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महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, राज्यसभा में चर्चा

२१ सितम्बर २०२३

लोकसभा में मंगलवार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम या महिला आरक्षण बिल दो तिहाई बहुमत से पास हो गया. आज यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा.

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भारतीय संसद
भारतीय संसदतस्वीर: AP Photo/picture alliance

बुधवार को महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं की कुल सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करने की मांग करने वाले संविधान के 128वें संशोधन विधेयक को लोकसभा ने मंजूरी दे दी. इस बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम है.

बिल को मत विभाजन के बाद पारित किया गया, जिसमें 454 सांसदों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया, जबकि 2 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया. ये सांसद एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के पार्टी के हैं.

लोकसभा में इस बिल पर करीब आठ घंटे बहस चली. आज यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा. वहां भी इसे आसानी से पास कर दिए जाने की उम्मीद है.

लोकसभा में बहस के दौरान विपक्षी दलों ने मांग की कि बिल में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटा होना चाहिए. कांग्रेस ने बहस के दौरान कहा कि महिला आरक्षण कानून को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए. बहस के दौरान कांग्रेस सांसद ने कहा भारत सरकार में 90 सचिव हैं जिनमें केवल तीन ओबीसी से आते हैं.

इसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश सचिव नहीं सरकार चलाती है. शाह ने कहा बीजेपी के 85 सांसद ओबीसी हैं, प्रधानमंत्री ओबीसी हैं, 29 केंद्रीय मंत्री ओबीसी और देशभर की विधानसभाओं में 27 फीसदी से अधिक बीजेपी विधायक ओबीसी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा से महिला आरक्षण बिल के पारित होने पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट किया, "नारी शक्ति वंदन अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून है जो महिला सशक्तिकरण को और बढ़ावा देगा. इससे राजनीतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी."

वहीं बहस के दौरान एआईएमआईएम ने मुस्लिम महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की. बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा है कि महिला आरक्षण कानून में एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण में अलग से कोटा दिया जाए.

मायावती ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यह (महिला आरक्षण) बिल आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के कारण लाया गया है. यह साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है. लेकिन आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने का एक प्रयास है.

बुधवार को बहस की शुरूआत करते हुए कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने कहा था कानून बनते ही इसे जल्द से जल्द लागू करा दिया जाए. उन्होंने कहा इसमें देरी भारत की महिलाओं के साथ नाइंसाफी होगी. सोनिया ने कहा, "जाति जनगणना कराकर इसमें ओबीसी, एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं के लिए कोटे की व्यवस्था करें."

परिसीमन के बाद 2029 में मुमकिन

आरक्षण कानून बनने के 15 वर्षों तक लागू रहेगा और संसद इसे आगे बढ़ा सकती है. नये परिसीमन के बाद ही महिला आरक्षण लागू हो पाएगा. परिसीमन नई जनगणना के बाद होगा. देश में 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है. ऐसा कहा जा रहा है कि जनगणना 2024 के बाद हो सकती है. परिसीमन 2025 के बाद होगा यानी 2024 के आम चुनाव में या 2025 तक के विधानसभा चुनावों में कानून लागू नहीं हो सकेगा.

महिला आरक्षण बिल के कानून बनने से पहले इसके आगे परिसीमन की शर्त है. परिसीमन अगली जनगणना के बाद ही होगा. उसके बाद ही महिला आरक्षण कोटा लागू किया जा सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह 2029 चुनाव से लागू हो सकता है. लेकिन स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि इसे लागू होने में 2029 के बजाय 2039 तक का समय लग सकता है.

उन्होंने ट्वीट कर अपनी बात समझानी की कोशिश की. उन्होंने लिखा, "मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि महिला आरक्षण 2029 में लागू होगा. दरअसल इसे साल 2039 तक लागू नहीं किया जा सकता. ज्यादातर मीडिया रिपोर्ट्स परिसीमन खंड के वास्तविक महत्व को नजरअंदाज करती हैं. अनुच्छेद 82 के तहत 2026 के बाद पहली जनगणना के आंकड़ों से पहले परिसीमन नहीं लागू किया जा सकता. जनगणना अब 2031 तक ही संभव है."

यादव ने कहा कि जनगणना साल 2027 के बजाय 2031 में होगी, जिसके बाद परिसीमन को लागू किया जाएगा. उन्होंने यह भी दावा किया कि परिसीमन आयोग की अंतिम रिपोर्ट आने में तीन-चार साल का वक्त लग जाएगा.