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मध्य प्रदेश: खबर दिखाने पर तीन पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज

२२ अगस्त २०२२

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में तीन पत्रकारों ने स्वास्थ्य विभाग की तथाकथित पोल खोलती हुई खबर दिखाई थी. अब जिला के कलेक्टर ने इन तीनों पत्रकारों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करवा दिया है.

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रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों पर पुलिस कई बार मामले दर्ज कर चुकी हैं
रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों पर पुलिस कई बार मामले दर्ज कर चुकी हैंतस्वीर: Javed Akhtar/DW

इन तीन पत्रकारों ने एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण एक व्यक्ति को अपने बीमार पिता को ठेले पर ले जाने के लिए मजबूर होने की खबर दिखाई थी.

न्यूज18 के पत्रकार अनिल शर्मा, पत्रिका के कुंजबिहारी कौरव और लल्लूराम डॉट कॉम के एनके भटेले पर जिला प्रशासन ने आईपीसी की धारा 420 और 505 और धारा 59, 2008 के तहत मामला दर्ज किया था.

पत्रकारों ने शुक्रवार को दबोह के ग्यारस प्रसाद विश्वकर्मा के वीडियो और तस्वीरें इस कहानी के साथ प्रकाशित कीं कि उन्हें उनके बेटे हरकिशन विश्वकर्मा द्वारा हाथ ठेले में अस्पताल ले जाया गया, जो 5 किमी दूर है. उन्होंने यह भी दावा किया कि कोई एंबुलेंस नहीं आई और परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.

ट्विटर पर यह वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें देखा जा सकता है कि ग्यास प्रसाद को उनके परिजन ठेले पर ले जा रहे हैं.

इस रिपोर्ट के बाद जिला कलेक्टर सतीश कुमार ने जांच के आदेश दिए. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लहर के प्रभारी डॉ. राजीव कौरव ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि जांच में पता चला है कि परिवार ने किसी एंबुलेंस से संपर्क नहीं किया और परिवार को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा था.

मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. तीनों पत्रकारों ने दावा किया कि उन्हें प्रशासन द्वारा झूठे मामले में फंसाया गया जा रहा है. पत्रकारों का कहना है, "हमने केवल सच दिखाया."

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यह रिपोर्ट लल्लूराम डॉट कॉम, पत्रिका और न्यूज18 ने दिखाई थी. जांच के बाद प्रशासन ने दावा किया कि परिवार ने एंबुलेंस सर्विस (108) से संपर्क करने की कोशिश नहीं की. पीड़ित पत्रकारों कहना है कि प्रशासन ने परिवार पर दबाव डाला है और कहा है कि जो सरकार की तरफ से सुविधाएं मिल रही हैं उनको वापस ले लेंगे.

वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 142 से आठ स्थान गिरकर 150 हुई
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 142 से आठ स्थान गिरकर 150 हुईतस्वीर: Aamir Ansari/DW

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भारत में इस तरह की रिपोर्टिंग करने पर कई बार फ्रीलांस पत्रकारों को प्रशासन की तरफ से कार्रवाई झेलनी पड़ती है. इसी तरह का एक मामला काफी चर्चित हुआ था जिसमें स्वतंत्र पत्रकार पवन जायसवाल ने यूपी के मिर्जापुर के एक प्राथमिक विद्यालय में मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने का मामला उजागर किया था.

उनके द्वारा बनाया गया वीडियो काफी चर्चित हुआ था और कई मीडिया संस्थानों ने इस पर खबर भी छापी थी. हालांकि, मिड डे मील में नमक रोटी की रिपोर्ट दुनिया के सामने लाने के बाद प्रशासन की ओर से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. साथ ही, पवन जायसवाल के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया था. इसी साल जायसवाल की कैंसर से मौत हो गई थी.

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हाल ही में पत्रकार मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने एक पुराने मामले में गिरफ्तार किया था और उसके बाद उनपर एक के बाद कई और मामले दर्ज कर लिए गए थे.

इसी साल जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 142 से आठ स्थान गिरकर 150 हो गई. नेपाल और चीन को छोड़कर उसके बाकी सारे पड़ोसियों की रैंकिंग भी गिरी है.

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