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अपराधकनाडा

भारत में वांटेड, हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या

१९ जून २०२३

कनाडा में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. निज्जर को भारत ने वांटेड लिस्ट में शामिल किया था.

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कनाडा में सक्रिय है खालिस्तानी संगठन
कनाडा में सक्रिय है खालिस्तानी संगठन तस्वीर: Creative Touch/NurPhoto/picture alliance

खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में दो अज्ञात युवकों ने गोली मारकर हत्या कर दी. निज्जर की हत्या की जानकारी दिल्ली में अधिकारियों ने सोमवार को दी.

कनाडा के सरे इलाके में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा साहिब के परिसर में वांटेड आतंकवादी निज्जर की दो अज्ञात हमलावरों ने रविवार रात 8.27 बजे (स्थानीय समय) गोली मार कर हत्या कर दी. भारतीय अधिकारियों ने प्रारंभिक जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि दो अज्ञात हमलावरों ने उसे गोली मार दी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

कौन था हरदीप सिंह निज्जर

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने निज्जर के खिलाफ कथित तौर पर आतंकी हमले की साजिश रचने के मामले में चार्जशीट दायर की थी. निज्जर गुरु नानक सिख गुरुद्वारा साहिब का प्रमुख था और वह कनाडा स्थित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) का चीफ था. निज्जर भारत में मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक था, जिस पर भारत ने 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था.

पिछले कुछ वर्षों में हरदीप सिंह निज्जर कनाडा में खालिस्तानी आंदोलन में एक प्रमुख चेहरे के रूप में उभरा था, जो नियमित रूप से भारत विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करता था.

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भारत में आतंकवादी घोषित था निज्जर

भारत ने उसे आतंकवादी घोषित किया था उसके खिलाफ कई मामले मामले दर्ज थे. जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 2018 में भारत का दौरा किया था, तो उन्हें वांछित व्यक्तियों की एक लंबी सूची दिल्ली ने सौंपी थी. इस लिस्ट में हरदीप सिंह निज्जर का नाम भी शामिल था.

46 वर्षीय निज्जर पंजाब के जालंधर जिले के एक गांव हरसिंहपुर का रहने वाला था. भारत सरकार के अनुसार, वह "खालिस्तान टाइगर फोर्स" के सदस्यों के संचालन, नेटवर्किंग, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जाना जाता था.

भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, वह अलगाववादी संगठन "सिख्स फॉर जस्टिस" से भी जुड़ा था और उसने ब्रैंपटन शहर में खालिस्तान जनमत संग्रह कराने में अहम भूमिका निभाई थी.

पंजाब में भी कई मामले दर्ज

पंजाब पुलिस ने भी निज्जर के खिलाफ कई मामले दर्ज किए थे और इस वजह से उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था. 2022 में पंजाब के जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एनआईए ने निज्जर पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था. एनआईए के मुताबिक पुजारी की हत्या की साजिश केटीएफ ने रची थी.

हाल के वर्षों में कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों द्वारा काफी गतिविधियां देखी गई हैं. भारत ने इस संबंध में कनाडा के सामने अपना विरोध भी दर्ज कराया है. इसी साल की शुरूआत में ब्रैंपटन में गौरी शंकर मंदिर की दीवारों पर भारतीय विरोधी ग्रैफिटी बनाने का मामला सामने आया था. उस समय भारतीय वाण्जिय दूतावास ने गौरी शंकर मंदिर में तोड़फोड़ और भारत विरोधी ग्रैफिटी की घटना की निंदा करते हुए कहा था कि मंदिर को विरूपित करने से कनाडा में भारतीय समुदाय की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है.

विदेशों में भारत विरोधी गतिविधियां

कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूके में हाल के समय में भारत विरोधी गतिविधयों में तेजी आई हैं. ब्रैंपटन के पहले खालिस्तानी समूहों द्वारा भारत विरोधी ग्रैफिटी के साथ ऑस्ट्रेलिया में तीन हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया था. जुलाई 2022 में कनाडा के रिचमंड हिल इलाके में एक विष्णु मंदिर में महात्मा गांधी की एक मूर्ति को खंडित कर दिया गया था. सितंबर 2022 में कनाडा के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर को कथित खालिस्तानी समर्थकों ने भारत विरोधी ग्रैफिटी के साथ विकृत कर दिया था.

जनवरी 2023 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में कथित खालिस्तान रेफरेंडम के दौरान दो गुटों के बीच हिंसा की घटनाएं भी हुई थीं. उससे पहले जनवरी की शुरुआत में ही जब शहर में जगह-जगह खालिस्तान समर्थक पोस्टर लगाए गए थे तो सोशल मीडिया पर तनाव की झलक मिलने लगी थी. कुछ हिंदू संगठनों ने स्थानीय नगर पालिकाओं से आग्रह किया कि इन पोस्टरों को हटाया जाए क्योंकि ये भारत विरोधी पोस्टर हैं.

अलग-अलग देशों में सक्रिय एसएफजे

तथाकथित सिख अलगाववादियों का एक समूह ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और अमेरिका में सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) मंच के तहत सक्रिय रहा है और समुदाय के सदस्यों के खिलाफ भारत में अत्याचार के नाम पर स्थानीय गुरुद्वारों में धन इकट्ठा करता रहा है.

भारतीय प्रांत पंजाब को सिखों के लिए अलग खालिस्तान राज्य बनाने की मुहिम काफी पुरानी है और इससे जुड़े ज्यादातर नेता अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में रहते हैं. खालिस्तान की मांग करने वाले कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के शहरों में कथित जनमत संग्रह करवा चुके हैं. भारत सरकार का कहना है कि यह कथित जनमत संग्रह एक भारत विरोधी गतिविधि है और खालिस्तान की मांग भारतीय अखंडता के खिलाफ है.