मौसम बदला तो ठंडे देशों में भी उगने लगा जैतून
जलवायु परिवर्तन के कारण ठंडे देशों में नई फसलों के लिए अवसर बढ़ रहे हैं. जैतून के पेड़, जो पहले केवल दक्षिणी यूरोप में उगते थे, अब हंगरी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भी फल-फूल रहे हैं.
हंगरी में ओलिव के पेड़
हंगरी के शराब निर्माता चाबा टोरोक ने 2008 में स्पेन से लाकर ओलिव यानी जैतून के तीन पेड़ लगाए थे. उनमें से दो पेड़ ठंड में मर गए, लेकिन तीसरा बच गया. उसके बाद वह 200 पेड़ और लाए. अब उनका अच्छा-खासा बगीचा है.
जैतून का तेल उत्पादन
चाबा टोरोक अपने हाथ से चुने जैतून को स्लोवेनिया ले जाते हैं, जहां उनसे जैतून का तेल बनाया जाता है. यह तेल 4500 फोरिंट्स (लगभग 1,000 रुपये) प्रति 100 मिली लीटर की कीमत पर बिकता है.
हंगरी की बदलती जलवायु
हंगरी की सर्दियां अब पहले से कम सर्द हो गई हैं, जिससे यहां का मौसम जैतून जैसे पेड़ों के लिए अनुकूल हो गया है, जो पहले केवल दक्षिणी यूरोप में उगते थे.
यूरोप में जलवायु परिवर्तन
यूरोप सबसे तेजी से गर्म होने वाला महाद्वीप है. दक्षिणी यूरोप, विशेषकर स्पेन, लंबे समय तक सूखे और गर्मी की लहरों का सामना कर रहा है, जिसके कारण जैतून के पेड़ों की खेती उत्तरी क्षेत्रों की ओर बढ़ रही है.
स्पेन में जैतून
स्पेन दुनिया के 40 फीसदी जैतून तेल का उत्पादन करता है. लेकिन हाल के सालों में गर्मी और सूखे के कारण उसके यहां कई बार फसलें खराब हुई हैं, जिससे जैतून के तेल की कीमतें बढ़ गई हैं. हालांकि इस साल स्पेन को उम्मीद है कि पिछले साल से करीब 50 फीसदी ज्यादा फसल होगी.
स्लोवाकिया में भी जैतून
स्लोवाकिया में भी जैतून के पेड़ लोकप्रिय हो रहे हैं. गांव ईजा में एक किसान इश्तवान वास ने स्पेन से 25 ट्रक जैतून के पेड़ मंगाए हैं, जिन्हें वह 300-500 यूरो के हिसाब से बेच रहे हैं. हालांकि वह ठंड से बचाने की सलाह भी दे रहे हैं. वीके/सीके (रॉयटर्स)