स्विट्जरलैंड में अल्जीरिया के पूर्व रक्षा मंत्री पर मुकदमा
३० अगस्त २०२३ऑफिस ऑफ अटॉर्नी जनरल ऑफ स्विट्जरलैंड (ओएजी) ने जनरल खालेद पर सशस्त्र संघर्ष से जुड़े जेनेवा सम्मेलन के कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. इल्जाम है कि 1992 से 1994 के बीच जनरल खालेद ने टॉर्चर करने, न्यायिक प्रक्रिया से इतर जाकर हत्याएं करने, शारीरिक यातनाएं देने और मनमाने तरीके से लोगों को कैद करने जैसी गतिविधियों में भूमिका निभाई.
2011 में हुई थी शिकायत
ओएजी ने 2011 में खालेद के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की थी. यह कार्यवाही ट्रायल इंटरनेशनल की एक शिकायत के बाद शुरू हुई थी. ट्रायल इंटरनेशनल एक गैर-सरकारी संगठन है, जो बेहद गंभीर अपराधों के शिकार पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कानूनी तरीकों की मदद लेता है. यह संगठन नरसंहारों, युद्ध अपराधों, यौन हिंसा, अत्याचार जैसे मामलों में जवाबदेही तय कर अपराधियों को सजा दिलाने की दिशा में काम करता है.
2017 में ओएजी ने यह कहकर कार्यवाही रोक दी कि अल्जीरियाई गृह युद्ध आंतरिक सशस्त्र संघर्ष था. 2018 में इस फैसले के खिलाफ हुई अपील में संघीय आपराधिक अदालत ने ओएजी के निर्णय के खिलाफ फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि यह संघर्ष इतना हिंसक था कि इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत "सशस्त्र संघर्ष" माना जाए. इसके बाद ओएजी ने फिर से आपराधिक कार्यवाही जारी की.
गैरहाजिरी में होगा ट्रायल
जनरल खालेद की उम्र 85 साल है. 2011 में जब ट्रायल इंटरनेशनल ने ओएजी में शिकायत की थी, उस वक्त खालेद स्विट्जरलैंड में ही रहते थे. लेकिन उसके बाद उन्होंने स्विट्जरलैंड छोड़ दिया. वह अब अल्जीरिया में रहते हैं. न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, खालेद बीमार हैं और कथित तौर पर "मरणासन्न" हालत में हैं. वकीलों का कहना है कि जनरल खालेद ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया है. अनुमान है कि मुकदमा उनकी गैरहाजिरी में होगा.
इस मामले में ओएजी ने 28 अगस्त को जनरल खालेद पर आरोप तय किए हैं. ओएजी ने 11 घटनाओं को दर्ज किया है, जो 1992 से 1994 के बीच घटीं. ओएजी के मुताबिक, "कथित पीड़ितों को कथित तौर पर यातनाएं दी गईं. बिजली के झटके और अन्य तरह के क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक सलूक किया गया."
क्या है यूनिवर्सल जूरिस्डिक्शन
यह केस "यूनिवर्सल जूरिस्डिक्शन" के तहत शुरू हुआ है. कानून का यह सिद्धांत किसी देश को, किसी अन्य देश में हुए बेहद संगीन अपराधों पर अदालती कार्यवाही करने की गुंजाइश देता है. इनमें अपराधी और पीड़ित का उस देश का होना जरूरी नहीं, जहां मुकदमा चलाया जा रहा है. यह सिद्धांत किसी अन्य देश की अदालत को अपनी राष्ट्रीय और भौगोलिक सीमा के पार हुए अपराधों में भी कार्यवाही का अधिकार देता है, ताकि दोषियों की जवाबदेही तय की जा सके, एक मुकम्मल न्यायिक प्रक्रिया का पालन कर अपराधियों को न्याय की परिधि में लाया जा सके.
ट्रायल इंटरनेशनल ने इस फैसले का स्वागत किया है. संगठन ने अपने बयान में कहा कि इस घटनाक्रम से अल्जीरियाई गृह युद्ध के पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है. संगठन ने यह भी कहा कि खालेद अब तक के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी होंगे, जिनपर यूनिवर्सल जूरिस्डिक्शन के सिद्धांत के अंतर्गत युद्ध अपराधों और मानवता के विरुद्ध हुए अपराधों के सिलसिले में मुकदमा चलाया जाएगा.
1990 का दशक अल्जीरिया में काफी हिंसक रहा. सरकार और इस्लामिक कट्टरपंथियों के बीच एक हिंसक गृह युद्ध लड़ा गया. अनुमान है कि इस संघर्ष में करीब दो लाख लोग मारे गए. यातना, यौन हिंसा और ऐसे अन्य अपराधों के पीड़ितों की संख्या भी बहुत है. हथियारबंद संगठनों के अलावा अल्जीरिया सेना भी ऐसे मामलों में शामिल रही.
अल्जारिया अब तक इसके असर से पूरी तरह नहीं उबर सका है. जनरल खालेद 1990 से 1993 तक अल्जीरिया के रक्षा मंत्री रहे. साथ ही, वो 1992 से 1994 के बीच हाई काउंसिल ऑफ स्टेट के सदस्य भी थे.
एसएम/एडी (एपी, एएफपी)