वैज्ञानिकों ने मिल्की-वे में खोजे शिव और शक्ति
२५ मार्च २०२४वैज्ञानिकों ने आसमान में शिव और शक्ति को खोज लिया है. हिंदू देवताओं के नाम से जानी जाने वाली ये सितारों की दो प्राचीन श्रृंखलाएं हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि मिल्की-वे के निर्माण में इनकी अहम भूमिका रही होगी. इस खोज से वैज्ञानिकों को मिल्की-वे की जीवन यात्रा के बारे में नई जानकारियां मिली हैं.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के गाइया टेलीस्कोप से खोजी गईं इन श्रृंखलाओं के बारे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये दो अलग-अलग आकाशगंगाओं के अवशेष हैं जिन्होंने मिलकर नई आकाशगंगा मिल्की-वे को जन्म दिया.
शक्ति और शिव श्रृंखलाओं के सितारों का रासायनिक ढांचा वही है जैसा 12-13 अरब साल पहले जन्मे सितारों में पाया गया है. दोनों श्रृंखलाओं का भार हमारे सूर्य से एक-एक करोड़ गुना ज्यादा है.
हिंदू पुराणों में शिव और शक्ति के मिलन से ब्रह्मांड के जन्म का जिक्र आता है. अब वैज्ञानिकों की खोज से यह पता चलता है कि मिल्की-वे का निर्माण किस प्रक्रिया से हुआ होगा.
जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टिट्यूट में खगोलविद ख्याति मल्हान इस शोध की मुख्य शोधकर्ता हैं, जो इसी हफ्ते ‘एस्ट्रोफिजिकल' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. मल्हान बताती हैं, "मोटे तौर पर हमारे शोध का मकसद फिजिक्स के मूल सवाल का हल खोजना है कि आकाशगंगाएं कैसे बनती हैं.”
कैसे हैं शिव और शक्ति
मिल्की-वे करोड़ों-अरबों सितारों का समूह है जो करीब एक लाख प्रकाश वर्ष के दायरे में फैला हुआ है. सितारे, गैसें और सितारों की धूल के रूप में यह समूह एक लहर की तरह लंबाई में है. मल्हान कहती हैं, "हमारे अध्ययन से यह पता चला है कि मिल्की-वे का शुरुआती समय कैसा रहा होगा. हमने सितारों के उन दो समूहों की पहचान की है जो मिल्की-वे के निर्माण से पहले का आखिरी चरण रहा होगा.”
जिस गाइया टेलीस्कोप ने इस खोज में मदद की है, उसने 2013 में काम करना शुरू किया था. यह दूरबीन मिल्की-वे का अब तक का सबसे बड़ा थ्री-डी नक्शा तैयार कर रही है. इसके लिए सितारों की स्थिति, दूरियां और गति का आकलन किया जा रहा है. इसी डेटा से ख्याति मल्हान और उनके साथियों को शिव और शक्ति की पहचान का मौका मिला.
जिस बिग-बैंग से आकाशगंगाओं का निर्माण शुरू हुआ, वह करीब 13.8 अरब साल पहले हुआ था. शिव और शक्ति अब आकाश गंगा के केंद्र से 30 हजार प्रकाश वर्ष दूर स्थित हैं. शिव केंद्र के ज्यादा पास है जबकि शक्ति समूह दूर की तरफ है.
13 अरब साल लंबी फिल्म
2022 में गाइया के जरिए ही वैज्ञानिकों ने सितारों के एक और समूह की खोज की थी, जिसे ‘पुअर ओल्ड हार्ट' नाम दिया गया था. यह समूह आकाशगंगा के जन्म के समय से वहां मौजूद है. लेकिन शिव और शक्ति समूह में जो सितारे हैं, उनकी रासायनिक संरचना आकाशगंगा के अन्य सितारों से अलग है.
इन सितारों में लोहा, कार्बन, ऑक्सीजन और अन्य भारी धातुएं कम मात्रा में मौजूद हैं. ये धातुएं उन सितारों में मौजूद थे जो ब्रह्मांड के निर्माण की शुरुआत में बने थे. जब उन सितारों का जीवन खत्म हुआ और वे टूटे तो ये तत्व पूरे ब्रह्मांड में बिखर गए.
मल्हान बताती हैं, "आदर्श रूप में हम मिल्की-वे के जन्म की शुरुआत से अब तक के पूरे सफर का नक्शा बनाना चाहते हैं. यह 13 अरब साल लंबी एक फिल्म जैसा होगा. लेकिन यह आसान नहीं है.”
वीके/एए (रॉयटर्स)