जर्मनी में भेड़ियों के लिए पलट गए लोगों के जज्बात
जर्मनी में भेड़ियों की संख्या बढ़ गई है और किसानों की शिकायत है कि भेड़िये उनके मवेशियों की जान ले ले रहे हैं. जर्मनी में एक ऐसा भी समय था, जब भेड़िये लुप्त हो चुके थे.
भेड़ियों के खिलाफ प्रदर्शन
जर्मनी के लोअर सैक्सनी राज्य के अउरीक कस्बे में हाल ही में मवेशी पालने वाले करीब 3,000 किसान इकठ्ठा हुए. किसानों का कहना था कि मौजूदा कानून के कारण वो अपने मवेशियों को भेड़ियों के हमलों से बचा नहीं पा रहे हैं.
आजीविका को खतरा
उत्तर-पश्चिमी तटीय इलाके में किसानों का कहना है कि भेड़ियों की बढ़ती आबादी की वजह से उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है. उनका कहना है कि भेड़ों, बकरियों, घोड़ों और दूसरे पशुओं पर हमले बढ़ गए हैं.
हजारों हमले
'फेडरल डॉक्यूमेंटेशन एंड अडवाइस सेंटर फॉर वूल्व्स' के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो दशकों में हमलों की संख्या लगातार बढ़ी है. 2021 में करीब 3,500 हमले हुए और भेड़ियों ने करीब 1,000 मवेशियों को मार डाला.
फिर वापस आए भेड़िये
भेड़िये जर्मनी में करीब 100 सालों तक विलुप्त रहे थे. लेकिन जर्मनी के एकीकरण के बाद वो पोलैंड से सीमा पार कर यहां आने लगे. जर्मनी में किसान संगठनों का अनुमान है कि 2023 तक पूरे देश में भेड़ियों की संख्या बढ़कर 2,700 हो जाएगी.
कड़ा संरक्षण
जर्मनी में भेड़ियों की वापसी लंबे समय से किसानों और पर्यावरणविदों के बीच विवाद का कारण रही है. भेड़ियों के संरक्षण को लेकर कड़े कानून हैं और सिर्फ असाधारण परिस्थिति में ही किसी भेड़िये को गोली मारी जा सकती है.
'भेड़िया-मुक्त' इलाकों की मांग
शिकारी और किसान तट के किनारे ऐसे इलाकों की मांग कर रहे हैं, जिन्हें भेड़ियों के झुंड से मुक्त रखा जा सके. इन इलाकों में समुद्र के पानी और बाढ़ से बचाने के लिए छोटे-छोटे बांधों का एक नेटवर्क है. इन पर घास चरने वाली भेड़ें अपने खुरों से वहां की मिट्टी को अच्छे से दबा देती हैं. किसान खासतौर पर इन भेड़ों की भेड़ियों से रक्षा करना चाहते हैं.
नन्ही रेड राइडिंग हुड
भेड़िये जर्मन समाज में ध्रुवीकरण कर रहे हैं. कुछ लोग उन्हें गोली मार देना चाहते हैं, तो कई लोग किसी भी कीमत पर उन्हें सुरक्षित रखना चाहते हैं. हम भेड़ों को कैसे देखते हैं, यह साहित्य और कला से प्रभावित है जहां सदियों से "बिग बैड वुल्फ" ने जर्मनी के लोगों को डराकर रखा हुआ है.