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राजनीतिमाल्दीव

मालदीव के संसदीय चुनावों में 'चीन रहा विजेता'

२३ अप्रैल २०२४

मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू की पार्टी की संसदीय चुनावों में भारी बहुमत से जीत, भारत के लिए चिंता का विषय हो सकती है. भारत का पारंपरिक सहयोगी रहा मालदीव चीन के और करीब जा सकता है.

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चीन दौरे पर मोहम्मद मुईजू (बाएं) वहां के राष्ट्रपति शी जिन पिंग के साथ
चीन मालदीव संबंध में सहयोग लगातार बढ़ रहा हैतस्वीर: Liu Bin/Xinhua/IMAGO

मालदीव की मीडिया के मुताबिक संसदीय चुनावों में पीपल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी को भारी जीत हासिल हुई है. राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू की इस पार्टी के नेताओं को चीन का करीबी माना जाता है. इसलिए कई विशेषज्ञों की राय है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अहम भौगोलिक जगह रखने वाला मालदीव अब और ज्यादा चीन के करीब जा सकता है.

सोमवार को आए नतीजों के मुताबिक 93 सदस्यों वाली संसद, मजलिस में पीएनसी को 67 सीटें मिल रही हैं, जो दो तिहाई बहुमत से ज्यादा है. उसे पांच अन्य सांसदों का भी समर्थन हासिल है. यह जीत मुईजू के लिए देश में चीन की प्रस्तावित निवेश योजनाओं को पास कराने में अहम साबित होगी.

मुईजू को मिली ताकत

पिछली संसद ने चीन के निवेश वाली कई विनिर्माण योजनाओं को रोक रखा था जिनमें एक कृत्रिम द्वीप भी शामिल है. इस द्वीप पर दसियों हजार घर, मछली फैक्ट्रियां और नया एयरपोर्ट बनाए जाने का प्रस्ताव है. नई संसद में बहुमत मिलने के बाद मुईजू के लिए इस परियोजना को पारित कराना आसान हो जाएगा.

राजधानी माले में रहने वालीं 47 वर्षीय मतदाता फातिमात रशीदा ने कहा, "लोगों ने मुईजू की पार्टी के पक्ष में इसलिए मतदान किया क्योंकि उन्हें भरोसा है कि वह अपने वादे पूरे करेंगे. उन्होंने बहुत सारे निर्माण के वादे किए हैं. मुझे लगता है कि उनमें इन्हें पूरा करने की क्षमता है और वह जरूर ऐसा करेंगे.”

इन परियोजनाओं में चीन के निवेश का अर्थ यह होगा कि 800 किलोमीटर के दायरे में फैले 1,192 छोटे-छोटे द्वीपों वाला देश मालदीव और ज्यादा चीन के प्रभाव में आ जाएगा.

चीन की जीत

श्रीलंका में तैनात एक पश्चिमी कूटनीतिज्ञ ने कहा, "कुल-मिलाकर मालदीव के चुनाव में विजेता चीन रहा है.”

मालदीव को लेकर दक्षिण एशिया की दो सबसे बड़ी ताकतों भारत और चीन के बीच खींचतान चलती रही है. पिछले साल मोहम्मद मुईजू के मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद इस खींचतान में और तनाव बढ़ गया. 

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू
संसदीय चुनावों में जीत के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजूतस्वीर: Mohamed Afrah/AFP/Getty Images

‘इंडिया आउट' अभियान की लहर पर सवार होकर राष्ट्रपति बनने वाले मुईजू ने भारत पर देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया और वादा किया था कि वह देश में मौजूद भारतीय सैनिकों को निकाल देंगे.

ऐसा हुआ भी जब भारत ने मार्च महीने में अपने सैनिक मालदीव से वापस बुला लिए और उनकी जगह असैन्य कर्मचारियों को तैनात किया. मालदीव की विदेश नीति में यह एक बड़ा बदलाव है क्योंकि पारंपरिक रूप से वह भारत का सहयोगी रहा है. भारत उसकी बड़े पैमाने पर मदद करता आया है. मुईजू को चीन का समर्थक माना जाता है और राष्ट्रपति बनने के बाद वह सबसे पहले चीन के दौरे पर ही गए थे, जहां उन्होंने कई बड़े आर्थिक और कूटनीतिक समझौते भी किए.

इन समझौतों के तहत मालदीव में होने वाले निवेश को संसदीय चुनावों में भी बड़ा मुद्दा बनाया गया था. राष्ट्रपति के एक सहयोगी ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "लोगों ने उनके पुलों, हवाई अड्डों और सबसे जरूरी चीज, घरों को बनाने के वादे पर भरोसा किया.”

यह निर्माण चीन से मिलने वाले कर्जों से होने का अनुमान है. चीन की बेल्ट एंड रोड नीति के तहत चीनी कंपनियों को ही इस निर्माण के ठेके भी मिल सकते हैं.

