जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के एक साल में क्या बदला
२८ मई २०२१जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन पर घुटना रखे पूर्व पुलिस ऑफिसर डेरेक शोविन की तस्वीर ने न सिर्फ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होने लगे थे. उनके नाम पर बने स्मारक और भित्तिचित्र सांसदों और पुलिस विभागों में सुर्खियों में छा गए, चारों ओर बहस छिड़ गई कि वो कैसे अपनी नीतियों और दृष्टिकोण में बदलाव को लागू करेंगे.
महीनों बाद, देश ने शोविन के खिलाफ चले मुकदमे को देखा और लोगों ने तब राहत की सांस ली जब उन्हें दोषी ठहरा दिया गया. तमाम लोगों ने इस खुशी में जश्न मनाया, लेकिन मिनियापोलिस में कोर्ट हाउस से सिर्फ दस मील की दूरी पर डाउन्टे राइट के एक वीडियो के सामने आने के बाद प्रदर्शन फिर शुरू हो गए. इस वीडियो में पुलिस के हाथों एक और एफ्रो अमेरिकन की मौत कैद हुई थी. यह बेहद गंभीर क्षण था, जब देश में तमाम लोग ये उम्मीद लगाए बैठे थे कि देश न्याय व्यवस्था में सुधार के एक अहम मोड़ पर पहुंच चुका है.
पिछले एक साल के दौरान देश ने देखा कि कैसे पुलिस बल सुधार के आह्वान को दबाने की कोशिश में लगे रहे. इस बीच, काले लोगों के खिलाफ पुलिस वालों के अत्याचार संबंधी वीडियो भी सामने आते रहे. अत्याचार संबंधी ये तस्वीरें पुलिसिंग और नस्ली संबंधों के बारे में लोगों के नजरिए में बदलाव की दिशा में काफी अहम साबित हो रही हैं.
‘ब्लैक लाइव्स मैटर' के क्या मायने
‘ब्लैक लाइव्स मैटर' यानी ‘काले लोगों के जीवन का भी महत्व है' आंदोलन फ्लॉयड की हत्या से कई साल पहले से ही चल रहा था, लेकिन इस घटना ने इसे एकाएक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के आंदोलन में तब्दील कर दिया. विरोध प्रदर्शन एक-एक शहर में होने लगे, सांसदों और अन्य अधिकारियों पर पुलिस सुधार और सामाजिक न्याय संबंधी मांगों को सुनने का दबाव बढ़ने लगा. वॉशिंगटन डीसी में हजारों लोग ‘ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन के समर्थन में सड़कों पर उतर आए ताकि फ्लॉयड की हत्या से लोगों का ध्यान न हटने पाए.
कई हफ्ते तक आंदोलन चलता रहा और कई बार आंदोलनकारी आक्रामक हो गए और कई बार अमरीकी नेशनल गार्ड के साथ उनकी हिंसक झड़पें भी हुई हैं. इसके जवाब में, मेयर मुरियल बाउजर ने व्हाइट हाउस परिसर के बाहर ‘ब्लैक लाइव्स मैटर' को प्रदर्शित करते हुए एक भित्तिचित्र बनाने का आदेश दिया. इन प्रतीकात्मक संकेतों ने आंदोलन को मुख्यधारा की संस्कृति में लाने में काफी मदद की. ब्रांड्स, स्पोर्ट्स टीम और मशहूर हस्तियों ने भी इसमें शिरकत की और इस वजह से उनकी आलोचना भी हुई. एक साल के बाद, आंदोलन की गति धीमी पड़ गई है और इसकी पहचान भी धूमिल हो गई है.
जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में अफ्रीकन स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर मॉरिस हॉब्सन कहते हैं, "ब्लैक लाइव्स मैटर उन तमाम आंदोलनों में से एक है जो नागरिक और मानवाधिकारों के समर्थन में उभर रहे हैं. इसलिए, यकीन मानिए, आने वाले सालों में एक और गोली कांड हो सकता है, और वो उससे भी ज्यादा खतरनाक होगा जैसा कि जॉर्ज फ्लॉयड के साथ हुआ था. मेरा मतलब है, ये अमरीका है.” हॉब्सन कहते हैं कि हालांकि ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन को फ्लॉयड की मौत ने मुख्यधारा के आंदोलन की पहचान दी, लेकिन यह भी अन्य नागरिक आंदोलनों की एक पुनरावृत्ति ही है और इस तरह के समूह भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे.
पुलिस सुधारों की सुगबुगाहट नहीं
कानून प्रवर्तन अधिकारी आपराधिक गतिविधियों से लेकर मानसिक स्वास्थ्य संकट जैसे मामलों तक को संभालते हैं. सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले के तौर पर उनसे उम्मीद की जाती है कि वे स्थिति को सुलझा देंगे, लेकिन पुलिस में भर्ती होने वालों को प्रशिक्षण में हथियार और आत्मरक्षा कौशल पर जोर दिया जाता है. केंटकी में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के एक कार्यकर्ता केटुरा हेरॉन कहते हैं, "देश भर में औसतन, पुलिस अधिकारी 60 घंटे हथियारों का प्रशिक्षण लेते हैं और मामले को सुलझाने जैसा प्रशिक्षण सिर्फ 10 घंटे का होता है. मतलब, उनका प्रशिक्षण इस तरह होता है कि उन्हें पहले आक्रमण करना है."
