दक्षिण कोरिया: सोल की आबादी क्यों घट रही है?
२० जून २०२२बहुत से दक्षिण कोरियाई लोग सोल को छोड़ कर जा रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह घरों का महंगा होना है. वे अपने परिवार और बच्चों के साथ रहने के लिए उपनगरीय इलाकों या फिर छोटे शहरों को चुन रहे हैं. दक्षिण कोरिया की सरकार की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि इस साल मई महीने तक सोल महानगर में रहने वालों की संख्या 94.9 लाख है. इस शहर में रहने वालों की सबसे ज्यादा संख्या 1992 में दर्ज की गई थी जब यह आंकड़ा 1.097 करोड़ था.
दक्षिण कोरियाई राजधानी की आबादी 2016 में ही एक करोड़ के आंकड़े से कम हो गई थी. गृह और सुरक्षा मामलों के मंत्रालय की एक रिपोर्ट कहती है कि 2050 तक शहर की आबादी घटकर 72 लाख पर आ सकती है.
सोल के पास कभी इस इलाके की सबसे बड़ी और प्रभावशाली राजधानी होने का रुतबा था, लेकिन अब उसका आकर्षण घटता जा रहा है. इससे सोल की उन कोशिशों को भी झटका लग सकता है जिनके तहत वह चीन की सख्ती के बीच हांग कांग छोड़ रही कंपनियों को आकर्षित करना चाहता है. सोल खासतौर से वित्तीय सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को अपनी तरफ खींचना चाहता है, ताकि वह टोक्यो और सिंगापुर को टक्कर देते हुए एशिया प्रशांत क्षेत्र का अहम बाजार बन सके.
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लोग क्यों छोड़ रहे हैं सोल
किम ह्युन जुंग 2015 में सोल को छोड़कर गांकवन प्रांत में चली गईं, जहां उनके पास बड़ा सा घर है. उन्हें अपने इस फैसले पर ज्यादा अफसोस नहीं है. वह कहती हैं, "लोगों के सोल छोड़ने के फैसले के पीछे वजह घरों के बढ़ते दाम हैं. कीमतें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. बहुत से लोगों के लिए यहां रहना मुश्किल हो रहा है."
किम और यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले उनके पति ने कीमतें बढ़ने से काफी पहले ही सोल छोड़ दिया था. मार्च 2017 में ग्रेटर सोल में एक घर की औसत कीमत 34.1 करोड़ कोरियन वॉन थी. इस मार्च में यह कीमत बढ़कर 62.6 करोड़ कोरियन वॉन हो गई.
डान पिंकस्टन सोल की ट्रोय यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हैं. वह कहते हैं कि लोग सोल को छोड़कर उपनगरीय इलाकों और बड़े शहरों के पास बसे छोटे शहरों में जा रहे हैं. वह कहते हैं, "सरकार ने बुनियादी ढांचे में बहुत निवेश किया है. लंबी दूरी की ट्रेन चलाई हैं ताकि लोग भले ही दूर रहें लेकिन काम करने के लिए शहर में आसानी से आ जा सकें."
आर्थिक नुकसान
वह कहते हैं कि बहुत सारे लोग शहरों के पास बसाए जा रहे नए शहरों को पंसद कर रहे हैं, क्योंकि वहां सब सुविधाएं हैं जैसे आधुनिक स्कूल, अस्पताल और बेहतर जिंदगी के लिए खुला परिवेश. सोल छोड़कर जा रहे लोगों में कोई गिरावट नहीं दिखाई दे रही. इससे शहर की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकते हैं. एक ताजा रिपोर्ट कहती है कि सोल विदेशियों के लिए दसवां सबसे महंगा शहर है जहां घर के किराए से लेकर परिवहन और दूसरी चीजें बहुत महंगी हैं.
पिंकस्टन इस बात से सहमत हैं कि इन हालात में वैकल्पिक ठिकाने तलाश रही कंपनियां भी कहीं और जा सकती हैं, हालांकि इसकी एक वजह काम करने के तौर तरीकों में आ रहे बदलाव भी हो सकते हैं. उनके मुताबिक आज के दौर की हाई टेक कंपनियों को किसी महंगी जगह पर अपने हेडक्वार्टर बनाने की जरूरत नहीं है. ऐसे में सोल जैसी महंगी जगह से दूर रहने में ही वे भलाई समझेंगे.