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समाज

मुसलमानों के खिलाफ नॉर्डिक देशों में क्यों फैली नफरत की आग

३१ अगस्त २०२०

स्वीडन और नॉर्वे जैसे नॉर्डिक देशों में एक के बाद एक मुस्लिम-विरोधी भावनाएं भड़काने और कुरान जलाने की घटनाएं सामने आई हैं. मुसलमानों की धार्मिक पुस्तक कुरान का अपमान कर धुर दक्षिणपंथी आखिर दंगे क्यों भड़का रहे हैं.

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Proteste in Schweden Malmö
तस्वीर: Reuters/TT News Agency

स्वीडन के दक्षिणी शहर मालमो में बीते हफ्ते विरोध प्रदर्शन करने इकट्ठा हुए 300 से भी अधिक धुर-दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने कुरान को आग लगा दी, जिसके बाद वहां दंगे भड़क उठे. पुलिस ने बताया कि इससे नाराज लोगों ने शहर में जगह जगह संपत्ति को आग लगाई और पुलिस और बचाव दल के लोगों पर हमला किया. इसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए और दंगा फैलाने के आरोप में 15 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया.

मालमो स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा शहर है जिसके 320,000 निवासियों में से करीब 40 फीसदी विदेशी मूल के हैं. प्रवासी-बहुल शहर मालमो के निवासी शाहेद ने स्थानीय समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, "यह सही नहीं हुआ... लेकिन ऐसी नौबत ही नहीं आती अगर उन लोगों ने कुरान नहीं जलाई होती."

पुलिस का मानना है कि मुस्लिम प्रवासी बहुल इलाके में मुसलमानों की सबसे पवित्र किताब कुरान को जलाकर उसका अपमान करने और उन्हें भड़काने की जानबूझ कर कोशिश की गई. स्थानीय समाचारपत्रों में छपी खबरों में बताया गया कि धुर दक्षिणपंथियों ने इसीलिए मालमो में कुरान को जलाने की योजना बनाई थी. घटना के बाद पुलिस ने ऐसे तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया जिन पर जानबूझ कर एक समुदाय विशेष के खिलाफ घृणा फैलाने का संदेह था.

एक विवादित नेता से जुड़े हैं तार

शुक्रवार को मुसलमानों की नमाज के दिन ही एक अन्य पड़ोसी नॉर्डिक देश डेनमार्क में आप्रवासी-विरोधी पार्टी 'स्ट्रीम कुर्स' के एक नेता रासमुस पालुदान स्वीडन के इस शहर में आकर भाषण देने वाले थे. हालांकि अशांति फैलने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने पालुदान पर अगले दो साल तक स्वीडन में कहीं भी प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया. पुलिस ने बाद में इस नेता को मालमो के पास से ही गिरफ्तार किया. पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें संदेह था कि वह "स्वीडन में कानून को तोड़ने जा रहे हैं और उनकी हरकत से समाज को खतरा हो सकता है."

यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर काफी सक्रिय इस नेता और वकील पर लगे इस प्रतिबंध को लेकर उनके समर्थक काफी नाराज हुए. पालुदान ने फेसबुक पर लिखा था, "वापस लौटा दिया गया और दो साल के लिए स्वीडन से बैन कर दिया गया. जबकि बलात्कारियों और हत्यारों का हमेशा स्वागत है!" शनिवार को भी स्वीडन की नॉर्वे से लगी सीमा पर एक समूह ने मुसलमान-विरोधी प्रदर्शन किए. इस प्रदर्शन के दौरान भी एक महिला ने कुरान का अपमान किया.

घृणा फैलाने की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया

इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के एलायंस ऑफ सिविलाइजेशंस के प्रमुख की ओर से उनकी प्रवक्ता ने बयान दिया कि "वह दक्षिण चरमपंथियों द्वारा कुरान को जलाने की साफ तौर पर निंदा करते हैं और यह घृणित और पूरी तरह अस्वीकार्य है."

संस्था के प्रमुख मिगेल मोरातिनोस की ओर से प्रवक्ता निहाल साद ने कहा कि वे सभी धर्म के नेताओं का आह्वान करते हैं कि वे धर्म के आधार पर हिंसा ना करें और समझे कि "ऐसी घटिया हरकतें नफरत फैलाने वाले और कट्टरपंथी समूह करते हैं जिससे समाज की बुनावट को उधेड़ा जा सके.'' यूएन की यह संस्था धर्मों और संस्कृतियों के बीच बातचीत और समझ को बढ़ाने के प्रयास करती है.  

धार्मिक समुदायों से जुड़ी स्वीडन की एजेंसी देश में मुसलमानों की संख्या चार लाख से ऊपर बताती है. लेकिन साथ ही साथ बीते सालों में स्वीडन में दक्षिणपंथी भी काफी मजबूत हुए हैं. नॉर्डिक देशों से ऐसी हिंसा के तार 15 साल पहले की घटना से जुड़े दिखते हैं, जब सितंबर 2005 में डेनमार्क के एक अखबार ने मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद साहब के विवादित कार्टून छापे थे. इसकी पूरे विश्व से प्रतिक्रिया देखने को मिली थी और उन पर आतंकी हमला कराए जाने तक की धमकियां मिली थीं. उसके बाद से इस डेनिश अखबार ने फिर कभी ऐसे कार्टून प्रकाशित नहीं किए.

सुरक्षा कारणों के मद्देनजर, डेनमार्क के इस अखबार 'जीलैंड्स-पोस्टेन' ने 2015 में शार्ली एब्दो के कार्टून छापने से भी इनकार कर दिया था. 2015 में फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो के पेरिस दफ्तर पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट और दूसरे कर्मचारियों की हत्या कर दी गई.

आरपी/एनआर (एपी, एएफपी)

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