धूम्रपान छोड़ने पर क्या कहता है विज्ञान?
२१ जुलाई २०२३धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति से पूछिए तो पता चलेगा कितना मुश्किल होता है यह. किसी दोस्त के साथ बीयर के घूंट भरते हुए सिगरेट के कश बांटने या जैसा कि ऑस्ट्रेलिया में कहते हैं, एक फटाफट "स्मोको" यानी एक तुरतफुरत कश खींचने के लिए काम के बीच से उठ जाने की तलब हमेशा बनी रहती है.
रिसर्च बताते हैं कि 60-75 फीसदी लोग सिगरेट छोड़ने की कोशिश के दौरान पहले छह महीने में दोबारा धूम्रपान करने लगते हैं. नशे की दूसरी लत की तरह, सिगरेट छोड़ना एक मुश्किल मनोवैज्ञानिक लड़ाई मानी जाती है. सामाजिक गतिविधियों, अवसाद या रोजमर्रा की साधारण आदतों से आपको उसकी तलब हो सकती है. लेकिन लंबे समय तक सिगरेट से दूरी के फायदे अपार हैं.
धूम्रपान की लत छोड़ना क्यों मुश्किल है
धूम्रपान छोड़ने के बाद, कुछ ही सप्ताह या महीने में स्ट्रोक का खतरा, दिल की बीमारी, कैंसर और कुल मिला कर सेहत में बुनियादी सुधार आने लगता है. दुनिया में मौतों की सबसे बड़ी वजहों में से एक धूम्रपान को माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2019 के एक डाटा के मुताबिक दुनिया में करीब 14 फीसदी लोग धूम्रपान से जुड़ी बीमारियों की वजह से दम तोड़ देते हैं. इनमें से अधिकांश मौतों की जिम्मेदार, निचली और मध्यम आय वाले देशों में स्मोकिंग की बढ़ती दरें हैं. अभी हाल के अध्ययन दिखाते हैं कि ये रुझान जारी है.
ब्रिटेन के सार्वजनिक स्वास्थ्य के सहायता संगठन, एक्शन ऑन स्मोकिंग एंड हेल्थ (एएसएच) की उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेजल चीजमैन कहती हैं, "धूम्रपान एक बहुत बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य बोझ है. अगर धूम्रपान की दर में कमी नहीं आई तो इस सदी में उससे संबंधित रोगों की वजह से दुनिया भर में एक अरब मौतें होंगी.
सिगरेट की लत क्यों पड़ती है?
जब आप सिगरेट पीते हैं तो जलते तंबाकू से निकोटीन निकलता है, जो फेफड़ों के जरिए खून में दाखिल होता है. निकोटीन, मस्तिष्क में खिंचा आता है, जहां वो न्यूरॉन्स की सतह पर स्थित रिसेप्टरों को सक्रिय कर देता है. इन्हें निकोटिनिक एसिटाइलकोलीन रिसेप्टर कहा जाता है. इन रिसेप्टरों को सक्रिय कर देने से मस्तिष्क में केमिकल रिलीज होन लगते हैं- इन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है- जैसे कि डोपामीन. डोपामीन रिलीज होने से जरूरी नहीं कि लत पैदा होगी. हालांकि जब वो दिमाग के एक खास हिस्से में काम करता है तो वो लत बना सकता है. दिमाग के उस हिस्से को मेजोकोर्टिकोलिम्बिक सर्किट कहते हैं. यह वो जगह है जो दिमाग में इनाम पाने जैसी अनुभूति पैदा करने के लिए जिम्मेदार होती है.
क्या सिगरेट छोड़ने में मदद करती है वेपिंग
लत ऐसे ही बनती हैः जब निकोटीन रिवार्ड सिस्टम के भीतर डोपामीन के रिलीज को ट्रिगर करते है तो उससे खुद को इनाम देने की भावना पनपती है. हर सिगरेट जो आप पीते हैं, वो इस भावना को और पुख्ता बनाती है, जिसकी वजह से सिगरेट की तलब बढ़ने लगती है और आखिरकार उसकी लत पड़ती जाती है. लिहाजा, जब हम स्मोकिंग छोड़ना चाहते हैं, तो हमें सिगरेट और इनाम पाने की भावना के बीच इस संपर्क को तोड़ना होगा. ये मुश्किल काम है. आपको इसे लंबी अवधि तक कारगर बनाने के लिए तमाम तरह की मदद चाहिए होगी. लेकिन ये मुमकिन है.
स्मोकिंग छोड़ने की कवायद
सिगरेट से मनोवैज्ञानिक जुड़ाव तोड़ने के दो प्रमुख तरीके हैं- इच्छाशक्ति और आत्म-अनुशासन (सेल्फ डिसिप्लीन). आप ऐसे इलाज भी ले सकते हैं जिनसे निकोटीन की तलब की भरपाई हो जाती है और स्वास्थ्य समस्या नहीं पैदा होती. इलाज भी तीन किस्म के हैं.