भारत से संबंधों पर असर

भारत और मालदीव में बढ़ती दूरियों का स्पष्ट असर मालदीव जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में दिख रहा है. जनवरी से मार्च 2024 के बीच मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या 40 फीसदी गिर गई जबकि चीनी पर्यटकों की संख्या में 200 फीसदी का इजाफा हुआ.

पर्यटन पर आधारित मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारतीय पर्यटकों का सबसे बड़ा योगदान रहता है. मुईजू ने अपनी नीतियों के जरिए यह जाहिर कर दिया है कि उन्हें भारतीय पर्यटकों की उतनी जरूरत नहीं है, जितनी चीन की है. यही वजह है कि मालदीव के पर्यटन मंत्रालय की ओर से जारी ताजा मासिक आंकड़ों के मुताबिक 2024 की पहली तिमाही में पर्यटकों के मामले में चीन सबसे ऊपर रहा जबकि पिछले साल रूस के बाद दूसरे नंबर पर रहा भारत छठे नंबर पर खिसक गया.

 माले में अपने बैग के साथ जाते सैलानी
मालदीव में भारत से आने वाले सैलानियों की संख्या लगातार घट रही हैतस्वीर: Ishara S. Kodikara/AFP/Getty Images

वैसे, भारत और मालदीव की सरकारें कई बार कह चुकी हैं कि दोनों देशों के बीच दशकों पुराने संबंध वैसे ही मधुर बने रहेंगे. मुईजू ने तो हाल ही में कहा कि भारत उनका सबसे करीबी सहयोगी बना रहेगा. मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत मालदीव का सबसे करीबी सहयोगी है.

मुईजू ने कहा, “विवाद का एकमात्र विषय मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी थी. भारत ने भी इसे स्वीकार किया और सेना की वापसी पर सहमति जताई. मैं मानता हूं कि बातचीत से कोई भी मुद्दा सुलझाया जा सकता है.”

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि हाल का भारत विरोधी माहौल मालदीव में सिर्फ चुनावी राजनीति से प्रेरित है और जमीनी हालात पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पीएचडी कर चुकीं ओआरएफ-चेन्नई की फेलो विनीता रेवी एक लेख में लिखती हैं, “यह चुनावी राजनीति है. पड़ोसी देशों में भारत विरोधी अभियान पहले भी चलते रहे हैं, जो धीरे धीरे खत्म हो जाते हैं. एक बार जब चुनाव संपन्न हो जाते हैं तो प्रशासन की अहमियत लौट आती है और भारत के पड़ोसी अपनी राजनीतिक अर्थव्यवस्था में उसकी अहमियत को स्वीकार करते हैं. साथ ही वे अन्य विकल्पों को भी तलाशते हैं.”

चीन के बढ़ते कर्ज

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, "चीन मालदीव के साथ अपनी पारंपरिक दोस्ती को कायम रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग की इच्छा रखता है.”

पश्चिम देशों का आरोप है कि चीन छोटे-छोटे देशों को कर्ज के जाल में फांस रहा है. श्रीलंका के रूप मेंइसकी मिसाल दी जाती है जिसने ढांचागत विकास की परियोजनाओं के लिए चीन से भारी कर्ज लिया था. हालांकि मुद्राभंडार खत्म होने के बाद वह संकट में फंस गया और अप्रैल 2022 में उसे खुद को दीवालिया घोषित करना पड़ा.

दो महीने पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मालदीव को भी चेतावनी दी थी कि उसका कर्ज बहुत बढ़ गया है और उसे नीतियों में बदलाव करना चाहिए. विश्व बैंक के मुताबिक मालदीव पर 2022 में 3.99 अरब डॉलर का कर्ज है जो उसकी जीडीपी का 71 फीसदी है. तीन साल पहले आईएमएफ ने एक अध्ययन के बाद कहा था कि देश के कुल कर्ज का 53 फीसदी चीन से था.

लोगों की चाह

विश्लेषक कहते हैं कि इसके बावजूद चीनी कर्जे पर आधारित मुईजू के वादों ने मतदाताओं को आकर्षित किया है. सबसे बड़ा वादा तो राजधानी के नजदीक एक कृत्रिम द्वीप पर 30 हजार अपार्टमेंट बनाने का है. मतदान से एक हफ्ता पहले मुईजू ने चीन की सरकारी कंपनियों को तीन मछली फैक्ट्रियां बनाने के लिए 25 करोड़ डॉलर के ठेके आवंटित किए थे. पर्यटन के बाद मछली उद्योग देश का सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है.

श्रीलंका में मालदीव के राजदूत मसूद ईमाद कहते हैं, "चीन के साथ व्यापार करने की कीमत भारत से रिश्ते नहीं हैं. नई दिल्ली के साथ संबंधों के विस्तार की भी गुंजाइश है.”

चीन के इस प्रभाव का भारत के साथ उसके संबंधों पर असरहोना पहले ही शुरू हो चुका है. भारतीय सैनिकों की मालदीव से वापसी का मुद्दा सालों से गर्म था और अब 10 मई को भारतीय सैनिकों का आखिरी दस्ता भी स्वदेश लौट जाएगा.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)