हेरॉन कहते हैं, "पुलिसिंग की संरचना मामलों को संभालने के हिसाब से नहीं बनी है, जब तक कि वे ताकत के साथ जवाब नहीं देते. मुझे नहीं लगता कि यह कोई प्रशिक्षण है, मुझे लगता है कि हमें इस विचार को बदलने की जरूरत है."
अमेरिका में पुलिस विभाग में फंड को कम करने से लेकर पारदर्शिता बढाने तक सुझाव सामने आने लगे हैं. न्यूयॉर्क के इथाका में मेयर और शहर के अधिकारियों ने पुलिस विभाग को किसी नई सिटी एजेंसी से बदलने का प्रस्ताव दिया है. वॉशिंगटन डीसी में पुलिस अब मानसिक स्वास्थ्य संबंधी फोन कॉल्स का जवाब देने की पहल नहीं करती है. ऐसी स्थितियों में अब निहत्थे स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम पहले भेजी जाती है. लेकिन इसके साथ ही, पुलिस संघ इसका विरोध कर रहा है और वे पुलिस सुधारों के विरुद्ध सक्रियता से लड़ रहे हैं.
इतिहास का खेल
राष्ट्रपति जो बाइडेन, उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और डेमोक्रेटिक बहुमत वाली कांग्रेस ने पुलिस क्रूरता के खिलाफ कानून बनाने का समर्थन किया है. हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने पार्टी लाइन से हटकर हाल ही में पुलिस एक्ट में जॉर्ज फ्लॉयड कानून पारित किया है, जिसमें पुलिस प्रशिक्षण और उन तरीकों को अपनाने की बात कही गई है जिनसे शरीर को नुकसान नहीं होता. सीनेट में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुत न होने के कारण विधेयक अभी अधर में लटका हुआ है. सीनेट में रिपब्लिक सांसदों ने कहा है कि वे इस विधेयक का मौजूदा स्वरूप में समर्थन नहीं कर सकते हैं लेकिन यदि थोड़ा बहुत संशोधन हो जाए तो वो अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं.
कुछ पर्यवेक्षक इस बात पर आश्चर्य जताते हैं कि जो बाइडन और कमला हैरिस इसके लिए सही नेता नहीं हैं. एक सीनेटर के तौर पर, बाइडेन ने विधेयक का समर्थन किया था. कुछ लोगों के मुताबिक, इसकी वजह से एफ्रो-अमेरिकन पुरुष और महिलाओं ने उनका समर्थन किया था. उन्होंने 1994 के अपराध विधेयक का भी समर्थन किया था, जिसने कड़ी सजा का प्रावधान किया और उससे उत्पन्न समस्याओं का अमेरिका को आज भी सामना करना पड़ रहा है. सैन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी और फिर बाद में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल के तौर पर कमला हैरिस का आपराधिक न्याय सुधार के मामले में मिला-जुला रवैया रहा है. पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य के "तीन हड़ताल” कानून का बचाव किया जिसकी वजह से कई आपराधिक कृत्यों के लिए दोषी लोगों को दशकों लंबी जेल की सजा देने का प्रावधान हुआ.
हैरिस ने साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के उस नियम का विरोध किया जिसने कैलिफोर्निया को आदेश दिया था कि अहिंसक मामलों में सजा पाए हजारों लोगों को छोड़ दिया जाए क्योंकि जेलों में भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी और जेलों की स्थिति खतरनाक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन गई थी. साल 2016 में सेनेट के लिए चुने जाने के बाद हैरिस ने आपराधिक न्याय सुधार की दिशा में कई तरह के प्रयास किए. हॉब्सन कहते हैं, "मुझे लगता है कि उम्मीद अभी बाकी है. बाइडेन प्रशासन के पास अपने पुराने अविवेकपूर्ण कार्यों के लिए प्रायश्चित करने का एक सुनहरा अवसर है. लेकिन मुझे अभी ऐसा होता नहीं दिख रहा है. जब तक ऐसा नहीं होता, मुझे यह इतिहास का खेल ही लग रहा है.”
अप्रैल में यूएस कैपिटोल में अपने पहले संबोधन में बाइडेन ने कांग्रेस से आपराधिक न्याय सुधार विधेयक को पास करने और मई के अंत तक उनके पास भेज देने को कहा था. यह समय सीमा खत्म हो जाएगी और बाइडेन का पिछला एजेंडा कई लोगों के संदेह के घेरे में छोड़ देता है कि क्या वे ऐसा करेंगे. हेरॉन कहते हैं, "मुझे नहीं लगता है कि हमें उनसे कुछ खास उम्मीद रखनी चाहिए. मुझे लगता है कि हमें अपनी यह मांग जारी रखनी चाहिए कि वे कुछ करें.”
रिपोर्ट: डेविड स्लोन, वाशिंगटन से