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श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा

९ मई २०२२

श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के महीनों बीत जाने के बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले उनके समर्थकों ने उनके विरोधियों के साथ जम कर मारपीट की. हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई.

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Sri Lanka | Proteste in Colombo
तस्वीर: Ishara S. Kodikara/AFP/Getty Images

राजपक्षे के प्रवक्ता रोहन वेलीविता ने बताया कि 76 साल के राजपक्षे ने अपना इस्तीफा अपने छोटे भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सौंपा. चिट्ठी में उन्होंने लिखा, "मैं तुरंत इस्तीफा दे रहा हूं ताकि आप मौजूदा आर्थिक संकट से देश को बाहर निकालने के लिए एक सर्वदलीय सरकार को नियुक्त कर सकें."

देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ने हिंसा के घटने से पहले कहा था कि वो ऐसी किसी भी सरकार में शामिल नहीं होगी जिसका नेतृत्व राजपक्षे परिवार का कोई सदस्य कर रहा होगा. प्रधानमंत्री के इस्तीफे का मतलब है कि कैबिनेट भी भंग हो गई है.

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सांसद की मौत

देखना होगा कि अब देश में नई सरकार बनाने की दिशा में किस तरह के कदम उठाए जाते हैं. लेकिन उससे पहले सोमवार को हुई हिंसा ने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं. हिंसा में कई लोग जख्मी हो गए और कम से कम लोगों की मौत भी हो गई.

कोलंबो
कोलंबो में राष्ट्रपति के कार्यालय के बाहर मारपीटतस्वीर: Ishara S. Kodikara/AFP/Getty Images

राजपक्षे की ही पार्टी के सांसद अमरकीर्ति अतुकोरला ने पहले तो निताम्बुवा में उनकी गाड़ी का रास्ता रोक रहे लोगों पर गोलियां चलाईं और दो लोगों को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया. लेकिन बाद में वो खुद पास ही में एक इमारत में मृत पाए गए.

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इसके अलावा हिंसा में एक और व्यक्ति की मौत हो गई और 139 लोग घायल हो गए. कम से कम 78 लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया. उससे पहले पुलिस ने कोलंबो में जुटी भीड़ को तीतर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और वाटर कैनन भी चलाने के बाद कर्फ्यू लगा दिया. बाद में कर्फ्यू पूरे देश में लागू कर दिया गया.

कोलंबो
राष्ट्रपति के कार्यालय के बाहर भारी संख्या में पुलिसतस्वीर: Ishara S. Kodikara/AFP/Getty Images

शुक्रवार को ही देश में आपातकाल घोषित किया गया था. राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कई हफ्तों से चल ही रहे थे. लेकिन सोमवार को ग्रामीण इलाकों से बसों में भर कर राजपक्षे का समर्थकों को राजधानी लाया गया. करीब 3,000 समर्थकों को राजपक्षे ने अपने निवास पर संबोधित किया और "देश के हितों की रक्षा करने" की शपथ ली.

कैसे हुई हिंसा

इसके बाद उनके समर्थक उनके आवास से निकले और पहले तो प्रदर्शनकारियों के तम्बू, बैनर इत्यादि हटाए और उसके बाद निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया. एक  गवाह ने बताया, "हमें मारा गया, मीडिया को मारा गया, महिलाओं और बच्चों को मारा गया."

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श्रीलंका में अमेरिका की राजदूत जूली चुंग ने एक ट्वीट में "शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा" और सरकार ने कहा कि वो इस मामले की पूरी जांच कराए और "जिसने भी हिंसा भड़काई उसे गिरफ्तार किया जाए और सजा दी जाए."

कोलंबो
प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले चलता एक पुलिसकर्मीतस्वीर: Ishara S. Kodikara/AFP/Getty Images

राष्ट्रपति 31 मार्च के बाद से सार्वजनिक तौर पर कहीं दिखाई नहीं दिए हैं. उस दिन हजारों गुस्साए हुए लोगों ने कोलंबो स्थित उनके निजी निवास के अंदर घुसने की कोशिश की थी. श्रीलंका में यह संकट कोरोना वायरस महामारी के बाद शुरू हुआ जिसकी वजह से पर्यटन और विदेश से आने वाले पैसों से कमाई बंद हो गई.

इसकी वजह से विदेशी मुद्रा की कमी हो गई जिसकी जरूरत अंतरराष्ट्रीय ऋण चुकाने के लिए पड़ती है. मजबूर हो कर सरकार ने कई चीजों के आयात पर बैन लगा दिया. इस वजह से कई आवश्यक चीजों की भारी कमी हो गई, महंगाई दर बहुत ऊपर चली गई और बिजली संकट भी हो गया.

सीके/एए (एपी, एएफपी)

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