1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

मातृ भाषा सुनने पर अलग होती है मस्तिष्क की प्रतिक्रियाः शोध

१२ मार्च २०२४

अधिकतर लोग एक या ज्यादा से ज्यादा दो भाषाएं बोलते हैं लेकिन कुछ लोगों को कई भाषाओं पर महारत हासिल होती है. ऐसे बहुभाषी लोगों की मदद से वैज्ञानिक मस्तिष्क की गुत्थियां सुलझा रहे हैं.

https://p.dw.com/p/4dPYE
मस्तिष्क
मस्तिष्क और भाषा का संबंध तस्वीर: Berit Kessler/Zoonar/picture alliance

वैज्ञानिक समझने की कोशिश कर रहे हैं कि मस्तिष्क में भाषाएं किस तरह से आती-जाती हैं. बहुभाषी लोगों पर हुए एक शोध में वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा भाषाओं को लेकर सक्रिय होता है.

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बहुभाषी लोगों के मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियों का अध्ययन किया है. ‘फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग' नाम की प्रक्रिया के जरिए वैज्ञानिकों ने बहुभाषी लोगों के दिमाग में होने वाली गतिविधियों का तब अध्ययन किया जब वे अलग-अलग भाषाओं में लिखी सामग्री को पढ़ रहे थे.

कैसे हुआ शोध?

अध्ययन में 34 लोगों पर शोध किया गया, जिनमें 20 पुरुष और 14 महिलाएं थीं. इनकी आयु 19 से 71 वर्ष के बीच थी. 21 प्रतिभागियों की मातृ भाषा अंग्रेजी थी जबकि अन्य की फ्रांसीसी, रूसी, स्पैनिश, डच, जर्मन, हंगेरियन और मैंडेरिन.

वैज्ञानिकों ने दो समूहों की तुलना की. एक में वे लोग थे जो पांच से लेकर 54 भाषाएं तक जानते थे. दूसरा समूह कम भाषाएं जानने वाले लोगों का था. एक प्रमुख अपवाद के अलावा वैज्ञानिकों ने पाया कि ज्यादा भाषाएं बोलने वाले लोगों ने जब अलग-अलग भाषाएं सुनते हैं तो उनके मस्तिष्क अगला हिस्सा यानी सीरिब्रल कॉर्टेक्स सक्रिय हो जाता है.

शोधकर्ता इवलीना फेडरेंको कहती हैं, "हमें लगता है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब आप किसी भाषा को बहुत अच्छी तरह जानते हैं तो उसे सुनने पर आपके मस्तिष्क में भाषाएं जानने के लिए जिम्मेदार हिस्सा पूरी तरह सक्रिय हो जाता है.”

मसैचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में न्यूरोसाइंटिस्ट इवलीना फेडोरेंको इस शोध की प्रमुख शोधकर्ता हैं. यह शोध ‘सीरीब्रल कॉर्टेक्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

फेडरेंको कहती हैं, "आप सभी शब्दों के अर्थ याददाश्त से ही जानते हैं. आप शब्दों से वाक्य बनाते हैं और जटिल वाक्यों के भी अर्थ समझ पाते हैं.”

एक मजेदार अपवाद

एक अपवाद स्थिति भी पैदा हुई जिसने वैज्ञानिकों को हैरान किया. बहुत से प्रतिभागियों को जब उनकी मातृभाषा सुनवाई गई तो अन्य भाषाओं की तुलना में मस्तिष्क में कम प्रतिक्रिया देखी गई. औसतन यह प्रतिक्रिया लगभग 25 फीसदी कम थी. कुछ बहुभाषी लोगों के मस्तिष्क में मातृभाषा सुनने पर सिर्फ एक हिस्सा सक्रिय हुआ, ना कि पूरा कॉर्टेक्स

सहायक शोधकर्ता कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी की ओलेसिया योरावलेव कहती हैं, "बहुभाषी लोगों को अपनी मातृभाषा में इतनी महारत हासिल हो जाती है कि भाषाओं को समझने के लिए जरूरी मस्तिष्क के पूरे हिस्से के सक्रिय होने की जरूरत ही नहीं पड़ती. एक हिस्से की सक्रियता ही काफी होती है.”

फेडरेंको कहती हैं कि कम से कम बहुभाषी लोगों में उनकी एक मातृभाषा को विशेष दर्जा हासिल होता है.

लैंग्वेज नेटवर्क का कमाल

भाषाओं को समझने के लिए मस्तिष्क कई हिस्से मिलकर काम करते हैं जिन्हें वैज्ञानिक ‘लैंग्वेज नेटवर्क‘ कहते हैं. ये हिस्से माथे और कनपटियों के पास होते हैं. फेडरेंको कहती हैं, "लैंग्वेज नेटवर्क बोलने, लिखने या समझने में हमारी मदद करता है और हमें हमारे विचारों को शब्द के सिलसिले में बदलने व अन्य लोगों द्वारा कहे गए वाक्यों को डीकोड करने का काम करता है.”

इंसान का दिमाग नर होता है या मादा

इस शोध में साइमा मलिक-मोरालेदा भी शामिल थीं जो हार्वड विश्वविद्यालय और एमआईटी में स्पीच एंड हीयरिंग बायोसाइंस एंड टेक्नोलॉजी में पीएचडी कर रही हैं. वह कहती हैं कि इस शोध का निष्कर्ष यह है कि भाषा पर मस्तिष्क की प्रतिक्रिया शब्दों के अर्थों को छानने के रूप में काम करती है.

वह बताती हैं, "आप सुनाई दे रहे शब्दों में से जितना ज्यादा अर्थ छान पाएंगे, लैंग्वेज नेटवर्क में प्रतिक्रिया उतनी ज्यादा होगी. सिवाय मातृ भाषा को छोड़कर. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि उस भाषा में आपको ज्यादा महारत हासिल है.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें