सोशल मीडिया पोस्ट के कारण नौकरी छिनने पर छिड़ी बहस
११ अगस्त २०२२सवाल उठाया जा रहा है कि किसी के खाते से उसकी तस्वीरें निकाल कर उस आधार पर उसे नौकरी छोड़ने पर मजबूर कैसे किया जा सकता है. इसे निजता के हनन का मामला बताया जा रहा है. इसकी वजह यह है कि उस महिला की प्रोफाइल 'लॉक्ड' थी यानी सार्वजनिक रूप से कोई उन तस्वीरों को नहीं देख सकता था.
एक छात्र के अभिभावक ने विश्वविद्यालय प्रबंधन को लिखे पत्र में दावा किया था कि छात्र अंग्रेजी की उस महिला प्रोफेसर की बिकनी वाली तस्वीरें देख रहे थे. उसके बाद प्रबंधन ने कथित रूप से उस महिला प्रोफेसर को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. प्रबंधन की दलील थी कि उस प्रोफेसर की "करतूत ने संस्थान की साख पर बट्टा" लगाया है. इसके एवज में विश्वविद्यालय ने महिला प्रोफेसर से मानहानि के तौर पर 99 करोड़ की रकम भी मांगी है.
दूसरी ओर, विश्वविद्यालय प्रबंधन ने महिला के तमाम आरोपों को निराधार बताते हुए दावा किया है कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था. यह मामला वैसे तो पुराना है. लेकिन यह अब सामने आया है. महिला प्रोफेसर के पास डॉक्टरेट के अलावा विदेशी डिग्रियां भी हैं. एक छात्र के अभिभावक की शिकायत के बाद विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर फेलिक्स राज ने महिला को बुला कर सार्वजनिक रूप से कहा कि उसकी तस्वीरें करीब-करीब नग्नता की श्रेणी में आती हैं.
क्या है मामला?
इस घटना के बाद महिला प्रोफेसर ने पुलिस में यौन उत्पीड़न और संभावित हैकिंग की शिकायत दर्ज कराई है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहती हैं, "मेरे खिलाफ जो कुछ हुआ वह बेहद सदमे वाली कार्रवाई है और यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आती है. मैंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर अपनी स्टोरी के साथ स्विमिंग सूट में कुछ तस्वीरें डाली थी और यह मामला मेरे विश्वविद्यालय में नौकरी शुरू करने से पहले का है. संभवत किसी ने मेरा अकाउंट हैक कर वे तस्वीरें सेव कर ली थीं. यह मेरी निजता का हनन और यौन उत्पीड़न का मामला है." महिला प्रोफेसर अपना नाम जाहिर करने से मना किया.
प्रोफेसर कहती हैं, "मेरी सहमति के बिना तमाम तस्वीरें एक ऐसी बैठक में सबको दिखाई गईं जहां मौजूद आधे से ज्यादा लोगों को मैं पहचानती तक नहीं थी. यह सब मेरे लिए बेहद अपमानजनक था. बैठक में अभिभावक की ओर से भेजा गया शिकायती पत्र भी उनको पढ़ कर सुनाया गया."
महिला के मुताबिक बैठक में मौजूद वाइस-चांसलर फेलिक्स राज और रजिस्ट्रार समेत दूसरे लोगों ने उनकी इस दलील को नहीं माना कि किसी ने उन तस्वीरों को हैक किया है. वाइस-चांसलर ने तो यह तक धमकी दी कि अगर छात्र के अभिभावक ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी तो उन्हें जेल तक की हवा खानी पड़ सकती है. महिला का दावा है कि जो तस्वीरें उन्होंने जून में डाली थी उनको तीन महीने बाद दूसरा कोई नहीं देख सकता था. कोई भी इंस्टाग्राम स्टोरी और तस्वीरें एक महीने बाद दिखाई नहीं देती.
'चिंताजनक'
इस महिला प्रोफेसर ने अगस्त 2021 में सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय में नौकरी शुरू की थी. उनका कहना है कि दो महीने बाद सात अक्टूबर को दोपहर बाद वाइस-चांसलर ने उन्हें बैठक के लिए बुलाया. अचानक बुलाई गई उस बैठक में सात अन्य प्रोफेसर भी मौजूद थे. प्रोफेसर कहती हैं कि बैठक में उन लोगों ने नैतिक पुलिस की भूमिका निभाई और लगातार उनका चरित्र हनन किया गया.
महिला प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने लिखित तौर पर इसके लिए माफी मांगते हुए कहा था कि उनका इरादा विश्वविद्यालय की साख पर बट्टा लगाना नहीं था. लेकिन वीसी ने वह पत्र पढ़े बिना कहा कि प्रबंधन ने उनको हटाने का फैसला किया है और इसलिए वे निजी कारण बताते हुए इस्तीफा दे दें.
वह बताती हैं कि बुरी तरह अपमानित होने के कारण उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया. वह सवाल करती हैं, "मैंने किस नियम का उल्लंघन किया है? विश्वविद्यालय प्रबंधन ने आखिर मुझे नौकरी पर नियुक्त करने से पहले मेरे सोशल मीडिया खातों की जांच क्यों नहीं कराई?" इसके बाद महिला ने काफी मशक्कत के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
इस घटना के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर कथित नैतिक पुलिसिंग के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है. सैकड़ों लोगों, महिला कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और कॉलेज शिक्षिकाओं ने विश्वविद्यालय की कार्रवाई पर गहरी चिंता जताते हुए इस प्रवृत्ति को खतरनाक व चिंताजनक करार दिया है. वह महिला बताती हैं, "मुझे छात्रों और उनके अभिभावकों का भारी समर्थन मिल रहा है."