अभी पूरा नहीं हो सकेगा वेदांता का सपना
२४ मई २०१८भारत के अरबपतियों में शुमार वेदांता के चैयरमेन अनिल अग्रवाल का सपना रहा है कि उनकी कंपनी वेदांता रिसोर्सेज दुनिया में विशाल संसाधन संपन्न कंपनी बन जाए. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वह कई बड़ी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदते रहे हैं. हाल में उनकी योजना अफ्रीका में तकरीबन एक अरब यूरो के निवेश की भी थी. लेकिन उनके इस सपने पर फिलहाल फुल-स्टॉप लगता नजर आ रहा है.
तूतीकोरिन में हुई हिंसा के बाद वेदांता अनिल अग्रवाल ने एक इंटव्यू में कहा है कि वह तूतीकोरिन की योजना से पीछे हटने पर विचार कर रहे हैं. कंपनी ने तूतीकोरिन में हुई घटना पर खेद जताया. कंपनी ने कहा कि वह प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि कर्मचारियों समेत आसपास के समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इन सब के बावजूद कारोबारी हालात वेदांता के लिए जल्द सामान्य होंगे, इस पर संदेह है.
बैंकर्स और विश्लेषकों के मुताबिक देश में वेदांता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, अदालत में लगा जुर्माना, बड़ी योजनाओं और खदानों का बंद होना और पर्यावरण के नुकसान का आरोप, कंपनी से बड़ी कीमत वसूल सकता है. विश्लेषक मानते हैं कि इन सब बातों से कंपनी की साख को धक्का लगा है. नतीजतन यह कंपनी के चैयरमेन की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है. तूतीकोरिन: किसकी पुलिस, किसकी जनता?
सलाहकारी कंपनी इनगवर्न के कार्यकारी निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यम कहते हैं, "इन मामलों के बाद अब निवेशक अधिक सचेत होकर निवेश करेंगे. इसका असर कारोबार पर लंबे समय तक नजर आएगा. सुब्रमण्यम कहते हैं, "तूतीकोरिन में हुई हिंसा इस ओर भी इशारा करती है कि कंपनी ने पर्यावरण और स्वास्थ्य कारकों की ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया."
पिछले महीने अपने ट्वीट कर अग्रवाल ने कहा था कि उनकी कंपनी विदेशी साजिश का शिकार हो रही है. बिना किसी कंपनी का नाम लिए उन्होंने कहा था कि यह ऐसी साजिश है जो भारत को आयात पर निर्भर बनाए रखने के लिए चलाई गई है. तूतीकोरिन में हुई हिंसा के बाद अदालत ने भी वेदांता की चार लाख टन प्रतिवर्ष स्टरलाइट कॉपर परियोजना के विस्तार पर रोक लगा दी है. वेदांता ने ऐसे सारे आरोपों को भी खारिज किया है जिनमें कहा गया है कि वह संयंत्र को जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश कर रही है.
विश्लेषकों के मुताबिक कंपनी के कुल लाभ में कॉपर की हिस्सेदारी करीब 8 फीसदी है. वेदांता पर मचे इस विवाद ने कंपनी के शेयरों को काफी नीचे धकेल दिया है. साल 1996 में चालू हुए वेदांता के इस तूतीकोरिन प्लांट के खिलाफ पहले भी कई मामले सामने आए हैं. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी पर पर्यावरण कानून तोड़ने के चलते 1.8 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था. इसके पहले 2010 में ओडिशा की नियामगिरी की पहाड़ियों पर माइनिंग क्लियरेंस के मामले में वेदांता का नाम उछला था लेकिन कंपनी को केंद्रीय पर्यावरण और वन्य मंत्रालय ने नियामगिरी में माइनिंग का क्लियरेंस देने से इनकार कर दिया था.
एए/आईबी (रॉयटर्स)