कुत्ते की पूंछ इतना डांस क्यों करती है
हम सोचते हैं, कुत्ता पूंछ हिलाकर खुशी जाहिर करता है. लेकिन कुत्ता तो अक्सर बहुत तेज-तेज पूंछ हिलाता है, तो क्या इसका मतलब हुआ कि उसकी खुशी भी इसी अनुपात में होती है? कुत्तों के इस "पूंछ डांस" की पहेली आखिर है क्या?
खुश कुत्ते की तस्वीर
मान लीजिए, आपके साथ एक कुत्ता रहता है. उसके साथ आपका राब्ता यूं है कि आप उसके इंसान, वो आपका कुत्ता. आप बड़ी देर बाद घर लौटते हैं, आहट पहचानकर कुत्ता पहले ही दरवाजे पर खड़ा है और कूदकर आपसे लिपट गया है. वो आपको देखकर बहुत खुश हुआ, इसका सबसे मजबूत संकेत देती है एक लय में डोलती उसकी पूंछ.
पूंछ की लय
पूंछ के हिलने की अपनी एक लय होती है. कभी कुत्ता सिर को एक तरफ झुकाकर पूंछ हिलाता है, तो कभी पीछे के हिस्से को थोड़ा सा टेढ़ा कर लेता है. पूंछ के हिलने की दिशा के आधार पर भी कुत्ते की भावना मापी जाती है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कुत्ता दाहिनी ओर पूंछ हिला रहा है, मतलब अच्छा महसूस कर रहा है. वहीं बाईं ओर पूंछ हिलाने का मतलब यह समझा जाता है कि वो डर या तनाव में है, पीछे हटना चाहता है.
कुत्ते पूंछ हिलाते क्यों हैं?
एक हाइड्रोजन एटम, एक ऑक्सीजन एटम, मिलकर बना हाइड्रॉक्सिल आयॉन. कुत्ते का पूंछ हिलाना कैमेस्ट्री इक्वेशन की तरह स्पष्ट नहीं है. वैज्ञानिक अब भी इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन एक हालिया स्टडी में शोधकर्ताओं ने इसके कुछ अनुमान बताए हैं. इसके मुताबिक, बात इतनी नपी-तुली नहीं कि हिलती पूंछ माने कुत्ता खुश. बायोलॉजी लेटर्स में छपे इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पहले हुए शोधों को भी खंगाला है.
पालतू बनाए जाने का विकासक्रम
माना जाता है कि कुत्तों को पालतू बनाने की शुरुआत 15,000 से 50,000 साल पहले हुई. दुनिया में जहां कहीं भी इंसान रहते हैं, वहां कुत्ते भी पाए जाते हैं. यानी इंसानों का हजारों साल से कुत्तों के साथ सीधा रिश्ता है. ऐसे में मुमकिन है कि पूंछ हिलाना, कुत्ते के लिए संवाद का एक तरीका है. पूंछ सीधी है कि मुड़ी हुई, वो हिल रही है कि नहीं, ये इंसान को समझ आने वाले सबसे जाहिर संकेत हैं.
इंसानों के साथ जुड़ाव का नतीजा
पूंछ हिलाने का संबंध डोमेस्टिकेशन प्रोसेस से हो सकता है. कुछ पुराने शोध भी बताते हैं कि कुत्तों को पालतू बनाने के क्रम में इंसानों ने उनसे खास बर्ताव की उम्मीद की होगी. जैसे कि उन्हें वश में करना, आज्ञाकारी बनाना. मुमकिन है इसी वजह से कुत्तों में ये आदत बनी हो और आनुवांशिक याददाश्त के कारण उनके भीतर अब भी वही गुण मौजूद हो.
लय के लिए हमारा खिंचाव
शोध के लेखकों का अनुमान है कि कुत्तों को पालतू बनाने के दौरान जाने-अनजाने इंसानों ने उनके पूंछ हिलाने को सराहा हो. क्योंकि हम इंसान ऐसी लयबद्ध हरकतों से आकर्षित होते हैं, हमें ऐसी अभिव्यक्तियां भाती हैं.
भौंकना बनाम पूंछ हिलाना
कुत्ते का बड़ी देर तक भौंकते रहना या उसकी लगातार नाचती दुम, आपको दोनों में से क्या ज्यादा पसंद है? कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि शायद पालतू कुत्तों ने भी इंसानी वरीयताओं के मुताबिक खुद को ढालते हुए ये आदत विकसित हो. भौंकने की आवाज से इंसान नाराज होता हो, कुत्ते को चुप कराता हो और मुमकिन है कि कुत्तों ने ये भांपकर इंसानी पसंद के हिसाब से संवाद-संकेत का अलग तरीका विकसित किया हो.
हम सिर्फ बोलकर तो नहीं बात करते
इंसान के पास अभिव्यक्ति के लिए भाषा की गुंजाइश है. हम लिख सकते हैं, बोल सकते हैं, हमारे पास सैकड़ों भाषाओं के विकल्प हैं. तकरीबन हर दुनियावी चीज और भाव को समझने-समझाने के लिए खास शब्द हैं. तब भी हम सिर्फ बोलकर नहीं बात करते. हाथ हिलाते हैं, पुतलियां नचाते हैं. ये भी अभिव्यक्ति के संकेत हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि कुत्ता भी पूंछ हिलाकर भाव जाहिर करता है, जिसे हम आसानी से समझ लेते हैं.
जानवरों के खुश होने का तरीका
हमारी तरह जानवर भी कई भाव महसूस करते हैं. जैसे दर्द, डर, भूख, सेक्स की चाह. लेकिन जानवर के लिए खुशी का क्या मतलब है, इसे हम अक्सर अपने दायरे में बांध देते हैं. उनकी भावना का इंसानीकरण करने लगते हैं. मुमकिन है कि इससे जानवरों के प्रति करुणा पैदा होती हो, लेकिन वैज्ञानिक नजरिये से "एनिमल हैपीनेस" की कोई ठोस परिभाषा नहीं है.