म्यांमार में 11 लोगों की हत्या पर आक्रोश
१० दिसम्बर २०२१म्यांमार की स्थानीय मीडिया और आम लोगों ने बताया कि सेना के काफिले पर हमले के एक दिन बाद सेना ने सगैंग प्रांत के डोंटाव गांव के रहने वाले 11 लोगों को बांध कर जिंदा जला दिया. मारे गए लोगों में बच्चे भी शामिल हैं. सेना ने इन दावों से इनकार किया है.
सैन्य सरकार द्वारा समर्थित ग्लोबल लाइट ऑफ म्यांमार अखबार ने इन खबरों को "फेक न्यूज" बताया और "स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों द्वारा षड़यंत्र का सबूत बताया." लेकिन स्थानीय लोगों ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने सैनिकों के चले जाने के बाद "हाथ बंधी हुई धधकती लाशों" को देखा.
सोशल मीडिया पर डाले गए एक वीडियो में भी कई जले हुए शव जमीन पर पड़े हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में एक आवाज कहती है, "इससे हम सब को दुख पहुंचा है...ये इंसानों की लाशें भी नहीं लग रही हैं." डेमोक्रेटिक वॉइस ऑफ बर्मा अखबार ने भी दावा किया कि सेना ने उन गांव वालों को पकड़ लिया था जो भाग नहीं पाए.
इस प्रांत में सेना और नागरिकों के सैन्य समूह पीपल्स डिफेंस फोर्स के सदस्यों के बीच नियमित रूप से लड़ाई होती रही है. स्थानीय मीडिया ने बताया कि सेना का हमला इसी समूह के सदस्यों द्वारा एक दिन पहले सेना की एक टुकड़ी पर किए गए हमले की प्रतिक्रिया में किया गया था.
'शांत हड़ताल'
इन हत्याओं के विरोध में लोगों ने एक "शांत हड़ताल" का आयोजन किया, जिसमें लोगों ने शहरों और कस्बों में सार्वजनिक स्थानों को खाली कर दिया और खुद ही खुद को घरों में बंद कर लिया. यह प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन ही आयोजित किया गया.
देश के सबसे बड़े शहर यांगोन में बाजार और दुकानें बंद रहीं. अमूमन खचाखच भरी रहने वालीं सड़कों पर कोई यातायात भी नहीं था. दूसरे सबसे बड़े शहर मंडाले में भी इसी तरह के दृश्य देखे गए. इस तरह के प्रदर्शन शहरों में लगातार हो रहे हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में काफी गंभीर लड़ाई हो रही है. वहां सेना ने ज्यादा ताकत लगा दी है.
हाल के महीनों में लड़ाई सगैंग और उत्तर पश्चिम के दूसरे इलाकों में सबसे ज्यादा तेज हो गई है. देश में फरवरी में हुए तख्ता पलट के बाद से ही लगातार उथल पुथल है. एक स्थानीय समूह के मुताबिक 1300 से ज्यादा लोग सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए हैं और अर्थव्यवस्था का भी बुरा हाल है.
सीके/एए (एपी, एएफपी)