ताइवान में 25 साल का सबसे ताकतवर भूकंप
३ अप्रैल २०२४ताइवान के सेंट्रल वेदर एडमिनिस्ट्रेशन (सीडब्ल्यूए) के मुताबिक, 3 अप्रैल की सुबह 7.2 तीव्रता वाला भूकंप आया. भूकंप का केंद्र ताइवान के दक्षिणपूर्वी शहर हुआलिएन के पास था. सीडब्ल्यूए ने बताया कि भूचाल जमीन में 15.5 किलोमीटर की गहराई से निकला.
भूकंप के चलते कम-से-कम सात लोगों की मौत हुई है और 700 से ज्यादा घायल हैं. दमकल विभाग ने जमींदोज इमारतों की संख्या 25 बताई है. इनमें से आधी हुआलिएन में हैं. ताइवान के प्रसारक टीवीबीएस ने कई धराशायी इमारतों की फुटेज दिखाई है. वीडियो में तिरछी हो चुकी कई इमारतें भी दिख रही हैं.
भूकंप के बाद भी झटकों की चेतावनी
ताइवान की राजधानी ताइपे के सिस्मोलॉजी सेंटर के डायरेक्टर वु शिएन-फू के मुताबिक यह "25 साल में आया सबसे तगड़ा भूकंप" है. वू ने पत्रकारों को बताया, "भूकंप जमीन के करीब था और शैलो था. इसका असर ताइवान और उसके द्वीपों पर महसूस किया गया." धरती में 0 से 70 किलोमीटर की गहराई से उठने वाले भूकंप को 'शैलो अर्थक्वेक' कहा जाता है.
ताइवान में इससे पहले 1999 में बेहद ताकतवर भूचाल आया था. रिक्टर पैमाने पर उसकी तीव्रता 7.6 थी. उस भूंकप ने 2,400 लोगों की जान ली.
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि तेज भूकंप के बाद आने वाले झटके आने वाले दिनों में द्वीप को फिर से हिला सकते हैं. वू ने चेतावनी देते हुए कहा है, "जनता को महत्वपूर्ण चेतावनियों और संदेशों पर ध्यान देना चाहिए और भूकंप के बाद बाहर निकलने के लिए तैयार रहना चाहिए."
ताइवान नियमित रूप से भूगर्भीय हलचल पर नजर रखता है. द्वीप दो टेक्टॉनिक प्लेटों के जुड़ाव के नजदीक स्थित है. टेक्टॉनिक प्लेटों की हलचल के कारण ही ताइवान के पड़ोसी जापान में हर साल करीब 1,500 भूकंप आते हैं.
सुनामी की चेतावनी रद्द
ताइवान के तटीय इलाके से उठे भूकंप के बाद जापान और फिलीपींस ने सुनामी की चेतावनी भी जारी की थी. जापानी प्रशासन को आशंका थी कि कई मीटर ऊंची समुद्री लहरें उनके दक्षिणी द्वीपों से टकरा सकती हैं. फिलीपींस ने भी अपने तटीय इलाकों के लिए ऐसी ही चेतावनी जारी की थी. हालांकि बाद में दोनों देशों ने इस अलर्ट को रद्द कर दिया.
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि उनका देश ताइवान को हर जरूरी मदद देने के लिए तैयार है. ताइवान को "समुद्र पार का पड़ोसी" बताते हुए किशिदा ने भूकंप की खबर को अफसोसजनक बताया.
मार्च 2011 में जापान के होंसु द्वीप पर 9.0 तीव्रता वाला भूंकप आया. इस भूकंप से पैदा हुई सुनामी लहरों ने फुकुशिमा परमाणु संयत्र की पावर सप्लाई काट दी. परमाणु रिएक्टरों की कूलिंग बंद होने का कारण फुकुशिमा परमाणु त्रासदी सामने आई. माना जाता है कि 2011 के भूकंप और सुनामी ने जापान में करीब 18,500 लोगों की जान ली.
ओएसजे/एसएम (एपी, रॉयटर्स)