अफ्रीकी संघ के 50 साल
अफ्रीकी एकता संगठन ओएयू जब 25 मई 1963 को बनाया गया तो अफ्रीका के 30 देश इसमें शामिल हो गए. राजनीतिक संघ से उम्मीद थी कि वह अफ्रीका का विभाजन रोके.
महिला प्रमुख
2012 में कोसाजाना डलामिनी जुमा पहली बार अफ्रीकी संघ की प्रमुख चुनी गई.
विभाजन के खिलाफ
अफ्रीकी एकता संगठन की स्थापना 25 मई 1963 में हुई. इसे अफ्रीका में विभाजन कम करना था.
पैन अफ्रीकी
क्वामे नक्रुमाह (बाएं), घाना के पहले राष्ट्रपति, इथियोपिया के राजा हाइले सेलासी (बीच में) एयू के संस्थापक हैं.
साझा विपक्ष
ओएयू का एक दशक तक काम था दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद के खिलाफ लड़ाई. 1970 में संगठन ने सशस्त्र विरोध का भी समर्थन किया.
नई बयार
लागोस एक्शन प्लान के बाद 1980 में एयू में संपन्नता आई. 2000 तक साझा बाजार स्थापित करने में भी उन्होंने सफलता पाई.
विवादास्पद नीति
सीमा विवाद में नहीं पड़ने वाले कानून के बावजूद ओएयू ने 1982 में पश्चिमी सहारा में आजादी की लड़ाई का उन्होंने समर्थन किया. मोरक्को तब से एयू से बाहर है.
नापसंद सैन्य नेता
1990 की शुरुआत में अफ्रीका ने अपने संकट की जिम्मेदारी खुद लेनी शुरू की. 1996 में बुरुंडी में सैन्य तख्तापलट के बाद ओएयू ने उस पर प्रतिबंध लगाए.
राहत की सांस
ओएयू के लिए बड़ी राहत तब आई जब 1994 में दक्षिण अफ्रीका संगठन में आया. इस समय तक अदीस अबाबा संगठन का अहम देश था.
नई शुरुआत
शीत युद्ध के खत्म होने के साथ ओएयू में नया दौर शुरू हुआ. लीबिया के प्रमुख मुअम्मर अल गद्दाफी ने पैन अफ्रीका के विचार से यूनाइटेड अफ्रीका को जीवंत करना चाहा.
ओएयू से अफ्रीकी संघ
गद्दाफी कामयाब नहीं हो सके. उनकी योजना के कारण यूनियन में काफी मतभेद हुआ. और फिर यह अफ्रीकी संघ एयू में तब्दील हुआ.
ताकतहीन संस्था
एयू यूरोपीय संघ की तरह बनी. इसकी एक संसद भी बनी. 47 देशों के 235 प्रतिनिधि 2004 में बनी संसद में सामिल हुए.
शांति के लिए
2004 में अफ्रीकी संघ ने एक सुरक्षा और शांति के लिए एक परिषद बनाई. जो बीच बचाव भी कर सकती थी. इसी समय एयू ने दारफुर संकट के लिए सैनिक भी भेजे.