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समाज

पेगासस विवाद: सरकार क्यों नहीं दाखिल करना चाहती हलफनामा

१३ सितम्बर २०२१

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पेगासस जासूसी विवाद पर सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह इस मामले पर हलफनामा दायर नहीं करना चाहती है. कोर्ट अगले 2-3 दिन में अंतरिम आदेश जारी करेगा.

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तस्वीर: Mario Goldmann/AFP/Getty Images

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित को ध्यान में रख केंद्र सरकार पेगासस जासूसी विवाद पर विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती है. तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि इन सबकी जांच एक विशेष समिति से कराने दें. इन डोमेन विशेषज्ञों का सरकार से कोई संबंध नहीं होगा. उन्होंने कहा कि उनकी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास आएगी.

राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल मेहता ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि सरकार डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल के समक्ष पेगासस मामले के संबंध में सभी विवरणों का खुलासा करेगी, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से हलफनामे पर नहीं.

सोमवार को पेगासस जासूसी विवाद पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की. बेंच ने कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी नहीं चाहती है और वह केवल स्पाइवेयर के अवैध उपयोग के जरिए आम नागरिकों द्वारा लगाए गए अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से चिंतित है.

मेहता ने जोर देकर कहा कि जो आतंकवादी संगठन हैं, वो यह नहीं जानते हैं कि आतंकवाद आदि से निपटने के लिए कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा, "इसके अपने नुकसान हैं."

सुप्रीम कोर्ट विभिन्न दिशा-निर्देशों की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें एक एसआईटी जांच, एक न्यायिक जांच और सरकार को निर्देश देना शामिल है कि क्या उसने नागरिकों की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं.

"छिपाने के लिए कुछ नहीं"

केंद्र ने दोहराया कि उसके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने अपने दम पर कहा है कि वह जासूसी के आरोपों की जांच के लिए डोमेन विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी, जो सरकार से जुड़े नहीं हैं.

सोमवार की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और अगले दो या तीन दिन में इस पर फैसला सुनाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि इस मुद्दे में राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू शामिल हैं और इसलिए इस पर हलफनामे पर बहस नहीं की जा सकती है.

मेहता ने कहा, "केंद्र पेगासस का उपयोग कर रहा था या नहीं, इस तरह के मुद्दों पर हलफनामों में बहस नहीं की जा सकती है और डोमेन विशेषज्ञों द्वारा देखा जा सकता है."

सीजेआई रमन्ना ने सवाल किया कि कोर्ट यह जानना चाहती है कि सरकार क्या कर रही है और हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर नहीं जा रहे हैं. हम सिर्फ लोगों के अधिकारों के बारे में चिंतित हैं.

बेंच ने कहा कि वह पहले ही साफ कर चुकी है कि वह नहीं चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने वाली किसी भी चीज का खुलासा करे. बेंच ने कहा, "हम केवल एक सीमित हलफनामे की उम्मीद कर रहे थे क्योंकि हमारे सामने याचिकाकर्ता हैं जो कहते हैं कि उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है."

दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की.

भारत में मीडिया संस्थान द वायर उस जांच का हिस्सा है, जिसे "पेगासस प्रोजेक्ट" नाम दिया गया है. इस जांच में फ्रांसीसी संस्था "फॉरबिडन स्टोरीज" को मिले उस डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण किया गया, जिसके तहत हजारों फोन नंबर्स को हैक किये जाने की सूचना थी.

रिपोर्ट में भारत में कई पत्रकारों, नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ता के फोन हैक करने का दावा किया गया था.

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