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म्यांमार: फौजी रोहिंग्या लोगों के "कत्ल और रेप में शामिल"

२५ नवम्बर २०१६

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने म्यांमार के सैनिकों पर आरोप लगाया है कि वे रोहिंग्या मुसमलानों पर अत्याचार कर रहे हैं. उन पर हत्या, बलात्कार और आगजनी के आरोप लगे हैं.

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Indonesien Protest gegen Gewalt an Rohingya Angehörigen in Myanmar
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Ismoyo

म्यांमार के रखाइन प्रांत में बिगड़ते हालात के बीच हजारों रोहिंग्या लोग बांग्लादेश पहुंचे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यालय का कहना है कि रोहिंग्या लोगों के खिलाफ म्यांमार की सेना का अभियान "जातीय नरसंहार” के बराबर है.

उधर बांग्लादेश में सक्रिय यूएनएचसीआर के प्रमुख जॉन मैककिसिक ने बांग्लादेश के सीमावर्ती शहर कोक्स बाजार में कहा कि म्यांमार के सैनिक "लोगों की हत्या कर रहे हैं, उन्हें गोली मार रहे हैं, बच्चों की हत्या कर रहे हैं, महिलाओं का बलात्कार कर रहे हैं, घरों को जला और लूट रहे हैं और लोगों को नदी पारकर बांग्लादेश में आने को मजबूर कर रहे हैं."

जानिए कौन हैं रोहिंग्या लोग

अक्टूबर में म्यांमार की दो सुरक्षा चौकियों पर इस्लामी चरमपंथियों के हमलों के बाद म्यांमार की सेना ने अभियान शुरू किया है. चरमपंथियों के हमले में नौ लोग मारे गए थे. तब से हजारों लोग भाग कर बांग्लादेश में आए हैं. वहां से आने वाले लोग दर्दनाक कहानियां सुनाते हैं. मैककिसिक कहते हैं कि सेना हमलों की सजा सारे रोहिंग्या लोगों को दे रही है.

हाल ही में बांग्लादेश पहुंचे दीन मोहम्मद ने बताया, "वे (म्यांमार के सैनिक) मेरे दो बेटों को ले गए. उनकी उम्र नौ साल और 12 साल है. मुझे नहीं पता कि उनका क्या हुआ. वो महिलाओं को कमरे में ले जाते हैं और अंदर से दरवाजा बंद कर लेते हैं. हमारे गांव की लगभग 50 महिलाओं का बलात्कार और उत्पीड़न हुआ.”

वहीं एक गांव के इमाम मोहम्मद अयाज का कहना है कि म्यांमार के सैनिकों ने उनकी गर्भवती पत्नी की हत्या कर दी और गांव के तीन सौ घरों को तबाह कर दिया, महिलाओं का सामूहिक बलात्कार किया और कम से कम 300 पुरूषों को मार दिया. अयाज कहते हैं, "उन्होंने मेरी पत्नी को गोली मारी. वो 25 साल की थी और सात महीने की गर्भवती थी. मैंने दो साल के अपने बेटे के साथ एक नहर में शरण ली. मेरे बेटे को भी राइफल की बट मारी गई थी.”

खतरों भरा सफर, देखिए

पिछले दिनों ही ह्यूमन राइट्स वॉच ने सैटेलाइट से मिली तस्वीरें के हवाले से कहा कि बांग्लादेश की सीमा के पास कई गावों में लगभग 1250 घर नष्ट कर दिए गए हैं. म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या लोगों की संख्या लगभग दस लाख है लेकिन देश की सरकार उन्हें अवैध प्रवासी मानती है और इसीलिए उन्हें नागरिकता नहीं दी गई है.

दशकों के सैन्य शासन के बाद म्यांमार में अब चुनी हुई सरकार है. सत्ताधारी पार्टी की नेता आंग सान सू ची के लिए रोहिंग्या लोगों को बड़े इम्तिहान के तौर पर देखा जा रहा है. शांति का नोबेल जीतने वाली सू ची ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया है.

एके/वीके (एएफपी/डीपीए)