अब कीव में कोई भारतीय नहीं हैः विदेश सचिव
२ मार्च २०२२यूक्रेन के खारकीव में एक भारतीय छात्र की गोलीबारी में मौत हो जाने के बाद फंसे भारतीयों को लाने के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया है कि 26 विमानों को उन छात्रों को लाने के लिए भेजा जा रहा है, जो यूक्रेन से सीमा पार कर पड़ोसी देशों में आ गए हैं.
मंगलवार को भारत सरकार के मंत्रियों की विशेष बैठक हुई जिसमें यूक्रेन संकट पर चर्चा की गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली इस बैठक के बाद श्रृंगला ने बताया कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन गंगा' अभियान के तहत 8 मार्च तक 46 उड़ानें उपलब्ध होंगी. इनमें से 29 बुखारेस्ट से, 10 बुडापेस्ट से, छह पोलैंड के शहर ज्येजो से और एक स्लोवाकिया से उड़ान भरेगी. इनके अलावा भारतीय एयरफोर्स का एक विमान बुधवार सुबह बुखारेस्ट के लिए रवाना हो गया.
भारतीय दूतावास बंद
विदेश सचिव ने कहा कि रूसी सेना की कार्रवाई में संभावित तेजी को देखते हुए कीव का भारतीय दूतावास बंद कर दिया गया है और कर्मचारी वहां से जा चुके हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अब कोई भारतीय यूक्रेन की राजधानी में नहीं है.
यूक्रेन में फंसे भारतीयों की मदद के लिए कई मंत्री जाएंगे यूरोप
उन्होंने कहा, "हमारे पास यह सूचना है कि कीव में अब कोई भारतीय नागरिक नहीं है. किसी ने कीव से हमसे संपर्क नहीं किया है. हमारे पास आ रही सारी पूछताछ अब जाहिर करती हैं कि सभी भारतीय नागरिक कीव से निकल चुके हैं.”
भारत सरकार ने जब पहली एडवाइजरी जारी की थी, तब अनुमानतः 20 हजार नागरिक यूक्रेन में मौजूद थे. श्रृंगला ने कहा, "तब से लगभग 12 हजार लोग यूक्रेन से निकल चुके हैं, जो कुल संख्या का 60 प्रतिशत है. बाकी 40 प्रतिशत में से करीब आधे उन इलाकों में हैं जहां लड़ाई हो रही है. बाकी आधे या तो यूक्रेन की पश्चिमी सीमा पर पहुंच चुके हैं या फिर आमतौर पर लड़ाई वाले इलाकों से बाहर हैं.”
विभिन्न देशों से बातचीत
श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के राजदूतों से बात की है. उन्होंने बताया, "मैंने अपनी मांग दोहराई कि सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकलने का रास्ता मिलना चाहिए.”
बीते गुरुवार को रूस की सेना ने यूक्रेन पर हमला किया था. तभी से भारतीय छात्रों में दहशत का माहौल था और वे किसी तरह निकलने की कोशिश में लगे हैं. सरकार ने छात्रों को सीमा पर पहुंचने के निर्देश दिए थे ताकि उन्हें पड़ोसी देशों के रास्ते निकाला जा सके. लेकिन बहुत से छात्र यूक्रेन की सीमा से काफी दूर रहते हैं और उनके लिए लड़ाई के बीच निकलना व सीमाओं पर पहुंचना मुश्किल हो रहा है.
यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्र भविष्य को लेकर चिंतित
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पोलैंड के राष्ट्रपति से बात कर उन्हें मदद करने के लिए शुक्रिया अदा किया है. इसके अलावा उन्होंने मंगलवार को मारे गए भारतीय छात्र के परिजनों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की है. 21 साल के एक भारतीय छात्र की खारकीव में तब गोली लगने से मौत हो गई थी, जब वह खाने-पीने का सामान लेने बाजार गया था.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)