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समाज

अहम है मोदी की अमेरिकी यात्रा

२२ सितम्बर २०२१

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर जा रहे हैं. मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच पहली व्यक्तिगत मुलाकात होगी. मोदी क्वाड देशों के नेताओं के साथ भी वार्ता करेंगे.

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तस्वीर: IANS

अमेरिका दौरे पर नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन के बीच पहली व्यक्तिगत बैठक होगी. व्हाइट हाउस में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा 24 सितंबर को जो बाइडेन से मिलेंगे. ये चारों देश क्वाड का हिस्सा हैं जो 2007 में बनाया गया था.

इसके अलावा मोदी की मुलाकात जो बाइडेन के साथ भी होनी है. मोदी और बाइडेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी. मोदी की मुलाकात उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से भी होगी. मोदी अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के साथ भी मुलाकात करेंगे.

अफगानिस्तान भी मुद्दा

मोदी के साथ उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच 24 सितंबर को वॉशिंगटन में होने जा रही द्विपक्षीय वार्ता में अफगानिस्तान के घटनाक्रम के अलावा कट्टरपंथ, चरमपंथ और सीमा पार से होने वाले आतंकवाद की रोकथाम के तरीकों के साथ-साथ भारत-अमेरिका वैश्विक साझेदारी का और अधिक विस्तार करने पर मुख्य रूप से चर्चा होगी.

विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि मोदी के दौरे के दौरान द्विपक्षीय, निवेश संबंधों को प्रगाढ़ करने और रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने समेत स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी को बढ़ावा देने पर दोनों नेताओं द्वारा जोर दिए जाने की उम्मीद है.

श्रृंगला के मुताबिक, "द्विपक्षीय बैठक में अफगानिस्तान के ताजा घटनाक्रम के बाद की मौजूदा क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति और अफगानिस्तान के दीर्घकालिक विकास साझेदार के तौर पर हमारे हितों पर भी चर्चा होगी."

क्वाड देशों की बैठक

पिछले हफ्ते ही व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने एक बयान में कहा था, "क्वाड नेता अपने संबंधों को और गहरा करने व व्यहारिकता में सहयोग बढ़ाने के लिए नए क्षेत्र जैसे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई, जलवायु परिवर्तन का संकट, आधुनिक तकनीकों और साइबर क्षेत्र में साझेदारी और स्वतंत्र व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र जैसे मुद्दों पर केंद्रित होंगे."

मोदी अमेरिका में क्वाड समूह की पहली बैठक में पहली बार सभी सदस्य देशों के नेताओं के आमने-सामने मुलाकात करेंगे. वह क्वाड नेताओं से अलग-अलग बैठक भी करेंगे.

चीन के भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों के ही साथ संबंध खराब हुए हैं, जिसके बाद अमेरिका भी क्वॉड में इन दोनों देशों की भूमिका बढ़ाने को लेकर गंभीर दिख रहा है. हिंद-प्रशांत में चीन की सक्रियता को लेकर क्वाड देश सतर्क हैं और वे क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदमों को रोकना चाहते हैं.

दूसरी ओर ऑकुस समझौते पर श्रृंगला का कहना है कि इस समझौते से क्वाड पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों का उद्देश्य अलग-अलग है और यह एक दूसरे को प्रभावित नहीं करेंगे. पिछले हफ्ते ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और युनाइटेड किंग्डम ने मिलकर एक नया रक्षा समूह बनाया है जो विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित होगा. जिसे ऑकुस नाम से जाना जा रहा है.

इस समूह के समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन अपनी परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियों की तकनीक ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेंगे. ऑकुस की वजह से फ्रांस काफी गुस्से में है और फ्रांस की नेवल ग्रुप के साथ ऑस्ट्रेलिया का करीब 40 अरब डॉलर का करार खत्म हो गया है.

भारत ने की कई पहल

मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम समेत विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं ने आतंकवाद, नशीले पदार्थों के व्यापार, अवैध हथियारों और मानव तस्करी के साथ-साथ मानवाधिकारों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत के बारे में अपनी-अपनी चिंताओं को साझा किया.

उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्र में स्थिरता-सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत-फ्रांस साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका की समीक्षा की.

अमेरिका दौरे पर मोदी 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के दौरान उच्च स्तरीय आम बहस को संबोधित करेंगे.

इस बीच 25 सितंबर को न्यू यॉर्क में सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द करने की रिपोर्ट है. मीडिया में कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सार्क की इस बैठक में तालिबान को शामिल करना चाहता था. खबरों के मुताबिक पाकिस्तान चाहता था कि इस बैठक में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि के रूप में तालिबान का नेता शामिल हो. लेकिन भारत समेत दूसरे देशों ने इसका विरोध किया.