तीन मौसम गुजरे, नहीं हुई बारिश, हड्डी का ढांचा बनी गायें
सोमालिया, केन्या और इथोपिया जैसे देश भयानक सूखा झेल रहे हैं. कई गांवों में मरे हुए मवेशियों का ढेर लग गया है. इससे बीमारियां फैलने का खतरा भी है.
हॉर्न ऑफ अफ्रीका का सूखा
अफ्रीका के कई देशों में लगातार तीन बारिश के मौसम बिना बरसात के बीत चुके हैं. हॉर्न ऑफ अफ्रीका कहे जाने वाले सोमालिया, केन्या और अब इथोपिया जैसे देशों में सूखे से लोग और मवेशी बेहाल हैं.
करोड़ों की जान मुश्किल में
इन इलाकों में मवेशियों की दशा सूखे की भयावहता दिखाती है. सिर्फ केन्या में इसके चलते 21 लाख लोग भुखमरी की कगार पर खड़े हैं. पूरे इलाके में करोड़ों लोग इससे प्रभावित हैं.
आंखों के सामने दम तोड़ती उम्मीदें
सत्तर साल के हुसैन अहमद की 7 गायें इस त्रासदी की भेंट चढ़ चुकी हैं लेकिन अब भी मन में आस पाले बैठे हैं कि बची 16 का ये हाल नहीं होगा. इसी कोशिश में वे गायों को एक तालाब में पानी पिलाने जा रहे हैं.
मवेशी बचाने की जद्दोजहद
इथोपिया के सोमाली इलाके की इस गाय की हालत गंभीर सूखे के चलते खराब हो चुकी है. खुद से उठना-बैठना भी मुश्किल है. स्थानीय उसे राहत और इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं.
किसी तरह पानी का इंतजाम
दामा मोहम्मद की भी आठ में से दो गायें सूखे की भेंट चढ़ गईं. बची गायों में से भी कई इस हालत में पहुंच चुकी हैं कि चल-फिर नहीं सकतीं. इसलिए वे उन्हें पिलाने के लिए पास के तालाब से पानी भर-भर कर लाती हैं.
एक-एक घर में दर्जनों मवेशियों की मौत
इथोपिया के सोमाली इलाके के कोराहे जोन में रहने वाली हफ्सा बेदेल छह बच्चों की मां हैं. सागालो गांव की निवासी हफ्ता बताती हैं कि वे पहले ही उनकी 25 भेड़-बकरियां और 4 ऊंट मर चुके हैं.
कमजोर पशुओं को जल्द घेर रहे हैं रोग
इन इलाकों में लोग ऊंटों और अन्य मवेशियों के लिए सरकारी कुएं से पानी का इंतजाम कर रहे हैं. लेकिन सही खाना न मिलने से कमजोर हुए पालतू जानवर आसानी से कई रोगों के शिकार हो रहे हैं.
केन्या में राष्ट्रीय आपदा
लगातार बिगड़ती सूखे की दशा के चलते केन्या में राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा ने सितंबर में ही सूखे को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया था.
खुद को बचाएं या मवेशियों को
सूखे की वजह से भोजन और पानी की भारी कमी हो गई है, लोग खुद के लिए ही भोजन नहीं जुटा पा रहे, ऐसे में मवेशियों को कौन पूछे. जिससे यह स्थिति उनके लिए काल बन रही है.
गरीब देशों को ज्यादा खतरा
जलवायु परिवर्तन इन कम आय वाले देशों पर और ज्यादा गंभीर असर होता है. क्योंकि लोगों के पास बढ़ी पर्यावरणीय मुसीबतों से लड़ने के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं होतीं और सरकारें भी उनकी मदद कर पाने में अक्षम होती हैं.