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समाज

यूपी धर्मांतरण मामले में विदेशी फंडिंग की जांच

२२ जून २०२१

उत्तर प्रदेश एटीएस ने धर्मांतरण के कथित अभियान चलाने के आरोप में दो मौलानाओं को दिल्ली के जामिया नगर इलाके से गिरफ्तार किया है. दोनों पर प्रलोभन देकर समाज के वंचित लोगों का धर्मांतरण करने का आरोप है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/S. Savostyanov

52 वर्षीय कासमी और 57 वर्षी उमर गौतम की गिरफ्तारी के साथ ही लखनऊ से दिल्ली तक राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. दोनों मौलाना की एक ओर राजनीतिक दल के सदस्य रिहाई की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि राज्य सरकार आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई कर रही है. यूपी सरकार के मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह का कहना है कि सरकार सबको साथ लेकर चलती है और अगर कोई इस तरह से धर्म परिवर्तन करवाता है तो इसको सरकार मंजूर नहीं करेगी और कानूनी कार्रवाई करेगी.

आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि यूपी सरकार गिरफ्तारी से आगामी विधानसभा चुनाव में फायदा लेना चाहती है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा गैर-संवैधानिक तरीके से साम-दाम, दंड-भेद की नीति अपना कर अपनी डूबती नैया पार लगाना चाहती है. भाजपा सरकार कानून और संविधान का गलत इस्तेमाल करना बंद करे और गैर-संवैधानिक तरीके से गिरफ्तार किए गए लोगों को जल्द रिहा करे."

दरअसल यूपी एटीएस ने कासमी और उमर गौतम को सोमवार को धर्म बदलवाने के आरोप में गिरफ्तार किया. आरोप है कि इन्होंने डेढ़ साल के दौरान नौकरी, शादी और पैसे का लालच देकर एक हजार से अधिक लोगों का धर्म बदलवाया. एटीएस का दावा है कि इनके पास से आईएसआई फंडिंग और धर्मांतरण कराने के सबूत मिले हैं. मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चंदे के रूप में विदेशी फंडिंग हुई है और एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान से आया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मूक-बधिर और शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों और युवाओं के धर्मांतरण में शामिल लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई के आदेश दिए हैं.

विदेशी फंडिंग की जांच

यपी के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि दो लोगों की गिरफ्तारी और उनसे पूछताछ के बाद मामले का खुलासा हुआ है. 2 जून को विपुल विजयवर्गीय और काशिफ को डासना के एक मंदिर से गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ में धर्म परिवर्तन के कथित रैकेट का खुलासा हुआ था. आरोप है कि यह दोनों गरीबों को पैसे का लालच देने का काम करते थे. पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने दो पीड़ितों को ढूंढ निकाला है जो यूपी के नोएडा के मूक-बधिर छात्र शामिल हैं. 

दोनों आरोपी 'इस्लामिक दावा सेंटर' नाम से एक केंद्र चलाते थे, जिसे दुनिया भर से फंडिंग मिलती थी. पुलिस उन लोगों को भी ट्रैक कर रही है जो इस रैकेट में फंस गए थे और यह समझने के लिए आगे की जांच कर रही है कि उन्होंने लोगों को कैसे प्रभावित किया. 

धर्म और भारतीय संविधान

बताया जाता है कि मोहम्मद उमर गौतम ने करीब 30 साल पहले खुद भी धर्म बदलकर इस्लाम कबूल किया था. आरोप है कि उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और केरल में भी इस तरह से धर्म परिवर्तन कराया गया है. कथित रैकेट के जरिए इन सभी राज्यों में एक हजार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन कराए जाने के दस्तावेज एटीएस के हाथ लगे हैं. 

हालांकि इस्लामी उपदेशकों की गिरफ्तारी की दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने आलोचना की है. खान ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि धर्म परिवर्तन कोई अपराध नहीं है. उन्होंने कहा संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इसकी अनुमति है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 में देश के हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है.

अनुच्छेद 25 के मुताबिक, सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म को मानने, उसका पालन करने और अपना धर्म के प्रचार की आजादी है. लेकिन प्रचार के अधिकार में किसी अन्य व्यक्ति के धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं है. अनुच्छेद 26 सभी धार्मिक संप्रदायों और संगठनों को नैतिकता के आधार पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और संस्थाएं बनाने का अधिकार देता है.

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