनीति से अर्थव्यवस्था में उछाल को भी मदद मिली है. इस नीति के तहत बैंकरोल व्यवसायों पर भारी खर्च करना और उन्हें अपने कर्मचारियों को बनाए रखने में मदद करना शामिल था.

डेमियन मार्क, सीईओ, जेबीपी सिस्टम
डेमियन मार्क, सीईओ, जेबीपी सिस्टमतस्वीर: Sonia Phalnikar/DW

विमान के इंजनों के लिए लॉकिंग सिस्टम बनाने के लिए स्मार्ट ऑटोमेशन और रोबोट का उपयोग करने वाली कंपनी जेपीबी सिस्टम के सीईओ डेमियन मार्क कहते हैं कि सरकारी सहायता की वजह से वे विमानन क्षेत्र में दुर्घटना का सामना करने, अपनी क्षमता को बढ़ाने और उत्पाद में विविधता लाने में सफल रहे.

डीडब्ल्यू से बातचीत में मार्क कहते हैं, "सरकार की इन सारी मदद ने हमें वास्तव में ऐसे समय में अपना व्यवसाय बढ़ाने की अनुमति दी जब दुनिया के कई हिस्सों में कंपनियां लोगों की छंटनी कर रही थीं. हमने वास्तव में बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाई है और पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होकर वापस आए हैं.”

पिछले साल, इस हाई-टेक कंपनी को कई क्षेत्रों में अपने उद्योग लगाने के लिए सरकार से 15 लाख यूरो की नगद सहायता मिली. सरकार ने उद्योगों को उबारने के लिए 100 अरब यूरो के निवेश की योजना बनाई थी और इसी के तहत मार्क की कंपनी को भी पैसा मिला. 

मदद के बावजूद निर्माण क्षेत्र 'अभी भी बेहद कमजोर'

जानकारों का कहना है कि कोविड ​​​संकट ने विदेशी सप्लायरों पर फ्रांस की भारी निर्भरता को उजागर किया है लेकिन माक्रों की योजनाओं ने देश में फिर से औद्योगिकीकरण के रास्ते को भी प्रशस्त किया है ताकि व्यवसायों को औद्योगिक आयात के लिए एशिया पर निर्भर होने की बजाय फ्रांसीसी उद्योग में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

सरकार अब सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक बैटरी और हाइड्रोजन परियोजनाओं जैसे रणनीतिक उद्योगों को बढ़ावा दे रही है.

जेबीपी सिस्टम में ज्यादातर काम रोबोट और ऑटोमेशन से होता है
जेबीपी सिस्टम में ज्यादातर काम रोबोट और ऑटोमेशन से होता हैतस्वीर: Sonia Phalnikar/DW

मैथ्यू प्लेन कहते हैं, "अब लोग इस बारे में जागरूक हुए हैं कि फ्रांस की सबसे बड़ी कमजोरी उद्योग बढ़ाने में पिछड़ना है, जिसे हमने पिछले 40 वर्षों में देखा है और जिसे रोकने में हम असमर्थ रहे हैं. इस प्रवृत्ति को उलटना महत्वपूर्ण है. हालांकि फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था में विनिर्माण उद्योग का हिस्सा सकल घरेलू उत्पाद का करीब दस फीसदी है लेकिन यह अभी भी बहुत कमजोर है.”

आर्टस भी इस बात से सहमति जताते हुए कहते हैं कि कर कटौती और सुधारों के बावजूद माक्रों के पांच साल के कार्यकाल के दौरान विनिर्माण और उत्पादन में ‘सुधार के बहुत कम संकेत' थे. उनके मुताबिक, बढ़ते व्यापार घाटे ने स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है.

आर्टस कहते हैं, "फ्रांस की विनिर्माण क्षेत्र में कमजोरी का एक प्रमुख कारण कौशल की कमी और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा है. यह एक बड़ी बाधा है. माक्रों शिक्षा और सुधार प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन परिणाम सामने आने में समय लगेगा.”

तेजी से बढ़ता सार्वजनिक ऋण

विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च और कर कटौती को देखते हुए फ्रांस के सार्वजनिक खजाने की स्थिति चिंता का एक अन्य पहलू है.

