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अपने पद को लेकर चिंता नहीं: दलाई लामा

२१ नवम्बर २००९

तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा है कि अपने पद को लेकर उन्हें कोईं चिंता नहीं. उनका कहना है कि अगर लोगों को लगेगा कि दलाई लामा की ज़रूरत नहीं तो ये पद नहीं रहेगा और फिर उनका उत्तराधिकारी किसी और ढंग से चुना जा सकता है.

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'अपने पद की चिंता नहीं'तस्वीर: AP

नई दिल्ली में एक व्याख्यान में दलाई लामा ने ये बात कही. उनका ये जवाब उस सवाल के जवाब में था कि क्या कभी कोई महिला भी दलाई लामा बन सकती है. इस पर धर्मगुरु ने सीधे तो कोई जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि ये लोगों की इच्छा पर निर्भर है कि वो क्या और कैसी व्यवस्था चाहते हैं.

दलाई लामा ने इस मौके पर एक बार फिर चीन को आड़े हाथ लिया और उसे खूब खरी खोटी सुनाई. उन्होंने कहा कि चीन की जनता को भी वास्तविकता जानने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि चीनी सरकार को सेंसरशिप और वितंडा भरा प्रचार छोड़ना होगा.

दलाई लामा ने कहा कि वो भारत की कद्र करते हैं कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हिफ़ाज़त में वो अग्रणी हैं और वो दुनिया के विभिन्न मंचों पर भारत की तरफ़दारी भी करते हैं. दलाई लामा के मुताबिक एशिया के ताक़तवर देशों में भारत को भी वो एक मानते हैं. और इसकी पैरवी हमेशा करते रहे हैं.

दलाई लामा ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और यहां कुछ कमियां हो सकती हैं लेकिन बुनियादी रूप से वो बहुत लोकतांत्रिक देश है. लेकिन दलाई लामा भारत में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर भी बोलने से नहीं चूके.

और तो और उन्होंने व्याख्यान में आए अहम न्यायविदों की मौजूदगी में यहां तक कह दिया कि न्यायपालिका में कुछ पॉकेट मनी शायद चलता होगा. उन्हें बताया गया कि व्याख्यान में गणमान्य न्यायविद भी आए हुए हैं तो दलाई लामा ने हंसते हुए कहा कि वे माफ़ी मांगते हैं कि ज़्यादा ही कड़ी बात बोल गए.

ये व्याख्यान जस्टिस सुनंदा भंडारे फाउंडेशन की तरफ़ से आयोजित किया गया था.

लेकिन दलाई लामा का ये तीखा बयान इसलिए भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया क्योंकि उनके भाषण में सर्वत्र भारत की प्रशंसा ही थी और बताया जाता है कि व्याख्यान में आए मेहमानों ने भी दलाई लामा की टिप्पणी को तूल देने से परहेज़ ही किया.

रिपोर्ट-एजेंसियां/एस जोशी

संपादन-ओ सिंह