पहली तो निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपियां हैं जैसे पैच, गम या इनहेलेटर (इन्हेलर भी कहा जाता है). ये चीजें निकोटीन को धीरे धीरे रिलीज करती है, और धूम्रपान की तलब को रोकती हैं. निकोटीन खुद में हानिकारक नहीं है, लेकिन सिगरेट का जो धुआं आप अंदर खींचते हैं वो नुकसान करता है. दूसरी थेरेपी में दवाएं आदि हैं जैसे कि वेरेनिकलीन और बुप्रोपियोन. वेरेनिक्लीन, तलब जगाने वाले रास्ते में डोपामीन के रिलीज को प्रोत्साहित करता है, धूम्रपान के इनाम की नकल करता है और उसे छोड़ने से पैदा होने वाले विड्रॉल के लक्षणों में कमी लाता है.
अमेरिका में सिगरेट पीने वाले इतने कम कभी ना थे
बुप्रोपियोन भी इसी तरह काम करता है लेकिन अलग न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम के जरिए जिसे गाबा (जीएबीए) के रूप में जाना जाता है. यह एक प्रमुख ट्रांसमीटर है जो मस्तिष्क की गतिविधि को शिथिल करता है. चीजमैन कहती हैं, "यूं तो दवाओं से उपचार ज्यादा महंगा पड़ता है, लेकिन सेहत और स्वास्थ्य प्रणालियों पर धूम्रपान से पड़ने वाले असर को देखें तो वो उसकी लागत काफी कम आती है."
ई-सिगरेट- अच्छी या बुरी?
जब बात आती है धूम्रपान छोड़ने की तो इस मामले में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों की प्रतिष्ठा सवालों के घेरे में रहती है. क्या वो सुरक्षित हैं भी?
चीजमैन कहती हैं, "इस बात के अच्छे सबूत हैं कि ई-सिगरेटें आपको धूम्रपान छोडने में मदद करती हैं. लेकिन वे नॉन मेडिकल लाइसेंस वाला सामान हैं, तो उन्हें दवाओं की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता." वो कहती हैं, ई-सिगरेटें छोटी से मध्यम अवधि के लिए तो सुरक्षित होती हैं, या कम से कम पारंपरिक सिगरेटों के मुकाबले कम नुकसानदेह हैं हालांकि उनके मुताबिक, "लगता नहीं कि वेपिंग उत्पाद लंबी अवधि में खतरों से मुक्त होंगे हैं."
दूसरी चिंता ये है कि ई-सिगरेटें नई लत पैदा कर सकती हैं या तंबाकू सेवन का रास्ता बन सकती हैं. किशोरों में ये खासतौर पर चिंताजनक है, इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि वेप करने वाले किशोरों में आगे चलकर तंबाकू फूंकने की लत में पड़ने की आशंका ज्यादा रहती हैं. स्मोकिंग छोड़ने के लिए जो करना है एक झटके में करें
कौनसा तरीका सबसे सही काम करेगा?
वैज्ञानिक इस पर सहमत है कि एक समय में कई सारे तरीके अपनाकर, आप सफल हो सकते हैं. 2020 में 700 से ज्यादा क्लिनिकल अध्ययनों के मेटा-एनालिसिस से पता चला कि सिगरेटों से पूरी तरह दूरी हासिल करने के लिए कई सारे तरीको को एक साथ आजमाने से बेहतरीन नतीजे मिलते हैं. तमाम व्यक्तिगत थेरेपियां, दरअसल कुछ भी ना करने वाले एक प्लेसेबो से ज्यादा असरदार रही थीं. हालांकि जब आप उन्हें एक साथ मिलाकर आजमाते हैं तो आपको वाकई नतीजे मिलने शुरू हो जाते हैं.
चीजमैन कहती हैं, "धूम्रपान छोड़ने क सबसे असरदार तरीका है, स्वभावजन्य सहायता. वो तलब के मनोवैज्ञानिक पक्ष से निपटने के लिए रणनीति बनाने में आपकी मदद करता है. साथ ही काम आती हैं दवाएं जो धूम्रपान छोड़ने के शारीरिक साइड अफेक्टों से बचाती हैं." सिगरेट छोड़ने का हर किसी का रास्ता अलग होता है- कुछ लोग तो अनायास, एक झटके में स्मोकिंग छोड़ देते हैं. दूसरों को सालोंसाल वैकल्पिक इलाज की जरूरत पड़ती है. अपना सबसे सही तरीका खोजने में आपको वक्त लग सकता है. सवाल बस यही हैः आप छोड़ना चाहते हैं या नहीं?