प्लेन कहते है, "आर्थिक नीतियों ने विकास को गति देने और व्यवसायों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद जरूर की है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि इन सभी उपायों के लिए धन का इंतजाम कैसे किया जाता है और बढ़ते बजट घाटे और सार्वजनिक ऋण के मुद्दे को कैसे सुलझाया जाता है.”

फैक्ट्रियों के खुलने और विदेशी निवेश का माक्रों खूब प्रचार कर रहे हैं
फैक्ट्रियों के खुलने और विदेशी निवेश का माक्रों खूब प्रचार कर रहे हैंतस्वीर: POOL/AFP/Getty Images/JEAN-FRANCOIS BADIAS

कंजर्वेटिव रिपब्लिकन उम्मीदवार वैलेरी पेक्रेसे ने माक्रों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अत्यधिक मात्रा में नकदी निकाला और महामारी की आड़ में छापेमारी कराई और राष्ट्रीय ऋण को सकल घरेलू उत्पाद के करीब 115 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया.

मतदाता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं

हालांकि राष्ट्रपति माक्रों के सुधारों को कई नए व्यवसायों को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है लेकिन ये सवाल भी उठ रहे हैं कि इन सुधारों की वजह से आर्थिक लाभ कम हो गया है. सर्वेक्षण बताते हैं कि मतदाताओं की सबसे बड़ी चिंता घटती क्रय शक्ति है. यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ी महंगाई ने इन चिंताओं को और गहरा कर दिया है.

पूर्वी पेरिस के एक सब्जी बाजार में, तीन बच्चों की सिंगल मदर इसाबेल कहती हैं कि वे अपने जीवन में पहली बार इतनी ज्यादा महंगाई को महसूस कर रही हैं. 38 वर्षीय इस महिला का कहना है, "आवश्यक वस्तुओं और गैस की कीमतें बढ़ गई हैं और हमें इस बात पर अधिक सावधान रहना होगा कि हम अपना पैसा कैसे खर्च करते हैं.”

एक सैलून में काम करने वाली इसाबेल माक्रों की नीतियों के बारे में पूछने पर कहते हैं, "हमें नहीं लगता कि हमारे जीवन में बहुत सुधार हुआ है. माक्रों ऐसे राष्ट्रपति हैं जो सिर्फ अमीरों के लिए सुधार करते हैं.” उनकी इस बात से  2018 में संपत्ति कर को समाप्त करने के बाद फ्रांस में आम जनता की राय की गूंज सुनाई देती है. 

हुनर और ट्रेनिंग की कमी उत्पादन बढ़ाने में बाधा बन रही है
हुनर और ट्रेनिंग की कमी उत्पादन बढ़ाने में बाधा बन रही हैतस्वीर: Sonia Phalnikar/DW

पैट्रिक आर्टस कहते हैं फ्रांस ने हालांकि पिछले साल निजी क्षेत्र में करीब सात लाख नौकरियां पैदा कीं, ये नौकरियां बहुत कम वेतन पर दी गईं और जिन्हें दी गईं वो उसके लिए योग्य भी नहीं थे. वो कहते हैं, "यह सच है कि खुदरा क्षेत्र, रेस्तरां, सफाई और रसद विभाग में काम करने वाले कई फ्रांसीसी गरीब हैं. हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने उन्हें समर्थन देने के लिए भारी मात्रा में पैसा खर्च किया और सरकारी मदद दी. हाल ही में 15 अरब यूरो की मदद दी गई है ताकि बिजली की बढ़ती कीमतों का झटका वो सह सकें.”

हालांकि माक्रों अपने आर्थिक रिकॉर्ड पर भरोसा कर रहे हैं. उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि यदि वह दोबारा जीतते हैं तो अर्थव्यवस्था को नया रूप देने के लिए सुधारों पर जोर देंगे.

अब यह देखने वाली बात होगी कि अप्रैल में होने वाले चुनाव में फ्रांस के मतदाता उनके इस आत्मविश्वास पर मुहर लगाते हैं या नहीं.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी