बाइडेन ने किया 'बाल्टी में एक बूंद' बराबर दान
११ जून २०२१आठ दिन, चार देश और तीन शिखर वार्ताएं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का पहला विदेशी दौरा खासा व्यस्त रहगा. इसकी शुरुआत ब्रिटेन के कार्बिस बे में जी-7 शिखर वार्ता से हो गई है. जहां से वह बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स जाएंगे और नाटो व यूरोपीय संघ के नेताओं से बात करेंगे. दौरा खत्म होगा जिनेवा में, जहां बाइडेन की मुलाकात रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से होनी है. इस बीच बहुत सी द्विपक्षीय मुलाकातें भी तय हैं जैसे कि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से.
अपने दौरे के पहले ही दिन, गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया कि जी-7 देश दुनिया के सबसे गरीब देशों को फाइजर वैक्सीन की 50 करोड़ खुराक दान करेंगे. बाइडेन ने कहा कि कोविड-19 महामारी से लड़ने में योगदान के लिए ये खुराक बिना किसी शर्त के दी जाएंगी.
फाइजर के प्रमुख एल्बर्ट बोरला के साथ मुलाकात के बाद कारबिस बे में बाइडेन ने कहा, "अमेरिका ये खुराक बिना किसी शर्त के दे रहा है. हम किसी बिना किसी संभावित छूट या फायदे के दबाव के बिना यह दान कर रहे हैं. हम ऐसा जिंदगियां बचाने के लिए कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया के नागरिकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के तहत ये दवाएं दान कर रहा है.
उन्होंने कहा, "कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका वैक्सीन का बारूद होगा, ठीक उसी तरह जैसे दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका लोकतंत्र का बारूद बना था." किसी एक देश द्वारा वैक्सीन के अब तक के सबसे बड़े इस दान के लिए अमेरिका को साढ़े तीन अरब डॉलर खर्च करने होंगे. इसके साथ ही जी-7 देश मिलकर एक अरब खुराक दान करने का ऐलान कर सकते हैं. ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उम्मीद जताई है कि जी-7 नेता शिखर वार्ता के दौरान एक अरब वैक्सीन खुराक दान करने का ऐलान करेंगे.
अमीर देशों की क्या है योजना
दुनिया के सबसे धनी देशों का यह समूह चाहता है कि 2022 के आखिर तक पूरी दुनिया का टीकाकरण हो जाए ताकि लगभग 40 लाख लोगों की जानें ले चुकी कोविड महामारी को खत्म किया जा सके. फिलहाल धनी देश टीकाकरण के मामले में बाकी दुनिया से काफी आगे चल रहे हैं. अमेरिका, यूरोप, इस्राएल और बहरीन बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा लोगों को टीका लगा चुके हैं. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक दुनिया की आठ अरब आबादी में से कुल दो अरब 20 करोड़ लोगों को टीका लगा है.
अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और उसकी जर्मन सहयोगी बायोएनटेक ने अमेरिका को इस साल 20 करोड़ और अगले साल 30 करोड़ वैक्सीन खुराक सप्लाई करने पर सहमति जताई है. फाइजर जो दवाएं अमेरिका में बनाएगा, उन्हें बिना किसी मुनाफे के बेचा जाएगा और सौ देशों को सप्लाई किया जाएगा. फाइजर के प्रमुख बोरला ने कहा कि पूरी दुनिया धनी देशों की ओर देख रही है कि वे किस तरह कोविड महामारी से लड़ते हैं और इसका हल गरीब देशों के साथ कैसे साझा करते हैं.
दुनिया को चाहिए और टीके
अमेरिका के 50 करोड़ दवाएं दान करने के वादे पर उन्होंने कहा, "अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर यह घोषणा हमारे दुनियाभर में और ज्यादा जानें बचाने की क्षमता को बढ़ाती है."
आमतौर पर इन घोषणाओं का स्वागत हुआ है लेकिन अमीर देशों द्वारा अपने यहां बना लिए गए वैक्सीन भंडारों को खोलने की मांग भी बढ़ी है. सामाजिक संस्था ऑक्सफैम ने कहा है कि विश्व स्तर पर वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए और ज्यादा कोशिश किए जाने की जरूरत है. ऑक्सफैम अमेरिका के वैक्सीन प्रमुख नीको लुइजियानी ने कहा, "बेशक, ये 50 करोड़ खुराक स्वागतयोग्य हैं क्योंकि ये दुनिया के 25 करोड़ से ज्यादा लोगों की मदद करेंगी. लेकिन जो दुनिया की इस वक्त जरूरत है, उसके लिहाज से तो यह एक बाल्टी में एक बूंद जितना है."
एक बयान जारी कर लुइजियानी ने कहा, "हमें ज्यादा विकेंद्रित वैक्सीन उत्पादन की ओर बढ़ना होगा ताकि दुनियाभर के योग्य उत्पादक कम खर्च पर अरबों और खुराक बना सकें और उन पर बौद्धिक संपदा जैसी पाबंदियां ना हों."
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)