"दुश्मन" की वजह से बल्ले-बल्लेः चीन-जापान की मजेदार कहानी
२७ फ़रवरी २०२४पिछले हफ्ते जापान का शेयर सूचकांक निकेई अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था. 1989 के बाद से निकेई लगातार नीचे जा रहा था और उसे वापस उस स्तर को पार करने में करीब 25 साल लग गए. कुछ विश्लेषकों के मुताबिक इसकी एक वजह वह धन भी है जो चीन से निकालकर जापान में लगाया जा रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट है कि कुछ निवेशक तो ऐसा चीन से दूरी बनाने के लिए कर रहे हैं जबकि निवेशकों का एक तबका ऐसा भी है जो जापान और चीन के बीच सावधानी-पूर्वक बढ़ती व्यापारिक नजदीकियों का फायदा उठाना चाह रहे हैं.
चीन में जापानी निवेश
निकेई में लिस्टेड कई बड़ी कंपनियों का चीन में निवेश है. इनमें टोक्यो इलेक्ट्रॉन और यूनिक्लो ब्रैंड की मूल कंपनी फास्ट रीटेलिंग जैसी कंपनियां शामिल हैं जिनके शेयर पिछले एक साल में 60 से 125 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. एसआईसीएस कॉर्प की भी चीन में कई शाखाएं हैं और उसके शेयर 91 फीसदी ऊपर जा चुके हैं. जापान की रेस्तरां चेन साइजेरिया ने भी चीन में अपना कारोबार शुरू किया है और उसके शेयर 62 फीसदी ऊपर हैं.
जो निवेशक पहले से चीन में निवेश करते रहे हैं, वे अमेरिका और चीन के बीच जारी तनातनी के कारण चीन से दूरी बनाना चाहते हैं, इसलिए उन जापानी कंपनियों में पैसा लगाना उन्हें एक सुरक्षित विकल्प लग रहा है जिनका चीन में व्यापार है. इस तरह वे चीन में हो रही वृद्धि का लाभ भी उठा रहे हैं और चीन के साथ विवाद की स्थिति में हो सकने वाले खतरे से भी बचे हुए हैं.
अमेरिका के फिलाडेल्फिया स्थित विज्डम ट्री एसेट मैनेजमेंट कंपनी की मॉडर्न अल्फा शाखा की निदेशक लीकियान रेन कहती हैं, "अमेरिकी राजनीतिक माहौल को देखते हुए जापानी शेयर खरीदने में इस वक्त कम खतरा है. अगर किसी शेयर का चीन से संबंध है भी, तो भी जापानी शेयर पर आपको किसी राजनीतिक सवाल का जवाब नहीं देना होगा.”
चीन और जापान की नजदीकियां
असल में चीन जापान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. उसके कुल व्यापार का 20 फीसदी से ज्यादा चीन के साथ होता है. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बाद उसका सबसे ज्यादा निवेश भी चीन में है.
व्यापारिक रूप से इतनी नजदीकियां होने के बावजूद दोनों देशों के वित्तीय बाजारों की स्थिति एकदम उलट है. चीन की ब्लूचिप कंपनियों का सूचकांक सीएसआई300 इसी महीने पांच साल के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया था और अब भी पिछले साल के मुकाबले 18 फीसदी नीचे है. इसकी मुख्य वजह देश के प्रॉपर्टी बाजार में मंदी और अर्थव्यवस्था के लिए किसी बड़े सहारे का ना होना है.
दूसरी तरफ जापानी शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं और आर्थिक सुधारों व अर्थव्यवस्था के सकारात्मक रुख के चलते उसकी रफ्तार में कमी आने के संकेत नहीं हैं.
एलएसईजी कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2023 से अब तक चीन में लगे विदेश धन में से 6.59 अरब डॉलर निकाले जा चुके हैं जबकि पिछले महीने जापान में 6.3 अरब डॉलर का निवेश हुआ है. पिछले साल वहां 7.84 अरब डॉलर का निवेश हुआ था.
जापान की बल्ले बल्ले
सिडनी में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कंपनी प्लैटिनम एसेट मैनेजमेंट के जेमी हाल्स बच्चों के लिए उत्पाद बनाने वाली कंपनी पिजन कॉर्प के मालिक हैं. कंपनी का अधिकतर मुनाफा चीन से आता है. हसल बताते हैं कि पिछले साल देश में शादियों की संख्या में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है.
हाल्स कहते हैं, "एक अन्य क्षेत्र सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन है जो चीन की मांग पर बहुत अधिक निर्भर है. हाल के समय में इसमें बहुत वृद्धि देखी गई है.”
गोल्डमैन सैश के जापानी शेयरों के प्रमुख ब्रूस कर्क कहते हैं, "हमारे हेज फंड में बहुत सा धन चीन से निकल रहा है और जापान में जा रहा है.”
जिन कंपनियों का चीन में निवेश नहीं है, उन्हें भी इससे खूब धन मिला है. रिक्रूट होल्डिंग्स और टोयोटा जैसी जापानी कंपनियों के शेयरों के भाव भी उछाल मार रहे हैं.
चाहे बारास्ता जापान चीन में निवेश करना हो या चीन से बचने की कोशिश हो, जापानी बाजार को इस पूरे माहौल का जबरदस्त फायदा मिल रहा है. यह बात और दिलचस्प इसलिए हो जाती है क्योंकि चीन और जापान राजनीतिक रूप से एक दूसरे से काफी दूर हैं और दोनों देशों के बीच एक अविश्वास का माहौल है. यहां तक कि चीन को जापान कई बार अपने लिए बड़ा सैन्य खतरा बता चुका है. अमेरिका और जापान एक दूसरे के मजबूत सैन्य साझीदार हैं. जापान में अमेरिका के सैन्य अड्डे भी हैं, जिन्हें लेकर चीन आपत्ति जताता रहा है.
वीके/एए (रॉयटर्स)