यूनिसेफ: महिलाओं के लिए पढ़ाई के बाद नौकरी महत्वपूर्ण
२१ फ़रवरी २०२४यूनिसेफ के सर्वे ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी के प्रति युवा पुरुषों और महिलाओं के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला है, जिससे शिक्षा के बाद तत्काल विवाह के बजाय नौकरी के अवसरों को प्राथमिकता देने के प्रति एक मजबूत झुकाव का पता चलता है.
यूनिसेफ के युवा मंच 'युवाह' और यू-रिपोर्ट द्वारा आयोजित सर्वे "श्रम बल और गैर-पारंपरिक नौकरियों में युवा महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करने वाले कारक" में पूरे भारत में 18-29 आयु वर्ग के 24,000 से अधिक युवाओं की राय जानी गई.
पढ़ाई के बाद नौकरी है प्राथमिकता
सर्वे के नतीजों के मुताबिक लगभग 75 फीसदी युवा महिलाओं और पुरुषों का मानना है कि पढ़ाई के बाद रोजगार हासिल करना महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है. इसके विपरीत पांच फीसदी से भी कम उत्तरदाताओं ने पढ़ाई के फौरन बाद शादी की वकालत की.
सर्वे में कार्यबल भागीदारी के बारे में युवा महिलाओं के निर्णयों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सूचना, अवसरों और परिवारों से समर्थन तक पहुंच के महत्व पर जोर दिया.
इसके अलावा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करने वाले विभिन्न पहलुओं पर राय भी जानी गई, जिसमें विवाह और बच्चे पैदा करने के फैसले, पारंपरिक बनाम गैर-पारंपरिक नौकरी भूमिकाओं के लिए प्राथमिकताएं और रिमोट कार्य जैसी लचीली कार्य व्यवस्था पर विचार शामिल हैं.
यूनिसेफ इंडिया में युवाह की प्रमुख धुवाराखा श्रीराम ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और युवा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया है.
कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव आरती आहूजा ने इस सर्वे रिपोर्ट पर कहा कि महिलाओं की कार्यबल भागीदारी का समर्थन करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने कहा, "अब मेहनती, प्रेरित, प्रतिभाशाली और ईमानदार महिला कार्यबल का समर्थन करने का समय आ गया है, जो हमारी आबादी का 50 प्रतिशत है."
उन्होंने कहा, "हमें सभी स्तरों पर महिला कार्यबल की भागीदारी बढ़ानी चाहिए क्योंकि हम 2047 तक दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाएं बनने की ओर बढ़ रहे हैं."
भारत सरकार के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक देश में महिलाएं औसतन 22.5 साल की उम्र में शादी कर रही हैं. ग्रामीण इलाकों में यह औसत 22.2 साल है जबकि शहरों में 23.9 साल है.
पिछले साल एक निजी कंपनी जॉब्स फॉर हर की रिपोर्ट बताती है कि कॉर्पोरेट भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां महिलाओं को अधिक रोजगार देने के लिए तरह-तरह के कदम उठा रही है. जॉब्स फॉर हर ने 300 कंपनियों का सर्वे किया था और पाया कि सर्वे में शामिल कंपनियों में महिलाएं लगभग 50 फीसदी हैं. 2021 की तुलना में यह 17 फीसदी की वृद्धि है.