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मेघालय से छिन सकती है 'धरती पर सबसे भीगी जगह' की उपाधि

प्रभाकर मणि तिवारी
२७ सितम्बर २०२४

पर्यावरणविदों का कहना है कि पूर्वोत्तर के मेघालय राज्य में झूम की खेती, बढ़ती आबादी और बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई के साथ ही ग्लोबल वार्मिंग इलाके में बारिश के कम होने की प्रमुख वजहें हैं.

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चेरापूंजी के पास नोहकालिकाई में स्थित एक मशहूर झरना
चेरापूंजी के पास नोहकालिकाई में स्थित एक मशहूर झरना तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

पूर्वोत्तर राज्य मेघालय स्थित चेरापूंजी, जिसे अब सोहरा के नाम से जाना जाता है, को लंबे समय तक दुनिया की सबसे भीगी जगह कहा जाता था. लेकिन कुछ साल पहले 15 किमी दूर मावसिनराम ने चेरापूंजी को पीछे छोड़ते हुए यह रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. लेकिन अब मावसिनराम से भी 'धरती पर सबसे भीगी जगह' की उपाधि छिनने का खतरा है. पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में तिब्बत की सीमा से सटे कुरुंग कुमे जिले के मुख्यालय कोलोरियांग ने दुनिया में सबसे बारिश वाली जगह के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है.

बीते कुछ वर्षो से एक ओर जहां इन दोनों इलाकों में बारिश में गिरावट दर्ज की जा रही है वहीं मौसम का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है. इस साल 22 सितंबर को चेरापूंजी में रिकार्ड 33.1 डिग्री तापमान दर्ज किया गया. 20 सितंबर से ही अधिकतम तापमान 30 से 33 डिग्री के बीच घूम रहा है. कभी जो छाता लोगों को बारिश से बचाने के काम आता था अब उसका इस्तेमाल लोग तेज धूप से बचने के लिए कर रहे हैं. यह सुनकर हैरत हो सकती है कि चेरापूंजी में लोगों को बीते कुछ वर्षों से गर्मी और जाड़े के सूखे सीजन में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.

पर्यावरणविद इस बदलाव पर क्या कहते हैं 

मौसम विज्ञानी डॉ. प्रथमेश हाजरा डीडब्ल्यू से बातचीत में बताते हैं, "जुलाई से सितंबर के तीन महीनों के दौरान इलाके का औसतन अधिकतम तापमान 23 डिग्री रहता है." मावसिनराम ने दो साल पहले 17 जून 2022 को चेरापूंजी को पछाड़ते हुए एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड अपने नाम किया था. उस दिन 24 घंटे के दौरान वहां 1003.6 मिमी बारिश हुई थी और चेरापूंजी में 972 मिमी. लेकिन अब मावसिनराम से भी दुनिया की सबसे भीगी जगह का तमगा छिनने का खतरा है.

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पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में तिब्बत की सीमा से सटे कुरुंग कुमे जिले के मुख्यालय कोलोरियांग ने दुनिया में सबसे बारिश वाली जगह के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है. समस्या यह है कि यहां होने वाली बारिश का कोई आधिकारिक आंकड़ा नही होने के कारण अब तक यह रिकॉर्ड उसके नाम नहीं हो सका है. लेकिन स्थानीय अधिकारियों और लोगों का दावा है कि बीते दो-तीन वर्षों से वहां मावसिनराम और सोहरा से ज्यादा बारिश होती रही है.

मेघालय के वरिष्ठ पर्यावरणविद एम. खोंगताव डीडब्ल्यू से कहते हैं, "मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सोहरा में हर साल होने वाली बारिश में औसतन 27.15 मिमी की कमी दर्ज की जा रही है. मावसिनराम में भी ऐसा ही हो रहा है. दुनिया की सबसे भीगी जगहों में से एक होने के बावजूद बीते कुछ वर्षो से चेरापूंजी को गर्मी के सीजन में पीने के पानी की भारी किल्लत से जूझना पड़ रहा है. लोगों को गर्मी के अलावा जाड़ों में भी ऊंची कीमत पर निजी टैंकरों से पानी खरीदना पड़ता है.

