आइसलैंड के ज्वालामुखी से निकले लावा में घिरी सैलानियों की सैरगाह
आइसलैंड में गुरुवार को ज्वालामुखी विस्फोट के बाद भारी मात्रा में पिघला लावा निकला है. यह लावा सैलानियों की पसंदीदा जगह ब्लू लगून के जियोथर्मल स्पा तक पहुंच गया.
सातवीं बार ज्वालामुखी विस्फोट
आइसलैंड के रिक्यानेस प्रायद्वीप पर सुंधनुकागिगार ज्वालामुखी में एक साल में सातवीं बार विस्फोट हुआ. इसके बाद भारी मात्रा में पिघला लावा आसपास के इलाके में फैल गया है.
पार्किंग में भर गया लावा
काले, नारंगी रंग का पिघले लावा ने उस जगह को ढंक दिया है जहां कभी 350 से ज्यादा कारों और बसों के लिए पार्किंग थी. सैलानियों को यहां से निकाल लिया गया है.
सर्विस बिल्डिंग भी चपेट में
सैलानियों के सामान रखने वाली सर्विस बिल्डिंग तक भी लावा पहुंचा है. हालांकि इसकी वजह से पूल को किसी नुकसान की खबर नहीं है. एक रक्षा दीवार ने लावा को वहां तक पहुंचने से रोक लिया है.
सैलानियों को सुरक्षित निकाला गया
मछली के शिकार के लिए मशहूर ग्रिंडाविक विलेज और ब्लू लगून से सैलानियों को बुधवार को ही निकाल लिया गया था. ब्लू लगून के अधिकारियों का कहना है कि स्पा दोबारा कब खुलेगा यह नहीं कहा जा सकता.
साल भर से खाली है ग्रिंडाविक
ग्रिंडाविक के 4,000 निवासियों को साल भर पहले, जब पहली बार ज्वालामुखी फटने के तुरंत बाद ही वहां से निकाल लिया गया था. इसके बाद वहां के लगभग सारे घर सरकार को बेच दिए गए. हाल में यहां करीब 50 घरों में लोग रह रहे थे.
2021 से शुरू हुआ ज्वालामुखी के फटने का सिलसिला
इस प्रायद्वीप पर 800 सालों तक कोई ज्वालामुखी विस्फोट नहीं हुआ था. मार्च 2021 में यहां उच्च भूगर्भीय गतिविधियां शुरू हुईं और तब से ज्वालामुखी विस्फोट का सिलसिला शुरू हो गया है.
बना हुआ है खतरा
ज्वालामुखीविज्ञानी चेतावनी देते हैं कि इस इलाके में ज्वालामुखीय घटनाएं एक नए युग में प्रवेश कर चुकी हैं और यह सिलसिला अभी आगे लंबे समय तक जारी रह सकता है.
सबसे ज्यादा ज्वालामुखी वाला देश
आइसलैंड में 33 सक्रिय ज्वालामुखी तंत्र मौजूद हैं जो किसी भी यूरोपीय देश की तुलना में ज्यादा है. यह मध्य अटलांटिक रिज पर है जो यूरेशियाई और उत्तरी टेक्टोनिक प्लेटों को अलग करता है. इन्हीं की वजह से यहां भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं.