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राजनीतिऑस्ट्रेलिया

कैसे हुई सिडनी में मोदी के कार्यक्रम की तैयारी

विवेक कुमार, सिडनी से
२२ मई २०२३

मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिडनी में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे. इस कार्यक्रम के लिए कई महीने से तैयारी जारी थी.

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मार्च में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी भारत में नरेंद्र मोदी से मिले थे.
मार्च में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी भारत में नरेंद्र मोदी से मिले थे.तस्वीर: Altaf Hussain/REUTERS

मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में एक विशाल आयोजन की तैयारी की गई है. इस आयोजन में लगभग 20 हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है. सिडनी के ओलंपिक पार्क में स्थित जिस क्वॉड एरिना स्टेडियम में यह कार्यक्रम होना है, उसकी क्षमता 18,500 सीटों की है. आयोजकों का कहना है कि सारी सीटें दो हफ्ते पहले ही आरक्षित की जा चुकी हैं और जिन लोगों को सीटें नहीं मिली हैं, वे स्टेडियम के बाहर लगाए गये विशाल पर्दों पर अंदर चल रहे कार्यक्रम को देख सकेंगे.

इस आयोजन की बहुत बारीकी से योजना बनाई गई, जिसकी तैयारी फरवरी में ही शुरू हो गई थी. जानकार बताते हैं कि फरवरी में एक संगठन इंडियन ऑस्ट्रेलियन डायस्पोरा फाउंडेशन की स्थापना की गई. उसी संगठन ने कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई और तैयारी की गई.

कौन लोग इस कार्यक्रम में शामिल होंगे, इसके लिए बहुत सावधानी से लोगों का चुनाव किया गया है. सीधे व्यक्तियों को आमंत्रित करने के बजाय ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे लगभग 350 संगठनों से संपर्क किया गया और उनके सदस्यों को ही टिकट बांटे गए.

सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त

इंडियन ऑस्ट्रेलियन कल्चरल एसोसिएशन ऑफ इलावारा के सचिव नवनीत मित्तल बताते हैं कि उनके संगठन को 40 सीटें दी गईं और उसके लिए सभी 40 व्यक्तियों को सत्यापित करने को कहा गया. इसी तरह विभिन्न शहरों में काम कर रहे भारतीय सांस्कृतिक संगठनों के सदस्यों को सांस्कृतिक प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया. उसके बाद कुछ समय के लिए सीटें आरक्षित करने की सुविधा व्यक्तियों के लिए खोली गई लेकिन जल्दी ही उसे बंद कर दिया गया.

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सिडनी ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी तट पर बसा है और विशाल महाद्वीप के बाकी शहर यहां से काफी दूर हैं. लेकिन लगभग सभी शहरों और न्यूजीलैंड तक से लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. तीन घंटे दूर स्थित राजधानी कैनबरा और दस घंटे दूर स्थित ब्रिसबेन से विशेष बसें लोगों को लेकर सिडनी आएंगी. इन बसों को ‘मोदी एक्सप्रेस कोच' नाम दिया गया है. इसके अलावा करीब 1,000 किलोमीटर दूर स्थित मेलबर्न से एक चार्टर विमान लोगों को लेकर सिडनी आएगा. इस विमान को ‘मोदी एयरवेज' नाम दिया गया है.

नवनीत मित्तल कहते हैं, "हम भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर बहुत उत्साहित हैं. क्वॉड के रद्द हो जाने के बावजूद उनका आना दिखाता है कि हमारा नेतृत्व कितना मजबूत है.”

विरोध प्रदर्शनों की आशंका

आयोजन की रूपरेखा से वाकिफ एक व्यक्ति ने नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर बताया कि आयोजक विरोध प्रदर्शनों को लेकर काफी चिंतित हैं, इसलिए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि कोई ऐसा व्यक्ति कार्यक्रम में ना पहुंच जाए. जिन लोगों को टिकटें मिली हैं, उन पर नाम लिखे हैं और लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे कैमरे, लैपटॉप, 170 मिलीमीटर से ज्यादा बड़े फोन, बोतल, कैन, बैगपैक, बड़े बैग, पेंट, बैनर, पोस्टर या झंडे आदि आयोजन स्थल पर नहीं ला सकते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में पिछले कुछ सालों में भारतीय समुदाय के बीच राजनीतिक ध्रुवीकरण तेजी से बढ़ा है और ऐसे कई संगठन सक्रिय हुए हैं जो मोदी सरकार पर लग रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों से चिंतित हैं. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ये संगठन आयोजन स्थल पर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं.

‘वी द डायस्पोरा' नाम के एक संगठन ने ऑस्ट्रेलिया की संसद में बुधवार को बीबीसी की उस डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग आयोजित की है, जिस पर हाल ही में भारत में विवाद हुआ था और उसके बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. नरेंद्र मोदी के स्वागत कार्यक्रम के अगले दिन इस डॉक्युमेंट्री ‘द मोदी क्वेश्चन' को कैनबरा स्थित संसद भवन में दिखाया जाएगा.

खालिस्तान समर्थक सिख संगठनों द्वारा भी नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान विरोध प्रदर्शनों की संभावना है. सिडनी में कई जगहों पर ऐसे पोस्टर दिखाई दिए हैं जिन पर ‘हिंदू आतंकवादी मोदी' की गिरफ्तारी का अनुरोध किया गया है. बीते कुछ महीनों में ऑस्ट्रेलिया के हिंदू मंदिरों पर मोदी-विरोधी नारे लिखे जाने की कई घटनाएं होने के बाद प्रशासन और सुरक्षा बल भी काफी चौकन्ने हैं.

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ऑस्ट्रेलिया की ग्रीन पार्टी के कुछ सांसदों ने प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि भारतीय प्रधानमंत्री के सामने मानवाधिकारों का मुद्दा उठाएं. पत्र में उन्होंने लिखा है, "हमने भारतीय समुदाय के लोगों जिनमें पंजाबी, कश्मीरी, मानवाधिकार संगठन, मुस्लिम और सिख संगठन शामिल हैं, से यह सुना है कि वे भारत में अपने परिवारों और भविष्य में उनकी अभिव्यक्ति की आजादी, धार्मिक स्वतंत्रता, विरोध करने के अधिकार को लेकर खासे चिंतित हैं.”

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