जंगलों की कटाई से आता तेज बदलाव

वह बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के अलावा तेजी से होने वाला शहरीकरण और लाइमस्टोन की खदानों के कारण इलाके में मौसम बदल रहा है. इसके साथ ही इलाके में जंगल तेजी से कट रहे हैं.

इंडिया स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट, 2021 में बताया गया था कि वर्ष 2019 से 2021 के बीच राज्य में 73 वर्ग किमी जंगल साफ कर दिए गए. उसके बाद का आंकड़ा फिलहाल उपलब्ध नहीं है. पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से साफ होते जंगल और कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते उत्सर्जन के कारण इलाके की जलवायु पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है. 

मेघालय के शोधार्थी और पर्यावरण कार्यकर्ता बानियातेलंग मजाव के हालिया शोध में कहा गया है कि राज्य में बीते पांच वर्षों के दौरान बारिश की मात्रा में 15 फीसदी की गिरावट आई है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा परिस्थिति के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं. इनमें जलवायु परिवर्तन के अलावा पेड़ों की कटाई पर रोक के साथ ही जल प्रबंधन उपायों को ठीक से लागू नहीं करना शामिल हैं. 

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नार्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी (नेहू) ने भी इस साल जून में जारी अपनी एक शोध रिपोर्ट में चेरापूंजी के मौसम में निकट भविष्य में कई अहम बदलावों का संकेत दिया था. भौतिकी विभाग के राजू कलिता, दीपंकर कलिता और अतुल सक्सेना की ओर से तैयार इस शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में चोरापूंजी इलाके में तापमान बढ़ेगा. खासकर जाड़े के सीजन में तापमान काफी नीचे गिर सकता है और उस दौरान बारिश नहीं होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, निकट भविष्य में इलाके के न्यूनतम और अधिकतम तापमान में हर महीने उतार-चढ़ाव की संभावना है.

अरुणाचल प्रदेश में कोलोरियांग बन सकती है सबसे भीगी जगह

अब अरुणाचल प्रदेश के कोलोरियांग के सरकारी अधिकारी और उसके लोग दुनिया की सबसे भीगी जगह होने का दावा कर रहे हैं. लेकिन इलाके में बारिश की मात्रा रिकॉर्ड करने के लिए कोई केंद्र नहीं है. इसी वजह से अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू से वहां एक मौसम विज्ञान केंद्र स्थापित करने की अपील की है.

राजधानी ईटानगर से कोई 225 किमी दूर बसे इस जिला मुख्यालय में रहने वाले एन. गुंग्ताम डीडब्ल्यू को बताते हैं, "यहां साल में तीन महीने (अक्टूबर से दिसंबर) के दौरान ही सूरज के दर्शन होते हैं. बाकी नौ महीने भारी बारिश होती रहती है. गर्मी के सीजन में तो यहां रोजाना बारिश होती है."

कुरुंग कुमे जिला परिषद के प्रमुख रहे संघ तागिक डीडब्ल्यू से कहते हैं, "यहां बारिश की मात्रा रिकॉर्ड की गई होती तो हमने चेरापूंजी और मावसिनराम को बहुत पहले ही पीछे छोड़ दिया होता. दुनिया की सबसे भीगी जगह का दर्जा मिलने पर यहां पर्यटकों की आवक बढ़ेगी जिससे इस दुर्गम इलाके की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी."

कोलोरियांग में अक्तूबर से दिसंबर के तीन महीनों को छोड़ कर पूरे साल भारी बारिश होती है. इससे जमीन धंसने की घटनाएं होती रहती हैं और अक्सर इलाके का सड़क संपर्क टूट जाता है. कोलोरियांग बाजार में दुकान चलाने वाले के. येफा कहते हैं कि भारी बारिश के अपने खतरे हैं. हमें हमेशा जमीन धंसने का डर सताता है. सड़क संपर्क टूट जाने के कारण अक्सर जरूरी चीजों की किल्लत पैदा हो जाती है. लगातार होने वाली बारिश से किसानों को भी भारी मुश्किल पेश आती है. कई बार उनकी फसलें नष्ट हो जाती हैं.