यूएनएसी में भारत को स्थायी सीट का समर्थन करने वाले देश
दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रेस वार्ता के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है. जानते हैं और कौन-कौन से देश इसके समर्थन में हैं.
तुर्की
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने जी20 शिखर सम्मेलन के इतर पीएम मोदी से 10 सितंबर को मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई. एर्दोवान ने प्रेस वार्ता में कहा कि दक्षिण एशिया में भारत तुर्की का सबसे बड़ा साझेदार है. उन्होंने यूएनएससी में भारत के लिए स्थायी सीट का समर्थन किया है. उन्होंने कहा अगर भारत जैसा देश यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनता है तो उनके देश को "गर्व" होगा.
"दुनिया पांच से बड़ी"
एर्दोवान ने साथ ही कहा जब हम कहते हैं कि दुनिया पांच से बड़ी है तो इसका मतलब यह है कि यह केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के बारे में नहीं है. उन्होंने कहा हम केवल इन पांच देशों को यूएनएससी में रखना नहीं चाहते. एर्दोवान ने कहा कि सभी गैर-पी5 सदस्यों को बारी-बारी से सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने का अवसर मिलना चाहिए.
अमेरिका
जी20 शिखर सम्मेलन के पहले दिल्ली में 8 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बातचीत हुई थी. बाइडेन ने बैठक में यूएनएससी में सुधार किए जाने और उसमें भारत की स्थायी सदस्यता होने के प्रति अपना समर्थन दोहराया. दोनों देशों के साझा बयान के मुताबिक बाइडेन ने यूएनएससी में 2028-29 में गैर-स्थायी सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी का एक बार फिर से स्वागत किया.
भारत के समर्थक देश
यूएनएससी में भारत को स्थायी सदस्य बनाने की मांग लंबे समय से उठती रही है. इसके चार सदस्य रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस, भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन करते रहे हैं लेकिन चीन की असहमति की वजह से यह अब तब मुमकिन नहीं हो पाया है.
वीटो पावर का खेल
यूएनएससी में अगर कोई फैसला लिया जाता है तो उसके पांच स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है. अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस को वीटो पावर हासिल है. वीटो पावर का मतलब है कि यूएनएससी में स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई एक सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल कर उस फैसले को रोक सकता है. कई ऐसे मौके आए है जब चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर किसी प्रस्ताव को पारित होने से रोका है.
मोदी ने की यूएनएससी के विस्तार की पैरवी
जी20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंपने से पहले मोदी ने 'एक भविष्य' सत्र को संबोधित करते हुए यूएनएससी के विस्तार और सभी वैश्विक संस्थाओं में सुधार की वकालत की. मोदी ने कहा जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 सदस्यों के साथ हुई थी, तो दुनिया अलग थी और अब सदस्य देशों की संख्या लगभग 200 हो गई है. बावजूद इसके यूएनएससी में स्थायी सदस्य आज भी उतने ही हैं. तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है.
स्थायी सदस्य कैसे बनता है कोई देश
अगर किसी देश को स्थायी सदस्य बनाना है तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन करना होगा. जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा की सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से हस्ताक्षर और समर्थन देना होगा. इसमें 5 स्थायी सदस्यों की सहमति जरुरी है. इन पांच में से किसी एक देश ने भी वीटो कर दिया तो उस देश को स्थायी सदस्यता नहीं मिल सकती है.