झुग्गी बस्ती से छुटकारा दिलाएगा शतरंज का खेल
७ मई २०२१प्लास्टिक की मेज की चारों ओर बच्चों का ध्यान शतरंज की बिसात पर है. वे शतरंज की चालों को समझने की कोशिश करते हैं. वे ध्यान के साथ अपनी चाल चलते हैं और पर्यवेक्षक उनकी चालों का निरीक्षण करते हैं. नाइजीरिया की आर्थिक राजधानी लागोस की ऊंची इमारतों और ऑफिस टॉवरों की दूसरी ओर बसी इस बस्ती के बच्चे उम्मीद में हैं कि जिस चालाकी और रणनीति के साथ इस खेल को वे सीखेंगे इससे वह बस्ती से बाहर छलांग लगाने में कामयाब होंगे.
14 साल का माइकल ओमॉयले कहता है, "यहां रहना मुश्किल है." ओमॉयले खुद भोजन की कमी से जूझ चुका है और वह अपना पेट भरने के लिए काम काम करता है. वह 2016 में आई फिल्म "क्वीन ऑफ कातवे" से प्रभावित है. जिसमें दिखाया गया कि कैसे केन्या की एक लड़की गरीबी से निकलने के लिए शतरंज का सहारा लेती है. ओमॉयले को उम्मीद है कि उसी तरह से शतरंज उसकी भी मदद करेगा. ओमॉयले कहता है, "शतरंज का खेल जीतने के लिए आप कड़ी मेहनत करते हैं और मुझे विश्वास है कि मैं बेहतर कर सकता हूं. मैं चैंपियन बन सकता हूं और धनी हो सकता हूं." ओमॉयले घर पर भी प्रैक्टिस करता है, उसके कमरे की दीवारों से नीले रंग का पेंट उखड़ रहा है.
26 साल के बाबतुंडे ओनाकोया ने 2018 में अफ्रीका में चेस स्लम की शुरूआत की थी. शतरंज ने ओनाकोया को उनके लागोस में गुजारे बचपन के उत्थान में मदद की. ओनाकोया कहते हैं कि उनका मानना है कि नाइजीरियाई शिक्षा संकट में है. वे कहते हैं कि कई बच्चे या तो स्कूल से बाहर हैं या उन्हें वह कौशल नहीं सिखाया जाता जिससे वे अपने जीवन को चलाने में इस्तेमाल कर सके.
अब वे अपना खाली समय भीड़भाड़ वाली गली और मोहल्लों में बच्चों को शतरंज सिखाने में बिताते हैं इस उम्मीद के साथ कि नाइजीरिया में शतरंज बच्चों के बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकता है. वे कहते हैं, "यही कारण है कि मैं उन्हें शतरंज सिखा रहा हूं, इस तरीके से बुद्धिजीवियों की एक नई पीढ़ी बनेगी, जो सवाल पूछने को लेकर उत्सुक होगी और जो कुछ नया भी कर पाएगी.
एए/सीके (रॉयटर्स)