खैबर पख्तूनख्वाह: खूंखार आतंकियों से कैसे निपटे सुरक्षाकर्मी
२ मार्च २०२३पाकिस्तान के अशांत पश्चिम-उत्तर प्रांत खैबर पख्तूनख्वाह का एक हिस्सा आतंकवादियों का अड्डा बन गया है, जहां से आतंकवादी पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मियों पर हमले करते रहते हैं. अफगानिस्तान की सीमा से लगा यह इलाका तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लड़ाकों का गढ़ बताया जाता है. यह एक सुन्नी चरमपंथी उग्रवादी संगठन के तत्वावधान में काम करता है.
अशांत खैबर पख्तूनख्वाह का ऐसा हाल
पिछले महीने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत की राजधानी पेशावर में एक मस्जिद में बम धमाके में 80 से अधिक पुलिसकर्मी मारे गए थे. यह टीटीपी के आतंकवाद और उसके समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन बताया गया. इस धमाके की जिम्मेदारी टीटीपी से संबंध रखने वाले जमात-उल-अहरार जिम्मेदारी ली थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस महीने खैबर पख्तूनख्वाह में कुछ पुलिस चौकियों तक पहुंच हासिल की और एक दर्जन से अधिक कर्मियों से बात की और हालात को जाना. इनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य स्थानीय निवासी शामिल थे. उन सभी ने बताया कि कैसे उन्हें आतंकियों से धमकियां मिलती हैं और उन्हें कितना नुकसान होता है.
आतंकियों से कैसे निपटेगी पुलिस
सुरक्षाकर्मियों ने जोर देकर कहा कि आतंकी हमलों का मुकाबला करने के लिए उनके पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही अच्छे हथियार. पाकिस्तानी अधिकारी इन चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, लेकिन कहते हैं कि वे मौजूदा आर्थिक मंदी और बिगड़ती आर्थिक स्थिति जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अपने सुरक्षा बलों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
पाकिस्तान के इस अशांत क्षेत्र में पुलिस वर्षों से इस्लामी आतंकियों से जूझ रही है. 2001 से अब तक 2100 पुलिसकर्मी मारे गए हैं और सात हजार से अधिक घायल हुए हैं. लेकिन वे कभी भी उस तरह से आतंकवादी अभियानों के केंद्र नहीं रहे, जैसे वे अब हैं. मंजूर शहीद पोस्ट को नियंत्रित करने वाले सरबंद स्टेशन के उप-निरीक्षक जमील शाह ने कहा, "हमने आतंकियों के पेशावर जाने वाले रास्ते को रोक दिया है."
सरबंद और इसकी आठ चौकियों को हाल के महीनों में चार बड़े नुकसान हुए हैं. इलाके की पुलिस के मुताबिक हाल के महीनों में हमलों और स्नाइपर फायर की अभूतपूर्व बाढ़ आई है.
आतंकियों के निशाने पर सुरक्षाबल
पिछले साल खैबर पख्तूनख्वाह में आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप पुलिस हत्याओं की संख्या 119 तक पहुंच गई, जबकि 2021 में यह संख्या 54 और 2020 में 21 थी. इस साल ज्यादातर मस्जिदों में बमों से हमले किए गए. 17 फरवरी को आतंकवादियों ने कराची में पुलिस मुख्यालय पर धावा बोल दिया और सुरक्षा बलों द्वारा इसे वापस लेने से पहले सुरक्षा बलों के चार जवान मारे गए. इस परिसर में सुरक्षा बलों ने तीन हमलावरों को मार गिराया.
हालांकि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने अफगान तालिबान के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा की है, यह काबुल पर शासन करने वाले तालिबान समूह का प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा नहीं है. टीटीपी का मकसद हठधर्मी विचारों के साथ पाकिस्तान में इस्लामी कानूनों को लागू करना है.
एए/वीके (रॉयटर्स)