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मानवाधिकारसंयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिकी पैनल ने फिर की भारत को ब्लैक लिस्ट करने की मांग

२ मई २०२३

अमेरिकी सरकार के एक पैनल ने एक बार फिर भारत का नाम काली सूची में डालने की मांग करते हुए कहा है कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों पर जुल्म बढ़े हैं.

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2022 जहांगीरपुरी में हुई हिंसा
2022 में जहांगीरपुरी में हुई हिंसातस्वीर: Charu Kartikeya/DW

अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने मांग की है कि भारत को उस काली सूची में डाला जाए, जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्यधिक प्रताड़ना करने वाले मुल्कों को रखा जाता है. इस आयोग को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में सिफारिश करने का अधिकार है लेकिन उसे मानना या ना मानना अमेरिकी सरकार पर निर्भर करता है.

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध तेजी से गहरे हो रहे हैं, लिहाजा इसकी संभावना कम ही है कि भारत के बारे में आयोग की सिफारिश को माना जाएगा. पिछले चार साल से लगातार आयोग यह सिफारिश कर रहा है.

अमेरिका का विदेश मंत्रालय हर साल ऐसे देशों की सूची जारी करता है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता को खतरे में माना जाता है. इस कथित ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों पर हालात में सुधार ना होने की स्थिति में प्रतिबंध लगाए जाने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं.

कई देशों के खिलाफ सिफारिश

धार्मिक स्वतंत्रता आयोग एक स्वतंत्र संस्था है जिसके सदस्य अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. इस आयोग ने जिन देशों को काली सूची में डालने की सिफारिश की है, उनमें से चीन, ईरान, म्यांमार, पाकिस्तान, रूस और सऊदी अरब के लिए उसे मान लिया गया है. लेकिन आयोग चाहता है कि भारत, नाइजीरिया और वियतनाम समेत कई और देशों को भी इस सूची में डाला जाए.

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डॉनल्ड ट्रंप सरकार ने नाइजीरिया को कुछ समय के लिए ब्लैक लिस्ट में डाला था लेकिन बाइडेन सरकार ने आते ही उसे वहां से यह कहते हुए हटा दिया था कि इस अफ्रीका के इस सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में होने वाली हिंसा धर्म आधारित नहीं है.

आयोग ने कुछ ऐसे देशों को निगरानी सूची में रखने की सिफारिश की है, जिनसे अमेरिका के अच्छे संबंध हैं. इनमें मिस्र, इंडोनेशिया और तुर्की शामिल हैं.

भारत पर रिपोर्ट

अपनी सालाना रिपोर्ट में आयोग ने लिखा है कि भारत में अल्पसंख्य मुसलमानों और ईसाइयों की संपत्तियों के साथ तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. साथ ही रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में हिंदुत्वादी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ऐसी नीतियां बना रही है, जो अल्पसंख्यकों के मूल अधिकारों के खिलाफ हैं.

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रिपोर्ट कहती हैं, "भेदभावपूर्ण कानूनों के इस्तेमाल ने एक तरह की संस्कृति तैयार कर दी है जिसमें भीड़ या समूहों द्वारा धमकियां देना, हिंसा करना और अभियान चलाना आम हो चला है.”

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रिपोर्ट कहती है कि सालभर में भारत सरकार ने अपने हिंदू-राष्ट्रवादी नीतियों को और मजबूत करने के लिए कई नीतियां अपनाई हैं जो मुसलमान, ईसाई, सिख, दलित और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही हैं. रिपोर्ट कहती है कि भारत सरकार व्यवस्थागत तरीके से मौजूदा और नए कानूनों के जरिए अपने हिंदू-राष्ट्रवाद के दर्शन को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है.

भारत आयोग की इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताता है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)

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