कौन है सिख नेता पन्नू, जिसकी हत्या की कथित साजिश हुई नाकाम
२३ नवम्बर २०२३ब्रिटिश अखबार फाइनैंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिकी जमीन पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची गई थी, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने उसे नाकाम कर दिया. यह नया विवाद ऐसे वक्त में सामने आया है, जब कनाडा अपनी जमीन पर सिख अलगाववादी नेता की हत्या का आरोप खुलेआम भारतीय खुफिया एजेंट्स पर लगा चुका है.
कनाडा के सरे शहर में एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात लोगों ने खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. भारत सरकार ने निज्जर को आतंकवादी करार दिया था.
कनाडा की संसद में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोप लगाने के बाद भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था.
अब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने एक बयान में कहा है, "हम इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और अमेरिकी सरकार ने इसे वरिष्ठतम स्तरों समेत भारत सरकार के समक्ष उठाया है."
वॉटसन ने आगे कहा, "भारतीय समकक्षों ने आश्चर्य और चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियां उनकी नीति नहीं हैं." वॉटसन ने कहा कि माना जा रहा है कि भारत सरकार "इस मुद्दे पर आगे की जांच कर रही है और आने वाले दिनों में इस बारे में और कुछ कहेगी."
वॉटसन ने कहा, "हमने अपनी अपेक्षा जाहिर कर दी है और जो भी जिम्मेदार समझा जाए, उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए."
भारत का जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट पर सवालों के जवाब में कहा, "भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग पर हालिया चर्चा के दौरान अमेरिकी पक्ष ने संगठित अपराधियों, बंदूकों का कारोबार करने वालों, आतंकवादियों और अन्य लोगों के बीच साठगांठ से संबंधित कुछ जानकारी साझा की हैं."
उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा संबंधी जानकारी दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है और उन्होंने इस पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. बागची ने कहा, "भारत ऐसी जानकारियों को गंभीरता से लेता है, क्योंकि यह हमारे अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी असर डालती हैं."
कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नू
गुरपतवंत सिंह पन्नू कनाडाई और अमेरिकी नागरिक है. सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे ) नाम का यह संगठन सिखों के लिए अलग खालिस्तान की मांग करता है. इसे 2007 में अमेरिका में स्थापित किया गया था. इसका संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू है, जिसने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है और फिलहाल अमेरिका में वकालत कर रहा. वह एसएफजे का कानूनी सलाहकार भी है.
एसएफजे ने "रेफरेंडम 2020" नाम से एक अभियान चलाया है, जिसका मकसद "पंजाब को भारत से आजाद कराना" बताया जाता है. संगठन ने 2018 में पाकिस्तान के लाहौर में भी एक दफ्तर खोला था, ताकि पाकिस्तान में रहने वाले सिखों को रेफरेंडम के बारे में जागरूक किया जा सके और वे वोट डाल सकें.
भारत सरकार ने 2019 में इस संगठन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगा दिया था. जुलाई 2020 में सरकार ने इस संगठन से जुड़े 40 से ज्यादा वेबपेज और यूट्यूब चैनल आदि भी प्रतिबंधित कर दिए थे.
फाइनैंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सितंबर में नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस मुद्दे को उठाया था.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के हाथ होने का आरोप लगाया था, तो दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था. नई दिल्ली ने कनाडा के आरोपों को "मनगढ़ंत" करार दिया था.
बीते कुछ सालों में कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम में ऐसे संगठनों की शक्ति और संख्या बढ़ी है, जो कथित तौर पर खालिस्तान के समर्थक हैं. इन सभी जगहों पर सिख आप्रवासी बड़ी तादाद में हैं.
कनाडा की कुल आबादी का लगभग 1.4 फीसदी यानी पांच लाख सिख हैं. वे तेजी से उभरती हुई राजनीतिक ताकत बन रहे हैं. देश के कई सांसद सिख हैं और स्थानीय व केंद्रीय सरकारों में भी उनकी हिस्सेदारी है.
एए/वीएस (एएफपी, रॉयटर्स)