खालिद शेख मोहम्मद के साथ याचिका समझौता वापस
३ अगस्त २०२४अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पहले बुधवार को रक्षा विभाग, पेंटागन ने बताया था कि खालिद शेख मोहम्मद और दो दूसरे आरोपियों के साथ याचिका समझौता हो गया है. अब रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने आरोपियों के साथ हुए इस समझौते को वापस ले लिया है. रक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि इस बारे में फैसला करने की जिम्मेदारी उनकी है.
रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सैन्य आयोगों की प्रशासक सूजान एस्केलियर को भेजे मेमोरेंडम में लिखा है, "इस फैसले की अहमियत को देखते हुए" ऑस्टिन ने फैसला किया है, "इस फैसले की जिम्मेदारी मुझ पर होनी चाहिए." मेमोरेंडम में यह भी लिखा है, "मैं उपरोक्त मामले में 31 जुलाई, 2024 को आपके हस्ताक्षर वाले तीन मुकदमों से पहले के समझौतों को वापस लेता हूं." इसके साथ ही उन पर मौत की सजा का मामला फिर से बहाल हो गया है.
11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए हमले में चार यात्री विमानों को अगवा किया गया था और न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावरों और पेंटागन के रक्षा मुख्यालय को निशाना बनाया गया था. इस हमले में लगभग 3,000 लोगों की मौत हुई थी. खालिद शेख मोहम्मद पर इन हमलों की साजिश रचने का आरोप है. उसने इस हमले की योजना बनाने से लेकर, संचार और पैसे का इंतजाम करने की जिम्मेदारी उठाई थी. खालिद शेख मोहम्मद को 2003 में पाकिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. दो और लोग जिनके साथ याचिका समझौता हुआ था, उनके नाम मुस्तफा अल हावसावी और वालिद बिन अत्ताश हैं.
"बाइडेन प्रशासन की गलती"
इस हमले में मारे गए लोगों के परिवारों को लिखी चिट्ठी में कहा गया था कि समझौते के तहत उन्हें अधिकतम सजा उम्रकैद की होगी. कुछ पीड़ितों के परिजनों ने मौत की सजा और पूरे मुकदमे की संभावना को खत्म करने के लिए इस समझौते की आलोचना की थी. रिपब्लिकन ने पार्टी के नेताओं ने इस समझौते को बाइडेन प्रशासन की गलती बताया था. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर ने तुरंत बयान जारी कर कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी. इसके तहत आरोपियों के अगले हफ्ते तक याचिका समझौते में चले जाने के आसार थे.
अरकंसास के रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन सशस्त्र सेवा समिति के सदस्य भी हैं. शुक्रवार को उन्हेंने सोशल मीडिया पर इस याचिका समझौते की आलोचना की और इसे "अपमानजनक" बताया. कॉटन का कहना है कि उन्होंने एक विधेयक पेश किया था जो 9/11 के सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाने और मौत की सजा की संभावना तय करता है.
2008 से अटका हुआ है मामला
11 सितंबर के हमले के पांच आरोपियों का मामला देख रहे सैन्य आयोग में मुकदमे से पहले की सुनवाई और प्राथमिक अदालतों की दूसरी कार्रवाई 2008 से ही अटकी हुई है. इस मामले के धीमा पड़ने के पीछे आरोपियों को सीआईए की हिरासत में रहने के दौरान दी गई यातनाएं हैं. इसी वजह से इन लोगों पर चलने वाला मुकदमा और फैसला अब भी अनिश्चित है. अदालत में ऐसे सबूतों को मान्यता नहीं दी जाती है जिनका संबंध यातना से जुड़ा है.
सेंटर फॉर कांस्टीट्यूशनल राइट्स के स्टाफ अटॉर्नी जे वेल्स डिक्सन ने ग्वांतानामो बे में इन आरोपियों और अपराध से बरी किए जाने वाले दूसरे कैदियों की तरफ से बहस की है. डिक्सन ने इस समझौते को 11 सितंबर के अटके मुकदमों को खत्म करने का एकमात्र तरीका बताया है. डिक्सन ने ऑस्टिन पर "राजनीतिक दबाव और कुछ पीड़ितों के परिवारों की भावनाओं के आगे झुकने का आरोप लगाया है."
दोनों तरफ के वकील बीते डेढ़ साल से इस मामले का कोई हल निकालने की कोशिश में हैं. इससे पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल प्रस्तावित याचिका पर चर्चा को रोक दिया था. राष्ट्रपति से आग्रह किया गया था कि वो कैदियों को सीआईए की हिरासत में मिली यातना के लिए ट्रॉमा केयर और कालकोठरी से मुक्ति की गारंटी दें, लेकिन बाइडेन ने इसे मानने से इनकार कर दिया. 11 सितंबर का चौथा आरोपी भी याचिका समझौते के लिए कोशिशें कर रहा है. पिछले साल सैन्य आयोग ने बताया था कि पांचवां आरोपी मुकदमे के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है. एक मिलिट्री मेडिकल पैनल ने ग्वांतानामो बे लाए जाने से पहले सीआईए की हिरासत में यातना और चार साल तक काल कोठरी में रखे जाने को इसका जिम्मेदार बताया था.
एनआर/एसके (डीपीए, एपी)