प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के खिलाफ केंद्र सरकार
३१ मार्च २०२२केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण की नीति रद्द करने का असर साढ़े चार लाख कर्मचारियों पर पड़ने से उनमें अंसतोष बढ़ेगा. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि 2007 से 2020 के बीच साढ़े चार लाख से अधिक कर्मचारियों को इसका लाभ मिला था. और ऐसे में अगर इस नीति के खिलाफ किसी भी तरह का आदेश दिया जाता है तो इसके गंभीर और व्यापक प्रभाव हो सकते हैं.
2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की केंद्र की इस नीति को खारिज कर दिया था. अपनी नीति का बचाव करते हुए केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि उस नीति से किसी पर उल्टा या नकारात्मक असर नहीं पड़ रहा था. सरकार का कहना है कि प्रमोशन में आरक्षण का लाभ सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को दिया गया जो मानदंडों को पूरा करते हैं और वो निर्धारित अर्हता पूरी करते हों.
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सरकार ने अदालत के सामने 75 मंत्रालयों और विभागों का डेटा भी पेश किया. उसने कहा कि कुल 27,55,430 कर्मचारियों में से 4,79,301 ही अनुसूचित जाति से और 2,14,738 अनुसूचित जनजाति से आते हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग के 4,57,148 कर्मचारी हैं. अगर प्रतिशत में देखें तो केंद्र सरकार के मंत्रालयों विभागों में एससी वर्ग से 17.30 फीसदी, एसटी वर्ग से 7.70 फीसदी और ओबीसी वर्ग से 16.50 फीसदी कर्मचारी हैं.
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर पूरा डेटा पेश करने को कहा था.