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विज्ञानविश्व

जेम्स वेब ने अंतरिक्ष में खोजा सिर चकराने वाला जोड़ा

३ अक्टूबर २०२३

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष में एक हैरतअंगेज खोज की है. मुक्त तैरते पिंड, जो आकार में बृहस्पति के बराबर हैं.

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नासा द्वारा जारी इस तस्वीर में जेम्स वेब टेलिस्कोप से ली गई ओरायन नेब्युला का भीतरी हिस्सा नजर आ रहा है.
ओरायन नेब्युला एक स्टेलर नर्सरी है. यानी अंतरिक्ष का वैसा हिस्सा, जहां तारों का गठन होता है. तस्वीर: NASA/ESA/AFP

इन्हें नाम दिया गया है: जूपिटर मास बायनरी ऑब्जेक्ट्स. संक्षेप में, जंबोज.

बृहस्पति ग्रह, हमारे सौर मंडल में खोजा गया अब तक का सबसे बड़ा ग्रह है. इतना बड़ा कि अगर सौर मंडल के बाकी सारे ग्रहों को मिला दें, तब भी बृहस्पति आकार में उनके दोगुने से भी ज्यादा है.

ये पिंड,ओरायन नेब्युला के सर्वे के दौरान खोजे गए. जेम्स वेबने ऐसे 40 जोड़े खोजे. पाया गया कि ये पिंड जोड़े में तैरते हैं. दिलचस्प यह भी है कि ये किसी भी स्टार सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं, यानी ये किसी तारे का चक्कर नहीं लगाते. इनका आकार ना तो तारा होने के लिए पर्याप्त है और ना ही ये ग्रह हैं.

ये पिंड, तारों और ग्रहों की हमारी मौजूदा समझ के खांचे में नहीं समाते. स्टार बनने की प्रक्रिया के तहत, एक नेब्युला के भीतर गैस और धूलकणों के ढेर से बृहस्पति के आकार के पिंडों का गठन मौजूदा खगोलीय समझ में संभव नहीं है. जैसा कि इस रिसर्च में शामिल ईएसए के एक वैज्ञानिक सैमुअल पीयरसन ने न्यू यॉर्क टाइम्स को बताया, "या तो ग्रहों के निर्माण या फिर तारों के गठन से जुड़ी हमारी समझ में कुछ गड़बड़ है, या फिर ये दोनों ही बातें हैं." पीयरसन के मुताबिक, इन पिंडों का अस्तित्व ही नहीं होना चाहिए था.

एनजीसी 1999 नाम का रिफ्लेक्शन नेब्युला.
नासा और ईएसए द्वारा जारी इस तस्वीर में ओरायन नेब्युला में एनजीसी 1999 नाम का एक रिफ्लेक्शन नेब्युला नजर आ रहा है. एनजीसी 1999, ओरायन नेब्युला के नजदीक है. पृथ्वी से इसकी दूरी करीब 1,350 प्रकाश वर्ष है. तस्वीर: ESA/Hubble & NASA, ESO, K. Noll

ओरायन नेब्युला क्या है?

यह एक स्टेलर नर्सरी है. यानी अंतरिक्षका वैसा हिस्सा, जहां तारों का गठन होता है. इसका एक नाम मेसियर 42 भी है. गैस और धूलकणों का यह चमकीला इलाका ओरायन कॉन्सटेलेशन में पड़ता है, ओरायन बेल्ट के ठीक नीचे.

ओरायन कॉन्सटेलेशन को हिंदी में कालपुरुष तारामंडल भी कहते हैं. आपने आसमान में खूब चमकीले तीन तारे देखे होंगे, जो एक सीधी लकीर में नजर आते हैं. ओरायन बेल्ट कहलाने वाले इन तीन तारोंको देखकर आप ओरायन कॉन्सटेलेशन को खोज सकते हैं. हमारी पृथ्वी से 1,500 प्रकाश वर्ष की दूरी पर होने के कारण यह हमारी सबसे नजदीकी स्टेलर नर्सरी है.

नासा की जेट प्रॉपल्शन लैबोरेट्री के मुताबिक, यह करीब 20 लाख साल पुराना है. तारों और अन्य खगोलीय पिंडोंके गठन और शुरुआती विकास को समझने के क्रम में ओरायन नेब्युला खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के लिए बड़े खजाने जैसा है. 

नासा और ईएसए द्वारा जारी यह तस्वीर एलएल ओरायन की है.
नासा और ईएसए द्वारा जारी यह तस्वीर एलएल ओरायन की है. ओरायन स्टेलर नर्सरी में मौजूद यह तारा अब भी अपने गठन की शुरुआती अवस्था में है. इससे निकलने वाली हवाओं की ऊर्जा, हमारे सूर्य से कहीं ज्यादा हैं. तस्वीर: NASA/ESA/Hubble Heritage Team

और क्या जानकारी है जंबोज की?

एक शोधपत्र के मुताबिक, जंबोज करीब 10 लाख साल पुराने हो सकते हैं. उनकी सतह का तापमान लगभग 1,000 डिग्री सेल्सियस है. ये ज्यादातर गैस से बने हैं. एक मेजबान सितारे की गैरमौजूदगी के कारण ये पिंड बहुत तेजी से ठंडे होते हैं. गैसीय पिंड होने की वजह से उनकी सतह पर तरल अवस्था में पानी की मौजूदगी नहीं होगी. ऐसे में किसी भी तरह के जीवन की संभावनाएं भी नहीं दिखतीं. 

अभी इनके अस्तित्व से जुड़ी कई अवधारणाएं हैं. कुछ का अनुमान है कि ये नेब्युला के उन हिस्सों में गठित हुए होंगे, जो तारों के गठन के हिसाब से कम सघन हों.

दूसरा सिद्धांत यह है कि उनका गठन शायद तारों के इर्दगिर्द ग्रहों के रूप में हुआ था, लेकिन फिर अज्ञात कारणों से इंटरस्टेलर स्पेस में फेंक दिए गए.

इस "इजेक्शन हाइपोथिसिस" में भी एक झोल है. खगोलशास्त्री जानते हैं कि किसी स्टार सिस्टम से एक ग्रह को बाहर फेंका जा सकता है. लेकिन जंबोज का गठन जोड़ों में हुआ है, वो जोड़े में ही गति करते हैं, ऐसे में समूचा जोड़ा स्टाट सिस्टम से बाहर हुआ हो, इस संभावना से खगोलशास्त्री हैरान हैं. ईएसए में विज्ञान और अन्वेषण से जुड़े वरिष्ठ सलाहकार प्रोफेसर मार्क मैगॉरियन ने ब्रिटिश अखबार दी गार्डियन को बताया, "किसी कैयॉटिक इंटरेक्शन में तारे की कक्षा से दो चीजों को कैसे बाहर निकाला जा सकता है और वो दोबारा फिर कैसे जुड़ सकते हैं."

खगोलशास्त्रियों का मानना है कि जंबोज की खोज ग्रहों और सितारों के जन्म से जुड़े सिद्धांतों को नई शक्ल दे सकती है.

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