महाराष्ट्र में हजारों किसान निकले पदयात्रा पर
१५ मार्च २०२३किसानों ने महाराष्ट्र के कई जिलों से नासिक में इकठ्ठा हो कर वहां से करीब 170 किलोमीटर दूर राजधानी मुंबई के लिए पदयात्रा शुरू की. किसानों के 20 मार्च को मुंबई पहुंचने की संभावना है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पदयात्रा में कम से कम 10,000 किसान शामिल हैं.
पदयात्रा की पृष्ठभूमि में हाल ही में प्याजके दामों के धराशायी होने से किसानों को हुआ नुकसान है, लेकिन पदयात्रा पर निकले किसानों की कई मांगें हैं. इनमें प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के अलावा बेमौसम बारिश से बर्बाद हुई फसल के लिए हर्जाना, कर्ज माफी, बिजली बिल माफी, कम से कम 12 घंटों की निरंतर बिजली सप्लाई, वन अधिकार कानून का पालन आदि मांगें शामिल हैं.
पदयात्रा का आयोजन सीपीएम के किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा ने किया है.
क्यों रुलाया प्याज ने
महाराष्ट्र में प्याज का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है और इस समय राज्य में प्याज के किसानभारी संकट से गुजर रहे हैं. अति उत्पादन की वजह से राज्य की मंडियों में प्याज के दाम इतने ज्यादा गिर गए हैं कि किसानों की लागत के बराबर भी आमदनी नहीं हो पा रही है.
महाराष्ट्र के लासलगांव में देश की सबसे बड़ी प्याज की मंडी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक वहां फरवरी के शुरुआती तक प्याज 1,151 रुपए क्विंटल बिक रहा था लेकिन अगले तीन हफ्तों के अंदर दाम गिर कर 550 रुपयों पर आ गए. कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि राज्य में कहीं कहीं पर तो दाम 200 से लेकर 400 रुपयों तक पहुंच गए थे.
इसके अलावा फसल को मंडियों तक ले कर जाने के लिए यातायात पर अलग से खर्च होता है जिससे किसानों की लागतऔर बढ़ जाती है. ऐसे में उन्हें अगर कम से कम 1200 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल तक का भाव नहीं मिलता तो उनकी कमाई ना हो कर उल्टा उन्हें घाटा उठाना पड़ता है.
दामों के इतना नीचे गिर जाने से नाराज और परेशान किसानों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है. कुछ किसानों ने होली के समय अपने प्याज के ढेरों की ही होलिका जला दी थी, ताकि प्रशासन का उनकी तरफ ध्यान जाए. किसानों की मदद करने के लिए सरकारी संस्था नाफेड पिछले कुछ महीनों से सीधे उनसे प्याज खरीद रही है लेकिन किसानों का कहना है कि नाफेड द्वारा दिए जा रहे दाम भी नाकाफी हैं.
इसलिए किसानों ने अब पदयात्रा के जरिए अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करने की ठानी है. पदयात्रा शुरू होने का बाद महाराष्ट्र सरकार ने दाम गिरने की वजह से नुकसान झेल चुके किसानों के लिए 300 रुपए प्रति क्विंटल हर्जाने की घोषणा की, लेकिनकिसानों की मांग कम से कम 600 रुपए प्रति क्विंटल की सहायता की है.
आलू में भी वही हालात
मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि बाजार में आई आलू की फसल के साथ भी प्याज जैसा ही हश्र होता नजर आ रहा है. आलू की बंपर फसल बाजार में आ चुकी है लेकिन फसल को खरीदार नहीं मिल रहे हैं, जिसकी वजह से दाम कम से कम 20 प्रतिशत तक गिर गए हैं.
कृषि मामलों की वेबसाइट रूरल वॉइस के मुताबिक उत्तर प्रदेश में किसानों का कहना है कि जहां उनकी लागत 10 रुपए किलो है, वहीं उन्हें दाम चार से छह रुपए किलो ही मिल रहे हैं. जानकारों की राय है सरकार को समय रहते हस्तक्षेप करना चाहिए नहीं तो आलू किसानों को भी वैसा ही नुकसान उठाना पड़ेगा जैसा प्याज किसानों को उठाना पड़ा है.