गाजा पट्टी में रहने वाले लोग कौन हैं?
११ अक्टूबर २०२३गाजा पट्टी इस्राएल, मिस्र और भूमध्यसागर से घिरा एक छोटा सा इलाका है, जो दुनिया की सबसे घनी आबादी वाली जगह है.
इस्लामी आतंकवादी गुट हमास ने 7 अक्टूबर सेइस्राएल पर हमले करने शुरू किए. यूरोपीय संघ, अमेरिका और कुछ अरब देशों ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
गाजा पट्टी के 10 किलोमीटर चौड़े और 41 किलोमीटर लंबे इलाके में 20 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. इसका मतलब है प्रति किलोमीटर 5,500 इंसान. इस्राएल में प्रति किलोमीटर 400 लोगों की औसत आबादी रहती है.
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गाजा पट्टी में कौन लोग रहते हैं?
गाजा पट्टी में रहने वाले लोग फलस्तीनी हैं. इनमें वो लोग भी हैं, जो वहां के मूल निवासी हैं और साथ ही वो शरणार्थी भी, जो 1948 में इस्राएल के गठन और फिर इस्राएली और फलस्तीनियों में सैन्य संघर्ष होने के बाद वहां से भाग कर गाजा पट्टी आए.
गाजा पट्टी के ज्यादातर लोग उत्तरी हिस्से में रहते हैं, खासतौर से गाजा सिटी में. यहां की आबादी काफी युवा है और उनमें 40 फीसदी से ज्यादा की उम्र 15 साल से कम है.
पश्चिमी तट में क्या अलग है?
फलस्तीनी इलाकों में गाजा पट्टी और इस्राएल के कब्जे वाला पश्चिमी तट शामिल है. पश्चिमी तट के साथ पूर्वी यरुशलम की सीमा इस्राएल, मृत सागर और जॉर्डन से लगती है.
ज्यादा बड़ा और कम घनी आबादी वाला पश्चिमी तट, गाजा पट्टी से काफी अलग है. यहां फतह पार्टी का शासन है, जो फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) का सबसे मजबूत धड़ा है. यह इस्राएल के अस्तित्व को स्वीकार करता है और ज्यादातर पश्चिमी देश उसे फलस्तीनी लोगों का प्रतिनिधी मानते हैं.
गाजा का प्रशासन किसके हाथ में हैं?
2007 से गाजा पट्टी का प्रशासन इस्लामी गुट हमासके हाथ में है. इस गुट ने अपने चार्टर में इस्राएल के साथ शांति प्रक्रिया को खारिज किया है और इस्राएल को तबाह करने की बात करता है.
कई सालों से हमास के आतंकवादी इस्राएली इलाकों में रॉकेट दागते रहे हैं, लेकिन 7 अक्टूबर को हुए हमले ने लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को नाटकीय रूप से भड़का दिया है.
गाजा पट्टी की नाकाबंदी क्या है?
2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद से ही गाजा को इस्राएल "दुश्मन इलाके" के रूप में देखता है, जिसकी उन्होंने नाकाबंदी कर रखी है. इस्राएल का यहां के जमीनी, समुद्री और वायु मार्ग पर नियंत्रण है.
हमास भी आत्मरक्षा के नाम पर तभी से इस्राएल पर हमले करता आ रहा है. छिटपुट हमलों के अलावा अब तक चार बार गाजा की बड़ी लड़ाई हो चुकी है.
गाजा की नाकाबंदी का मिस्र भी समर्थन करता है, जो एक और पड़ोसी है. इसके नतीजे में आर्थिक अलगाव ने गाजा की स्थिति बहुत ज्यादा बिगाड़ दी है. गाजा के बड़े हिस्से में रहने वाली आबादी काफी गरीबी में जीती है. 15 से 24 साल की आयु वाले 40 फीसदी से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं.
गरीबी और काम के अवसरों की कमी ने युवाओं को काफी निराश किया है, जिसकी वजह से हमास अपने लिए समर्थन जुटाने में सफल होता है.
गाजा को सप्लाई कैसे पहुंचती है?
इस्राएल और गाजा के बीच एक रास्ता लोगों के आने-जाने और एक सामानों की आवाजाही का रास्ता है. इसके अलावा एक रास्ता मिस्र के राफाह से है.
गाजा में सामान के आयात पर इस्राएल का कड़ा नियंत्रण है. ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि हथियारों को गाजा पहुंचने से रोका जा सके. मिस्र के साथ लगने वाली सीमा पर भी नाकाबंदी है. इसलिए हमास सुरंगों के नेटवर्क के रास्ते सामान की तस्करी करता है.
गाजा पट्टी मोटे तौर पर अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यहां की 80 फीसदी आबादी का काम अंतरराष्ट्रीय सहायता से चलता है. खासतौर से शरणार्थियों की स्थिति तो बेहद खराब है, जो अब भी शिविरों में रहते हैं और अंतरराष्ट्रीय मदद पर गुजारा करते हैं.
गाजा को अकसर नियमित बिजली की सप्लाई भी नहीं मिलती. यहां कुछ घंटे के लिए ही बिजली आती है. पानी की कमी है और आबादी के एक बड़े हिस्से के पास पीने का साफ पानी भी नहीं है. यहां की स्वास्थ्य सेवाएं भी अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर हैं. इस्राएल से संघर्ष के दौर में तो इनकी हालत और ज्यादा बिगड़ जाती है.