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अमेरिकी चुनाव पद्धति पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल

२७ अक्टूबर २०१६

ऐसा पहले छोटे देशों के साथ होता था. अब यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन ने अमेरिका की चुनाव व्यवस्था की आलोचना की है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप पहले ही चुनाव प्रक्रिया पर संदेह जता चुके हैं.

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USA | Ende der 3. Präsidentschaftsdebatte 2016 in Las Vegas
तस्वीर: Getty Images/D. Angerer

अमेरिका में अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं. रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप चुनाव प्रक्रिया सहित हर लोकतांत्रिक संस्था पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने चुनाव नतीजों को स्वीकार करने पर भी स्पष्ट बयान नहीं दिया है और कहा है कि उसे तभी स्वीकार करेंगे जब वे जीतेंगे. अब यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन ने अमेरिकी चुनाव व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा है कि विश्व के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश में 60 लाख से ज्यादा नागरिक मतदान में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. संगठन के चुनाव पर्यवेक्षक आयोग के प्रमुख मिषाएल लिंक ने चुनाव प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा है, "कई प्रांतों में पूर्व और मौजूदा कैदियों का मताधिकार बिना किसी अंतर के छीन लिया गया है."

इसके अलावा मतदान करने के लिए सख्त शर्तें रखी गई हैं. बहुत सी जगहों पर वोट डालने के लिए तस्वीर वाला परिचयपत्र जरूरी है. अमेरिका में हर किसी के पास तस्वीर वाला परिचयपत्र नहीं है, क्योंकि यह दस्तावेज बहुत ही महंगा है और उसे लेना हर किसी के वश की बात नहीं है. लिंक का कहना है कि इसकी वजह से गरीब तबके के लोगों के साथ चुनाव में भेदभाव हो रहा है. लिंक ने कहा है कि चुनाव में धांधली की जो शिकायत रिपब्लिकन उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने की है, उसके संकेत फिलहाल पर्यवेक्षक दल नहीं देख रहा है. लेकिन उनके विचार में पारदर्शिता और प्रशासन के मामले में अमेरिकी चुनाव पद्धति में अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन 300 पर्यवेक्षकों के साथ अमेरिकी चुनाव की निगरानी करेगा. उनमें से एक हिस्सा अमेरिका पहुंच चुका है.

USA | 3. Präsidentschaftsdebatte 2016 in Las Vegas
तस्वीर: Getty Images/J. Sullivan

रूस के साथ विवाद

इस बीच रूस द्वारा अमेरिकी चुनाव में अपने पर्यवेक्षक भेजने पर भी विवाद भड़क गया है. रूसी मीडिया ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट दी थी कि टेक्सस, ओक्लाहोमा और लुइजियाना प्रांतों में चुनाव का पर्यवेक्षण करने के रूसी अधिकारियों के आग्रह को ठुकरा दिया गया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किरबी ने कहा कि भले ही ये आग्रह प्रोपेगैंडा लगता हो, लेकिन रूस का पर्यवेक्षकों को भेजने के लिए स्वागत है. किरबी ने कहा कि रूसी अधिकारियों को यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन के पर्यवेक्षक दल में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था.

यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन अमेरिका सहित अपने सदस्य देशों में चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करता है. अमेरिका का आरोप है कि रूसी हैकरों ने डेमोक्रैटिक पार्टी के अधिकारियों के ईमेल हैक कर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने कहा है कि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को समझने में उनकी दिलचस्पी होती तो रूसी पर्यवेक्षक यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन के मिशन में शामिल हो सकते थे.

एमजे/वीके (एएफपी, डीपीए)